नन्हें हाथों ने तीन दिन दिखाए हस्तशिल्प के हुनर
सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। संतपाल स्कूल के प्रांगण में तीन दिवसीय दीया-कलश चित्रकारी और रंगोली प्रतियोगिता में नन्हें विद्यार्थियों ने अपने हाथों की कूची चलाकर ज्वलंत समस्याओं पर भी रंग-बिरंगी रंगोली बनाने का हुनर दिखाया। 23, 24, 25 अक्तूबर को किड्स प्ले स्कूल और संतपाल स्कूल के ढाई सौ विद्यार्थियों ने चंद्रयान, स्मोकिंग किल्स दी ह्यूमन, जल संकट, पर्यावरण प्रदूषण, बालिका-ऊर्जा संरक्षण आदि के बिम्बों को अबीर-गुलाल, कागज के टुकड़ों से प्रभावकारी आकार दिया। विद्यालय समूह के अध्यक्ष डा. एसपी वर्मा, सचिव वीणा वर्मा, प्रबंधक रोहित वर्मा, प्राचार्या आराधना वर्मा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से छात्र-छात्राओं में छिपी हुई प्रतिभा को उजागर होने का अवसर मिलता है।
कीर्तिका सुहानी, सामथ्र्य राज, पूर्विका, अंजली, अयाना सिंह, अरमान सूद, आशना, रीया मानसी, प्रियदर्शिनी, मनीष अनुराग, उत्सव अंकुर, गिरि कुसुम, रिमझिम, सीमल प्रियल, रीति प्रिया, हर्ष राज सहित हस्तशिल्प का बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को मेडल और प्रमाणपत्र विद्यालय की ओर से दिया गया। चित्रकारी और रंगोली प्रतियोगिता के संयोजन में सुशील कुमार, माधुरी सिंह, साजिया अंसारी, लवली श्रीवास्तव, एस हाजरा, मौसमी दास, अर्जुन कुमार और अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं ने योगदान किया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : अर्जुन कुमार, शिक्षक सह मीडिया प्रभारी)
नई पीढ़ी के लिए जरूरी संस्कार और साहित्य का संगम
पटना (सोनमाटी प्रतिनिधि)। प्रतियोगी छात्र-छात्राओं और गरीब बच्चों के सहायतार्थ संस्कारशाला सह पुस्तकालय का शुभारंभ संपादक-कथाकार ममता मल्होत्रा, वरिष्ठ लघुकथाकार सतीशराज पुष्करणा और समाजसेवी गुड्डूजी ने पुराना जक्कनपुर में हुआ, जो समाज में संस्कार और साहित्य की उपादेयता बनाए रखने के लिए समाजसेवी कवि संजीव कुमार, उनके सहयोगियों की मेहनत से आकार ग्रहण कर सका है। संस्कारशाला सह पुस्तकालय की सोच के समर्थन में अतिथियों ने कहा कि आज की पीढ़ी में संस्कार का समावेश करने और पुस्तकों के प्रति लगाव पैदा करने की आवश्यकता है। यह परिसर सामाजिक लाभ और साहित्यिक संयोजन दोनों का श्रेष्ठ संगम बने, यही कामना है। इस अवसर पर 100 सौ से अधिक संसाधनहीन बच्चों को कापी, कलम, पेंसिल, किताब और स्कूल बैग उपहार दिए गए। उद्घाटन सत्र के बाद वरिष्ठ कवि सिद्धेश्वर और संजीव कुमार के संचालन में कवि-सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि-कथाकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने की।
काव्यपाठ का आरंभ युवा कवि सुनील कुमार की कविता से हुआ– प्राकृतिक प्रकोप नहीं है, ना कोई ये अद्भुत घटना, अपनी ही नाली में डूबा, देखो देखो देखो पटना! डा. सुधा सिंहा ने कविता पढ़ी– जहां तुम पहुंचे हो छलांग लगा के, मैं भी तो पहुंची मगर धीरे धीरे धीरे। डा. मीना कुमारी परिहार ने अपने अंदाज में गजल गाई– गजल प्यार की गुनगुनाने लगी है, हवा तुमको छुकर गाने लगी है। वरिष्ठ गीतकार मधुरेश नारायण ने गुनगुनाया– चांदनी रात का चांद मदहोश कर रहा है, पूरी धरा को अपने आगोश में ले रहा है। घुल गया है अमृत फिजाओं में हर तरफ, जिधर देखो उधर नशा-सा घोल रहा है। चर्चित शायर घनश्याम ने गजल गाई– भूत भय-भीरुता के भगा दीजिए, सुप्त निर्भीकता को जगा दीजिए। आंसुओं में न डूबे कहीं जिन्दगी, आंख में लाल सूरज उगा दीजिए! संजय कुमार संज ने कविता सुनाई– पढ़ोगे आप पढ़ेंगे हम पुस्तकालय में, बढ़ेंगे हम पढेंगे हम इस पुस्तकालय में। सिद्धेश्वर ने कविता पढ़ी– छलांग अगर लगा दिया तो सागर के उफानों से न डर, जीत जाओ या हार जाओ बाजी तू न यूं घबड़ा कर मर! वरिष्ठ गीतकार डा. विजय प्रकाश, नसीम अख्तर, सम्राट समीर, प्रणव पराग, कुमारी स्मृति, इन्दु उपाध्याय, शिवम, अवधेश जायसवाल, बजीर आदि कवियों ने भी अपनी काव्य रचनाएं पढ़ीं।
(रपट, तस्वीर : सिद्धेश्वर)
Good reporting.