– शराबबंदी पर लघु बाल फिल्म में दाउदनगर के बच्चों ने किया है अभिनय
– फेयर प्राइस डीलरों के लिए उचित कमीशन की मांग
हसपुरा/औरंगाबाद (बिहार)-सोनमाटी समाचार। शराबबंदी के समर्थन में बनी लघु बाल फिल्म एक अप्रैल : एल्कोहॉल फ्रीडम डे ऑफ बिहार यू-ट्यूब पर अपलोड हो चुकी है।। इस फिल्म का निर्माण विद्या निकेतन ग्रुप ऑफ स्कूल्स और धर्मवीर फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन ने संयुक्त रूप से बिहार में लागू पूर्ण शराबबंदी के समर्थन में किया है। फिल्म निर्माता विद्या निकेतन ग्रुप ऑफ स्कूल के सीईओ आनंद प्रकाश के अनुसार, फिल्म की कहानी शराब से पीडि़त एक परिवार की है।
कहानी में चलाता है अभियान, छूटती है शराब पीने की लत
शराबी पति की प्रताडऩा से उसकी पत्नी की मृत्यु हो जाती है। बच्चे जैसे-तैसे अपना पेट पालते हंै। उसका बेटा कलुआ अपने मित्रों अंश पल्लव के साथ शराब से होने वाले नुकसान से संबंधित दीवार लेखन, स्टिकर और पोस्टर का प्रयोग कर शराबमुक्त घर का अभियान चलाता है। शराबी पिता को गलती का एहसास होता है। शराब पीने की लत छूटती है।
सीमित संसाधन से बनाई गई फिल्म
इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लेखक-निर्देशक धर्मवीर भारती के अनुसार, फिल्म सीमित संसाधन से बनाई गई है। प्रोडक्शन, कलाकार सब कुछ स्थानीय है। फिल्म में ड्रामा और डाक्यूमेंट्स हैं। फिल्म में पूर्ण शराबबंदी से बिहार में होने वाले सकरात्मक प्रभाव कोसाक्ष्यों-आँकड़ों के साथ कल्पना की चाशनी में प्रस्तुत किया गया है। फिल्म के अंत में राजनेताओं, अधिकारियों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों के विचार-सुझाव भी हैं।
फिल्म में स्थानीय कलाकार
फिल्म में कलाकार के रूप में विद्या निकेतन ग्रुप ऑफ स्कूल्स के विद्यार्थी अंश पल्लव, अमन, नेहा, उमंग, ख़ुशी और दाउदनगर के स्थानीय कलाकार संजय तेजस्वी, बसंत कुमार मालाकार, मोहम्मद खलील माली, ग़ुलाम रहबर आदि हैं। फिल्म की एसोसिएट डायरेक्टर श्रीमती डॉली, कैमरामैन रणवीर कुमार, एडिटर आनंद प्रकाश हैं। फिल्म में संगीत का योगदान अंजन सिंह, अनूप सिन्हा, संजय, मुन्नी, मधु और गोविंदा राज की है। जब िग्राफिक्स डिजायनर का काम विशाल राय ने किया है।
उपमुख्यमंत्री के समक्ष फिल्म का प्रदर्शन
प्रोडक्शन टीम के प्रोड्यूसर एवं विद्यालय के सीईओ आनंद प्रकाश और फिल्म निर्देशक धर्मवीर भारती ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के समक्ष पटना में इस फिल्म का प्रदर्शन किया है। सुशील मोदी ने शराब जैसी सामाजिक बुराई के प्रतिकार के लिए आम लोगों के मोरल हथियार के रूप में बनाई गई इस फिल्म की सराहना की है।
नहीं मिलता उचित कमीशन, सरकारी शोषण-दमन जारी
बिहार प्रदेश फेयर प्राइस डीलर एसोसिएशन के औरंगाबाद जिला सचिव सुरेन्द्र कुमार सिंह ने बिहार सरकार से राज्य के डीलरों को भी अन्य राज्यों की तरह सरकारी कर्मचारी घोषित करने या उन्हें नियमित मानदेय दिए जाने या समुचित कमीशन देने की मांग की है। एसोसिशन अपनी यह मांग कई सालों से करता रहा है। डीलरों को साधारण मजदूरी भी नही मिलती, जबकि काम सरकारी कर्मचारी की तरह लिया जाता है। उन्हें उचित कमीशन नहींमिलता है। इसके अलावा डीलरों को सरकारी सिस्टम के शोषण और सरकारी अधिकारियों के दोहन का सामना लगातार करना पड़ता है। यही कारण है कि डीलरों की छवि समाज में बेहद खराब है और उन पर सरकारी अधिकारी जब चाहे मनमानी कार्रवाई करते रहते हैं।
सुरेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि महाराष्ट्र में सरकार प्रति क्विंटल अनाज पर 150 रुपया कमिशन देती है और केरल में सरकार ने 16000 रुपये मानदेय निर्धारित कर रखा है। अब दिल्ली सरकार नेडीलरों को उचित कमीशन देना स्वीकार किया और कमीशन प्रति क्विंटल अनाज पर 200 रुपया कर दिया है।