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सीमा पर शहादत : लायंस क्लब की श्रद्धांजलि सभा, वीररस तुकबंदी में भी शोक-क्षोभ, शताब्दी समारोह में रस्तोगी दंपति गांधी-कस्तूरबा के भेष में

सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। लायंस क्लब इंटरनेशनल (जिला-322 ए) के पदाधिकारियों-सदस्यों द्वारा कैंडल जलाकर पुलवामा के शहीद सैनिकों के प्रति श्रद्धांजलि का सामूहिक प्रदर्शन किया गया। लायन्स क्लब आफ सासाराम के सदस्यों ने भी धर्मशाला रोड स्थित गांधी स्मारक परिसर में कैन्डल जलाया और एक मिनट का मौन रखा। श्रद्धांजलि संवेदना उपक्रम का आयोजन लायन्स क्लब के पूर्व जिला पाल डा. एसपी वर्मा के नेतृत्व में किया गया और इसके संयोजन में लायंस क्लब आफ सासाराम के अध्यक्ष रोहित वर्मा, उपाध्यक्ष संजय कुमार मिश्र, पीआरओ गौतम कुमार, सह कोषाध्यक्ष दीपक कुमार वर्मा, मेम्बरशीप चेयरमैन डाक्टर दिनेश शर्मा, डॉक्टर जावेद अख्तर, विजित कुमार बंधुल, राकेश रंजन, अक्षय कुमार, डा. विजय सिंह आदि ने सहयोग किया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : अर्जुन कुमार)

शब्दों की तुकबंदी के नए फ्यूजन मोड में भी संवेदना

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-विशेष संवाददाता। आत्मघाती आतंकी हमले में जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिले पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों को वीर-रस काल की कविताओं के अंदाज में भी गम गुस्सा की अभिव्यक्ति की गई। विभिन्न संगठनों ने अपनी-अपनी तरह से सामूहिक कैैंडिल मार्च, पुतला दहन आदि में शब्दों की तुकबंदी वाले नारों को जोड़कर नए फ्यूजन मोड में भी शोक-क्षोभ का प्रदर्शन किया। पाकिस्तान, वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान और आतंकी सरगना मसूद अजहर को लेकर तुकबंदियां ज्यादा की गर्इं।
रेलकर्मी बीरेंद्र पासवान ने श्रद्धांजलि सभा में अपनी ये पंक्तियां पेश की-
अब केवल आवश्यकता है हिम्मत की, खुद्दारी की।
दिल्ली केवल मौका दे दे, बस दो दिन की तैयारी की।।
भारत अखण्ड राष्ट्र है एक, सवा अरब की ताकत है।
कोई हमको आंख दिखा दे, किसकी भला हिमाकत है।।
भारत माता के बंटवारे की है जिनकी अभिलाषा।
वो समझेंगे अब अर्जुन के गाण्डीव की ही भाषा।।

शिक्षक-लेखक अरविंद कुमार ने एक शोकसभा ने अपनी संवेदना इस तरह व्यक्त की-
वतन पर मिट गए वो इस देश के खातिर।
हम राजनीति में झगड़ते रहे कुर्सी के खातिर।।
वो सीमा पर थे हमारी ही रक्षा के खातिर,
हम वैलेंटाइन-डे मनाते रहे किसके खातिर।

शिक्षण संस्थान के निदेशक रौशन सिन्हा ने कहा-
नेताओं क्यों बैठे हो, बदला लो गद्दारों से।
गर खून में गर्मी बाकी है, सर बिछा दो तलवारों से।
बदला लो तुम उन वीरों का सम्मान रखो।
माता-पिता और पुत्र के सिर भक्ति का ताज रखो।
गणित के व्याख्याता विजय चौबे ने कुछ इस तरह अपनी तुकांत संवेदना प्रस्तुत की-
निन्दा करना, घोर भत्र्सना, बदलो यह नीति हुईं पुरानी।
थर्रा दो पाक अधिकृत भूमि, व्यर्थ न जाने दो कुर्बानी।।
(रिपोर्ट, तस्वीर : उपेंद्र कश्यप)

शताब्दी समारोह में गांधी और कस्तूरबा के रोल-माडल भेष में रस्तोगी दंपति

कुदरा (कैमूर)-सोनमाटी संवाददाता। बिहार के पुराने डाकघर भवनों में से एक भागलपुर प्रधान डाकघर भवन के सौ साल पूरे होने पर समारोह का आयोजन कर विशेष डाकटिकट जारी की गई और इस अवसर पर आयोजित समारोह-कार्यक्रम में कुदरा की कलाकार रस्तोगी दंपत्ति ने प्रतीक-भेष-मुद्रा में भाग लिया। फिल्म अभिनेता सुरेंद्रकृष्ण रस्तोगी ने गांधी के भेष में और अभिनेत्री लोकगायिका राधाकृष्ण रस्तोगी ने कस्तूरबा के भेष में समारोह में बतौर विशेष प्रस्तुति शिरकत की। शताब्दी समारोह में दो दिवसीय रथ-यात्रा में डाक विभाग से अनेक संदेशों को प्रसारित-प्रचारित किया गया, जिसमें गांधी और कस्तूरबा का प्रतीक भी शामिल था। सुरेंद्रकृष्ण रस्तोगी और राधाकृष्ण रस्तोगी ने बताया कि उन्होंने गांधी के संदेशों के संचार के लिए रोल-माडल भेष का अनुकरण किया है।
(वाह्टसएप सूचना)

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