गांधी ने किया सत्ता प्रतिरोध का रचनात्मक प्रयोग : प्रो. मिश्र
पटना (कार्यालय प्रतिनिधि)। रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पत्र सूचना कार्यालय (पटना) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बापू : स्वदेशी, स्वराज और सत्याग्रह विषय पर संयोजित वेब-गोष्ठी को मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए वरिष्ठ इतिहासकार प्रो. रत्नेश्वर मिश्र ने कहा कि गांधी उपनिवेशवाद को चुनौती दे रहे थे और भारत के लोगों को समझने की कोशिश भी कर रहे थे। स्वदेशी, स्वराज और सत्याग्रह उनके तीन आंदोलन माने जा सकते हैं। गांधीजी ने सत्ता के प्रतिरोध के लिए रचनात्मक कार्यों का प्रयोग किया। उनका कहना था कि आजादी के बाद कांग्रेस को राजनीति नहीं, बल्कि रचनात्मक कार्यों के लिए उन्मुख होना चाहिए। गांधीजी के सत्याग्रह में सत्य के प्रति आग्रह था, रूढ़ता नहीं थी। दिल्ली विश्वविद्यालय की मनोवैज्ञानिक डा. रितु शर्मा ने गांधीजी के साथ सामाजिक मनोविज्ञान संबंध का विश्लेषण किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहासकार डा. भुवन झा ने कहा कि गांधीजी के सत्याग्रह ने आजादी के संघर्ष को एक नया आयाम दिया। वह शांतिपूर्ण क्रांतिकारिता के पक्षधर थे। दिल्ली विश्वविद्यालय की इतिहासकार डा. नीरजा सिंह ने कहा कि गांधी जैसे युगपुरुष समय और स्थान की परिधि से परे होते हैं। गांधीजी ने साम्राज्यवादी सत्ता के छद्म मूल्य, अन्याय को उजागर कर उसका समुचित प्रतिरोध किया। अध्यक्षीय संबोधन में पीआईबी और आरओबी के अपर महानिदेशक एसके मालवीय ने कहा कि संपूर्ण भारतीय संस्कृति, परंपरा के प्रतिबिंब गांधीजी आज भी प्रासंगिक हैं। लोक गायिका नीतू नवगीत के भजन गायन रघुपति राघव राजा राम से गोष्ठी आरंभ हुई। वेब गोष्ठी का संचालन दूरदर्शन समाचार (पटना: के सहायक निदेशक सलमान हैदर ने किया। इस गोष्ठी में आरओबी (पटना) के निदेशक विजय कुमार, पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार आदि शामिल हुए। धन्यवाद ज्ञापन आरओबी के सहायक निदेशक एनएन झा ने किया।
अद्वितीय हैं दोनों महापुरुषों के कृतित्व-व्यक्तित्व
दाउदनगर (औरंगाबाद)-कार्यालय प्रतिनिधि। नवरतन चक स्थित संस्कार विद्या परिसर मेंं अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध अहिंसक संघर्ष का नेतृत्व करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत-पाकिस्तान युद्ध में जय जवान जय किसान का नारा देने वाले प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की संयुक्त जयंती समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें नौवीं कक्षा से ऊपर के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। दोनों महापुरुषों की स्मृति में संस्कार विद्या परिसर में पौधरोपण किया गया। विद्यालय के पुरा छात्र रहे क्वेस्ट स्कार्प लिमिटेड (बंगलुरू) के सहायक निदेशक सतीश कुमार, विद्यालय समूह के अध्यक्ष सुरेश प्रसाद गुप्ता, सीईओ आनंद प्रकाश और डिप्टी सीईओ विद्या सागर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दोनों महापुरुषों के अद्वितीय कृतित्व-व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। इन वक्ताओं ने बताया कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत ने ब्रिटेन साम्राज्य के चक्रवर्ती उपनिवेश का सफल विरोध किया, दासता से मुक्त हुआ और उनकी नीतियों पर अग्रसर हुआ। बताया कि दृढ़ निश्चय वाले लालबहादुर शास्त्री ने भारतवासियों को एक समय के भोजन का त्याग-व्रत के लिए प्रेरित कर युद्ध का संसाधन जुटाया। विद्यानिकेतन विद्यालय समहू के तीनों विद्यालयों किड्ज वल्र्ड, विद्या निकेतन और संस्कार विद्या में प्रबंधक संदीप कुमार और प्राचार्य सरयू प्रसाद की देख-रेख में कोरोना महामारी प्रोटोकाल के तहत सामाजिक दूरी, मास्क-सैनिटाइजर प्रयोग के अनुपालन के साथ वाद-विवाद, भजन, चित्रांकन, निबंध लेखन आदि का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन, दांडी मार्च, सत्याग्रह आदि विषय को फोकस किया गया।
21वीं सदी में भी गांधी-शास्त्री नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा-स्रोत
सासाराम (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। रोहतास जिला भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की ओर से प्रकोष्ठ अध्यक्ष जीएन लाल की अध्यक्षता में महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई। स्थानीय मंगलम उत्सव वाटिका में आयोजित गोष्ठी को प्रकोष्ठ के जिला महासचिव नवीन सिन्हा, जिला प्रवक्ता डा. राकेश बघेल, विधि सलाहकार भानुप्रताप सिंह, अधिवक्ता संजीव मिश्रा, अधिवक्ता संजय सिंह, तुषारकांत बघेल आदि ने संबोधित करते हुए गांधीजी और शास्त्रीजी के व्यक्तिव-कृतित्व के विभिन्न पक्षों को रखा। वक्ताओं ने दोनों महापुरुषों के राष्ट्र के प्रति त्याग, बलिदान, ईमानदारी, सत्य के लिए संघर्ष, जीवन की सादगी के अपूर्व योगदान का उल्लेख किया। बताया कि 21वीं सदी में भी दोनों ही महापुरुष अपने गुणों के कारण युवा पीढ़ी, देश-समाज के लिए प्रेरणा-स्रोत हैं। गोष्ठी का संचालन सोशल मीडिया प्रभारी अनिमेष रंजन ने और संयोजन सहयोग रवि सिन्हा, मनीष सिंह ने किया। शाश्वत सिन्हा ने काव्य-पाठ कर अपनी श्रद्धा निवेदित की।
अनुभूति ने भी की गांधी और शास्त्री पर चर्चा :
सासाराम से प्राप्त एक अन्य समाचार के अनुसार, साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था अनुभूति के वेब-मंच पर महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री को शाब्दिक श्रद्धांजलि अर्पण के बाद इनके कृतित्व-व्यक्तित्व पर चर्चा की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता शिक्षाविद अरविंद कुमार खांडकर (जोधपुर) ने की और संचालन डा. वृजकिशोर पांडेय ने किया। वक्ताओं ने बताया कि शिक्षा, राजनीति, धर्म, दर्शन, साहित्य आदि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महात्मा गांधी का व्यापक प्रभाव पड़ा। संगोष्ठी में जौनपुर से प्रो. डा. अखिलेश्वर शुक्ला, जमशेदपुर से डा. एसके झा, दिल्ली से डा. शिवानंद उपाध्याय, रांची से गौतम कुमार नायक, सासाराम से डा. राकेश कुमार श्रीवास्तव, नीलम साहू, प्रियांशु कुमारी, बक्सर से संजीव कुमार तिवारी, मनोज ओझा, बलिया से शशिकांत पांडेय आदि ने भाग लिया। संचालन पत्रकार-शिक्षक अर्जुन कुमार (सासाराम) ने किया। आकाशवाणी उद्घोषक कवि संजय कुमार चतुर्वेदी ने गांधी बाबा कविता का पाठ किया।