संकट में सहायता का अनुकरणीय तरीका

दाउदनगर (औरंगाबाद) / डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-सोनमाटी टीम। कोरोना विषाणु संक्रमण की वैश्विक महामारी से बचाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर 25 मार्च से लागू देशव्यापी लाकडाउन (पूर्णबंदी) के बाद गरीबों का संकट अधिक दिखने लगा है और भूख की समस्या अब सतह पर आ चुकी है। रोज कमाने-खाने वाले तबके में भोजन का संकट स्वाभाविक तौर पर विकराल आकार ग्रहण कर रहा है। आदमी की प्रथम आवश्यकता दो जून की रोटी की पूर्ति के लिए जहां देश-प्रदेश की कल्याणकारी सरकारें इस आपात महाआपदा से उत्पन्न समस्याओं को सुलझाने-निपटाने में अपनी-अपनी तरह से रोजाना होमवर्क कर रही हैं, वहींसमाज का धवल पक्ष भी व्यापक तौर पर सक्रिय हुआ है। महाआपदा की तीव्रता को जानते-समझते हुए राजनीतिक-धार्मिक प्रतिबद्धता से अलग गरीबों के भोजन प्रबंध के उद्देश्य से शहरों से गांवों तक समाज का संपन्न तबका, अनेक सामाजिक संगठन और स्वयंसेवी दल स्वत:र्फूत सक्रिय हो उठे हैं। बेशक इतिहास के इस अभूतपूर्व काल में जहां हर आदमी एक-दूसरे से आशंकित-भयभीत है, वहां करुणा, सेवा, दानवान समाज का सार्वजनिक चेहरा भी सामने आया है।

दाउदनगर में अपरिचित गोपालबाबू सेवा समिति :
दाउदनगर से विशेष संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, इस दिशा में औरंगाबाद जिले के सोन नद तट के उत्तर मुगलकालीन शहर दाउदनगर में भी कई समूह सक्रिय हैं। ऐसे निरपेक्ष नि:स्वार्थ लोगों की संख्या भी अच्छी खासी है, जो खामोशी से अपने आस-पास अपना योगदान कर रहे हैं। इसी तरह की सकारात्मक सामाजिक सक्रियता पर एसडीएम अनुपम सिंह ने अपने सोशल मीडिया पेज (फेसबुक) पर लिखा कि दाउदनगर के नवयुवकों और समाजसेवियों द्वारा आपदा मदद कार्य से मैं अभिभूत हूं। यहां के नवयुवकों की सकारात्मक सोच वाली ऊर्जा अनुकरणीय है और राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में दाउदनगर के लोग एकता, भाईचारा, सौहार्द की मिसाल हैं। अपने फेसबुक पेज पर एसडीएम अनुपम सिंह ने बिना नाम लिए एक व्यक्ति के इस दावा का भी जिक्र किया कि दाउदनगर के गरीब बेसहारा को इस विषम परिस्थिति में भूखा नहीं रहने दिया जाएगा। लाकडाउन के दो सप्ताह गुजरने के बाद एक तस्वीर ने ध्यान खींचा, जिसमें यह करुण संदेश निहित है कि काश सभी ऐसा करते! गोपालबाबू सेवा समिति द्वारा राहत सामग्री वितरण की जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई हैं, उनमें लाभुक गरीब के चेहरे को छुपा दिया गया है। इस तरह की तस्वीरों के दो अर्थ हैं। पहला कि गरीब की गरिमा की रक्षा करते हुए उसकी न्यूनतम दैनिक खाद्य जरूरत की पूर्ति की गई। दूसरा अर्थ यह है कि गरीबी रेखा के एकदम निकट रहते हुए पर्दा ढांक जीवन जीने वाले जरूरतमंद श्रेणी के परिवारों को इस तरह भी मदद की जा सकती है, जो अपनी पहचान सार्वजनिक होने के मनोवैज्ञानिक डर से याचक कतार में सामने नहींआ पा रहे हैं। गोपाल बाबू के वंशधरों वीरेंद्र प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद, अनिल प्रसाद, मनोज प्रसाद और संजय प्रसाद के सहयोग से संचालित गोपालबाबू सेवा समिति के खाद्य साधन उपलब्ध कराने वाले सक्रिय इस दल के टीम लीडर साहिल सोनी है, जिनके साथ संजय सोनी, रवि वत्सल, धीरज गुप्त, आर्य अमर केसरी, विकास कुमार, रौशन कुमार आदि सक्रिय हैं। गोपालबाबू सेवा समिति का नाम दाउदनगर के लिए पूर्व परिचित नहीं रहा है। संकट के इस समय में अचानक यह सामने आई है, जो चिह्निïत जरूरतमंदों को पांच किलो चावल, एक किलो दाल, दो किलो आलू, एक पैकेट सोया बड़ी और एक बोतल तेल दे रही है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप)

