विवेकानंद मिशन में रक्षा-सूत्र का संकल्प बंधन, विद्या निकेतन में संत तुलसी का स्मरण

दाउदनगर (औरंगाबाद, बिहार)-कार्यालय प्रतिनिधि। शहर दो अग्रणी शिक्षण संस्थानों में भारतीय संस्कृति में सर्वस्वीकृत धारा के रूप में सदियों से प्रवाहमान दो भाव-रूपों को विवेकानंद मिशन स्कूल और विद्या निकेतन विद्यालय समूह के परिसरों में मूर्तिमान करने का और इससे संबंधित सामाजिक संदेश देने का आयोजन किया गया। विवेकानंद मिशन स्कूल में रक्षा-सूत्र बंधन के अवसर पर और विद्या निकेतन परिसर में संत शिरोमणी तुलसीदास जयंती पर वैचारिक-व्यावहारिक आयोजन किया गया।

छात्राओं ने वृक्ष-रक्षा संकल्प के साथ बांधे रक्षा-सूत्र
विवेकानंद मिशन स्कूल परिसर में रक्षाबंधन के मौके पर विद्यालय परिवार और छात्र-छात्राओं ने वृक्ष संरक्षण का संकल्प लिया। छात्राओं ने पेड़-पौधों में रक्षा-सूत्र बांधकर उनकी रक्षा का आह्वान किया। विवेकानंद मिशन स्कूल के निदेशक डा. शंभुशरण सिंह ने इस अवसर पर कहा कि वृक्ष ही धरती के जीवंत होने के प्रतीक हैं, हरियाली ही जीवन है। अगर पृथ्वी पर हरियाली नहींहोती तो किसी जीव-जन्तु का अस्तित्व ही नहींहोता। यही कारण है कि सौरमंडल के किसी ग्रह-उपग्रह पर जीवन नहींहै, क्योंकि वहां जीवनदायी हरियाली नहींहै। जीवन का पेड़-पौधों से अन्यान्योश्रय संबंध है और पेड़-पौधों की सुरक्षा परिवार की सदस्य की तरह की जानी चाहिए। आज बदलते-बिगड़ते पर्यावरण के संदर्भ में पेड़-पौधों की वृद्धि सामाजिक दायित्व है।

त्रिकालदर्शी संत साहित्यकार थे तुलसी : सुरेशकुमार गुप्ता

उधर, विद्या निकेतन विद्यालय समूह के सीएमडी सुरेश कुमार गुप्ता ने कहा कि तुलसी दास त्रिकालदर्शी संत साहित्यकार थे। वह भारतीय राजीनीति और राज-समाज के युगद्रष्टा थे। उनकी विभिन्न रचनाओं में गूंजते उनके भाव और उनके विचार पिछली पांच सदियों से वृहत्तर भारतीय समाज की आवाज बने रहे हैं। उनकी रचनाओं में समाज के भूत-काल, उस समय के वर्तमान- काल और भविष्य-काल का समायोजन रहा है। इसीलिए उनकी रचनाएं देश-काल से परे हैं और हर कालखंड के लिए सामयिक, उपयोगी बनी हुई हैं। उनकी रचनाएं साहित्य की सर्वोत्तम संपदा हैं, क्योंकि उनमें मानवीय क्रिया-कलाप के सभी नौ रसों का संचार हुआ है। उनकी रचनाओं ने भारतीय समाज और संस्कृति की धार बनाए रखने का युग-संस्कार दिया है।

श्री गुप्ता ने बताया कि देश-दुनिया जिस रामकथा को हजारों सालों से जान रही थी, वह बाल्मीकि और कवियों-महिर्षयों की कथाएं थीं। मगर तुलसी ने राम को लोकप्रिय बनाया और आज हम जिस राम को जानते है, वह तुलसी के ही राम है। उन्होंने रामचरित मानस की रचना कर एक नए राम की रचना की और तुलसी के राम को ही सर्व सामाजिक स्वीकृति मिली।
तुलसी ने दी भारतीय संस्कृति को नई संजीवनी
विद्या निकेतन ग्रुप आफ स्कूल्स के सीईओ आनंद प्रकाश ने कहा कि संत तुलसी दास ने अपनी कालजयी रचनाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति को नई संजीवनी प्रदान की और सुप्त समाज में नए ऊर्जा का संचार किया। किसी तरह के राज-संरक्षण से अलग रहकर संत तुलसीदास ने युगद्रष्टा, युगस्रष्टा होने का ऐतिहासिक कार्य किया।
विद्यालय परिवार ने किया हनुमानचालीसा का सामूहिक गायन
कार्यक्रम का आरंभ गिरिजा ठाकुर के मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय समूह के प्रशासक संदीप कुमार ने किया। इस अवसर हनुमानचालीसा आदि के स्वर पाठ और गायन का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यालय के शिक्षक राजेश पांडेय, लालमोहन सिंह, सुदर्शन सिंह, संतोष कुमार, सुरेश प्रसाद, किरण जैन, रमारानी जैन, सुमन कुमारी, मीनाक्षी दुबे, सुनीता देवी, रिंकी कुमारी आदि ने भाग लिया। अंत में धन्यवाद-ज्ञापन प्राचार्य सरयू प्रसाद ने किया।

 

कब दूर होगी जनवितरण प्रणाली की विसंगतियां

दाउदनगर (औरंगाबाद)-सोनमाटी संवाददाता। भाजपा नेता सुरेंद्र सिंह और डीलर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष संतोष सिंह ने जनवितरण प्रणाली की विसंगतियों की भत्र्सना की है। अपने संयुक्त बयान में यह कहा है कि डीलरों को सरकार की ओर से पूर्व में मिल रहे सुविधाओं को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है। संगठन के आंदोलन पर सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है। डीलरों की जांच को कमाई का धंधा बना दिया गया है। यह व्यवस्था डीलरों पर दोहरी मार है। काम प्रतिदिन और वेतन कुछ नहीं। डीलर दुकान के लाइसेंस को बचाए रखने के लिए बहुत कुछ बर्दाश्त करते हैं। डीलरों को लेकर देहात में एक सटीक कहावत प्रचलित है- नौकर ऐसा चाहिए जो मांग-चांग के खाय, दिन-रात काम करे और छुटी पर न कबहु जाय।

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