सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है   Click to listen highlighted text! सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है

नाटक रतनमाला : संस्कृत के सात नाटकों का भोजपुरी रूपांतरण

सासाराम (बिहार)-सोनमाटी समाचार। कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष, यूनिवर्सिटी प्रोफेसर और रोहतास जिले के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार  डा. नंदकिशोर तिवारी की दो पुस्तकों का लोकार्पण रोहतास जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से सासारामम के रोहतास महिला महाविद्यालय के सभागार में आयोजित समारोह में किया गया। लोकार्पित पुस्तकों में एक (चलो मन पावन गीता घाट) रोहतास जिले के प्रसिद्ध संत स्वामी शिवानंदजी के जीवनदर्शन पर आधारित है। दूसरी पुस्तक (नाटक रतनमाला) संस्कृत के 7 नाटकों की भोजपुरी में अनुदित कथा है।

रोहतास के पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रभुनाथ सिंह समारोह के मुख्य अतिथि और बीएचयू पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो.(डा.) अर्जुन तिवारी (वाराणसी) विशिष्ट अतिथि थे। समारोह को विश्व भोजपुरी सम्मेलन के महामंत्री एवं एसपीजैन कॉलेज, सासाराम के प्राचार्य डॉक्टर गुरुचरण सिंह,  शेरशाह कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डा. श्रीभगवान सिंह, न्यायिक पदाधिकारी डा.  राघवेन्द्रनारायण सिंह, दीनानाथ सिंह,  उप निदेशक (अभियोजन) बीके मिश्र, कवि-कहानीकार नर्मदेश्वर, वरिष्ठ आलोचक प्रो.(डा.) मृत्युंजय सिंह, डा. श्यामबिहारी पांडेय,  संझौली (रोहतास) की उप प्रमुख डा. मधु उपाध्याय, पत्रकार डा. ओमप्रकाश तिवारी ने भी संबोधित किया।

अंत में डाक्टर नंदकिशोर तिवारी ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। समारोह का आरंभ सरस्वती वंदना (स्वर ओमप्रकाश मिश्र, तबला प्रभुजी) से हुआ। इस अवसर पर आवासीय केंद्रीय विद्यालय सासाराम की छात्रा काजल कुमारी ने गीता के प्रथम अध्याय का सस्वर वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी, सासाराम के पुस्तकालयाध्यक्ष एवं सांस्कृतिक इतिहास के शोधकर्ता डा. श्यामसुंदर तिवारी ने किया।

लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार डा. नंदकिशोर तिवारी सम्मानित

हाल ही में डा. नंदकिशोर तिवारी को हिन्दी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन में डा. लक्ष्मीनारायण सुधांशु अलंकरण सम्मान प्रदान किया गया है। हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान डा. नंदकिशोर तिवारी पांच दशकों से अधिक समय से हिन्दी साहित्य लेखन और शोध में आधिकारिक रूप से सक्रिय रहते हुए कई साहित्य पत्रिकाओं और ग्रंथों का संपादन कर चुके हैं।

 

 

 

डेहरी अनुमंडल न्यायालय भवन निर्माण का शिलान्यास

 

डेहरी-आन-सोन (बिहार)-सोनमाटी समाचार।। अनुमंडल न्यायालय के अपने भवन के निर्माण का शुभारंभ पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वी. नाथ ने एनिकट अनुमंडल परिसर के निकट हवन-पूजन के साथ किया, जिसमें डेहरी अनुमंडल विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पांडेय उर्फ मुटुर पांडेय और सचिव मिथिलेश कुमार सिन्हा के साथ संघ के सदस्यों ने भाग लिया।

 

 

(वेब रिपोर्ट एवं तस्वीर :  निशांत राज)

 

 