समापन के कर्मचारियों ने भी दी मदद :
डेहरी-आन-सोन से कार्यालय प्रतिनिधि की खबर के मुताबिक, डालमियानगर रोहतास इंडस्ट्रीज काम्पलेक्स की ओर से प्रति कर्मचारी 1100 रुपये का आर्थिक सहयोग कर 25 हजार रुपये की रकम मुख्यमंत्री आपदा कोष में देने के लिए हाई कोर्ट कंपनी जज के अधीन परिसमापक हिमांशु शेखर के पटना कार्यालय को सौंपी गई। यह जानकारी रोहतास इंडस्ट्रीज कांप्लेक्स के डालमियानगर के प्रभारी प्रबंधक एआर वर्मा ने दी है। श्री वर्मा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आगे भी रोहतास इंडस्ट्रीज कांप्लेक्स के कर्मचारी संभव आर्थिक योगदान मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में देंगे। काम्पलेक्स की ओर से स्थानीय कर्मचारियों के व्यक्तिगत स्तर पर और समाजसेवियों के सहयोग से गरीबों के लिए संभव भोजन का प्रबंध भी किया जा रहा है। 36 साल पहले बंद हो चुके कभी एशिया प्रसिद्ध रहे डालमियानगर रोहतास इंडस्ट्रीज कारखानों का विशाल परिसर समापन में है, जिसके कारखानों के कबाड़ में बिक जाने के बाद अब आवासीय-कार्यालय परिसर भी बिकने की स्थिति में है। फिर भी यहां न्यूनतम वेतन पर कार्यरत डेढ़-दो दर्जन बच रहे कर्मचारियों ने भी अपने सामाजिक दायित्व का परिचय देते हुए यह मदद की है और संभव सहायता की आश्वस्ति दी है।

जरूरत है मानसिक सकून की :
मानसिक स्वास्थ्य केेंद्र संवेदना (अस्पताल) के निदेशक वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. उदयकुमार सिन्हा और प्रबंध निदेशक मनोवैज्ञानिक डा. मालिनी राय ने लाकडाउन की इस अभूतपूर्व परिस्थिति में मानवजाति की सुरक्षा के लिए गृहवास-एकांतवास को बेहद जरूरी बताते हुए इसकी सफलता की अपील शहरवासियों से की है। लोगों का घरों में बना रहना उनका सुरक्षित रहना तो है ही, महामारी को फैलने से रोकने में हर साफ-सफाई की रीति के पालन के साथ घरों में रहना मानव समाज के प्रति योगदान भी है। डा. उदय कुमार सिन्हा ने कहा है, संपूर्ण मानवता के अदृश्य दुश्मन कोरोना वायरस जनित महामारी से इस विश्वव्यापी महासंघर्ष में समाज के गरीब तबके का भी योगदान ज्यादा महत्वपूर्ण है और उन्हें इसके लिए ज्यादा गौरवान्वित होना चाहिए। यह महाआपदा भूख का ही नहीं, अकेलेपन का भी संकट है। इस आपदा की घड़ी में आदमी के मानसिक सकून के संतुलन का धीरज के साथ कायम रखना बड़ा कार्य है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : निशान्त राज)

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