भोजपुरी निर्गुण गायकी के लीजेंड भरत शर्मा व्यास

बक्सर (बिहार)-सोनमाटी समाचार। पिछले वर्ष के आखिरी दिनो में आखर की ओर से भोजपुरी के 12 लीजेंड वाले जिस कैलेण्डर (भोजपुरिया स्वाभिमान कैलेण्डर-2018) को बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पाण्डेय, विधान पार्षद डा. वीरेन्द्र यादव और पूर्व आईपीएस व कवि ध्रुव गुप्त ने जारी किया था, उस कैलेण्डर में बतौर एक लीजेंड पद्मभूषण भरत शर्मा व्यास को शामिल किया गया है।
भोजपुरी में लंबे समय से निर्गण गायकी के सिरमौर
भरत शर्मा व्यास लंबे समय से भोजपुरी निर्गुण गायकी के सिरमौर बने हुए हैं। जिन दिनों भोजपुरी कैसेटों में नए-पुराने गायक रंगीला-रसिया हुए जा रहे थे, उन दिनों भी भरत शर्मा ने अपनी गायकी से समझौता नहीं किया। उन्होंने अपनी गायकी को एक स्तर दिया और भोजपुरी लोकसंस्कृति को गुलजार किया। बेशक, भिखारी ठाकुर और महेंद्र मिश्र जैसे लोग भोजपुरी के लीजेंड रहे हैं, पर भरत शर्मा ने भोजपुरी के तुलसीदास माने जाने वाले रामजियावन दास बावला और कबीर को गाने वाले रामकैलाश यादव की परंपरा में अपनी मजबूत जगह बनाई।
60 से ऊपर की उम्र में भी देश-विदेश में सक्रिय
भरत शर्मा भोजपुरी गायकी में उस धारणा के बरक्स आईना लेकर खड़े हैं, जो यह मानती है कि भोजपुरी में खास किस्म के गाने या गायकी ही चलती है, जिसमें द्विअर्थी या एकार्थी शब्दों का चित्रहार बनाकर खास किस्म के श्रोताओं को परोस दिया जाता है। भरत शर्मा की गायकी का दायरा विस्तृत है। उसमें श्रृंगार और अन्य रसों के गीत तो हैं ही, लेकिन मूल स्वर निर्गुण का ही है और शायद यही वजह है कि भोजपुरी के तमाम पुरुष गायकों में उनका सम्मान अधिक है। भरत शर्मा समान रूप से चौक से लेकर आंगन, ड्राइंग-रूम तक सुने जाने वाले गायको में हैं। भोजपुरी में ऐसे गायकों की एक लंबी रवायत रही है। कुछ गुमनाम बराएमेहरबानी यू-ट्यूब के फिर से सामने आए हैं। भरत शर्मा साठ से उपर की उम्र में भी देश-विदेश में लगातार प्रस्तुतियां दे रहे हैं।

1971 में गांव के कार्यक्रम में सार्वजनिक गायन से शुरू हुआ करियर
वर्ष 1971 में बिहार के बक्सर जिले के सिमहरी प्रखंड के गांव नगपुरा मेंएक कार्यक्रम था, जिसमें बहुत से कलाकार बाहर से आए थे। उस प्रोग्राम में भरत शर्मा को भी गाने का मौका मिला और गाना खत्म हुआ तो वाहवाही मिली थी। उन दिनों कोलकाता का क्रेज था, जहां भोजपुरी क्षेत्र के गायक सक्रिय थे। भरत शर्मा ने मां से 16 रुपये लिए और बक्सर से हावड़ा पहुंच गए। हावड़ा में उनकी मुलाकात व्यास (गायक मंडली के प्रमुख) लोगों से हुई, जिनके सानिध्य में रहकर उन्होंने सीखा। बहुत सालों तक रामायण गाया। जब ऑडियो का जमाना आया, तब अपने गाने रिकॉर्ड भी करवाए। लोकगीत और भजन गायन से अपने कैरियर की शुरुआत की। 1989 में आर सीरीजी का सबसे पहला एलबम (दाग कहां से पड़ी और गवनवा काहे ले अईलअ) आया। उसके बाद भरत शर्मा के टी-सीरिज से एलबम रिकॉर्ड हुए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Click to listen highlighted text!