सरकार एक वर्ष तक दे विशेष आर्थिक पैकेज : डा. एसपी वर्मा
सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से निजी स्कूलों को कोरोना संकट से उबारने के लिए एक साल तक विशेष आर्थिक पैकेज देने की मांग की है। एसोसिएशन ने कोरोना काल की संकट अवधि में निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों को भी सरकारी स्कूलों में प्रति माह खर्च होने वाली रकम के अनुरूप आर्थिक सहायता देने की त्राहिमाम अपील मुख्यमंत्री से की है। मुख्यमंत्री से परिवहन टैक्स और परिवहन ऋण पर ब्याज को तत्काल माफ करने की अपील की गई है। एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री डा. एसपी वर्मा ने संतपाल स्कूल के आडिटोरियम में प्रेस कांफ्रेेंस में बताया कि राज्य के करीब 25 हजार छोटे-बड़े निजी विद्यालयों पर आश्रित लगभग 10 लाख शिक्षकों, कर्मचारियों, प्रबंधकों और उनके परिजनों की आर्थिक स्थिति कोरोना आपदा से अत्यंत दयनीय हो चुकी है। वेतन भुगतान के अभाव में शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक कार्यों से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार की स्थिति में हैं, उन पर आश्रित लाखों परिवार बेहद मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं और भुखमरी के दरवाजे की ओर अग्रसर हैं। सरकार की ओर से दिशा-निर्देश के अभाव में अभिभावकों और विद्यालयों के बीच फीस भुगतान को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर साफ-साफ मार्गदर्शन करना चाहिए, ताकि सभी अभिभावक समय पर विद्यालय शुल्क का भुगतान कर सकेें।
प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि मार्च महीने से कोरोना के कारण लगे लाकडाउन के बाद निजी विद्यालयों में शिक्षण शुल्क जमा नहीं होने से वेतन भुगतान संभव नहींरह गया है। वेतन के अलावा विद्यालयों पर भवन ऋण और मोटरवाहन ऋण की बैंक किस्त, बिजली बिल, व्यावसायिक टैक्स, परिपोषण का भी नियमित बोझ है। विषम परिस्थिति के बावजूद शिक्षक स्कूलों में आनलाइन शिक्षा दे रहे हैं। प्रेस वार्ता में एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रोहित वर्मा, मीडिया प्रभारी अर्जुन कुमार, जिला उपाध्यक्ष सुभाष कुमार कुशवाहा, सचिव समरेंद्र कुमार समीर, सह-सचिव संग्राम कांत, महामंत्री अनिल कुमार शर्मा, सुनील कुमार, संजय त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष कुमार विकास प्रकाश, संयोजक धनेन्द्र कुमार, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी दुर्गेश पटेल और जिला इकाई के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
रिपोर्ट : अर्जुन कुमार, मीडिया प्रभारी, प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन
बज्रपात से मौत का सिलसिला, कई जिलों में अलर्ट
पटना/डेहरी-आन-सोन/दाउदनगर (औरंगाबाद)-सोनमाटी टीम। राज्य में गत सप्ताह से जारी मुसलाधार बारिश के दौरान आसमानी बिजली (बज्रपात या ठनका) से रोहतास और औरंगाबाद सहित एक दर्जन से अधिक जिलों में महिला-बच्चों समेत १63 लोगों की मौत की खबर है। जुलाई के पहले हफ्ते में 67 और जून के आखिरी हफ्ते में 96 लोगों की मौत हुई। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने 05 जुलाई तक आसमानी बिजली से 120 लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए भारी बारिश के मद्देनजर कई जिलों के लिए अलर्ट भी जारी किया है। मुख्यमंत्री ने इस प्राकृतिक दुर्घटना के दिन ही आपदा राहत कोष से मृतक के परिजन को चार लाख रुपये देने की घोषणा की है। प्राप्त खबर के मुताबिक गोपालगंज जिला में 13, औरंगाबाद में 11, पूर्णिया, भागलपुर, मोतीहारी में 09-09, मधुबनी, सीवान में 08-08, भोजपुर, पटना में 07- 07, बाका में 06, रोहतास, समस्तीपुर, दरभंगा, खगडिय़ा, सारण में 05-05, शिवहर में 04, बेतिया, मधेपुरा, भागलपुर, वैशाली, जमुई में 03-03, कैमूर, बक्सर, जहानाबाद, सीतामढ़ी, नांलदा में 02-02 और जहानाबाद, किशनगंज, सहरसा, अररिया, बक्सर, छपरा में 01-01 मौत हुई। इस बार आसमानी बिजली ज्यादा मात्रा में पैदा हुई और इसका असर शहरी क्षेत्र में भी देखा गया। सासाराम में बाल विकास विद्यालय के करीब आसमानी बिजली से मोबाइल टावर में आग लग गई। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, देश में गुजरे चार हफ्तों में 12 फीसदी और बिहार में 36 फीसदी अधिक बारिश हुई। बारिश के दो सघन महीनों सावन-भादों से पहले की इस अवधि में राज्य में औसत 220 मिलीमीटर बारिश होती है। जबकि इस बार 360 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। बारिश के मौसम में बादलों में बिजली बनने की प्राकृतिक प्रक्रिया का शिकार खेतों में काम करने वाली ग्रामीण आबादी ज्यादा होती है। आसमान में बारिश में चमक रही बिजली के दौरान पेड़ के नीचे या उसके पास जाना खतरनाक हो सकता है। आकाश से आने वाली बिजली का संपर्क सबसे पहले पेड़ों से होता है। आसमान में गरजने वाले ऊपरे-निचले स्तर को बादलों के घर्षण से जो बिजली पैदा होती है, उसमेें 2.5 लाख वोल्ट मौजूद होता है।
रिपोर्ट : निशांत राज, इनपुट : पापिया मित्रा
कोरोना का सामुदायिक प्रसार अब बड़ी चुनौती
पटना/डेहरी-आन-सोन/सासाराम (सोनमाटी टीम)। अब कोरोना विषाणु जनित महामारी कोविड-19 का सामुदायिक प्रसार बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। राजद के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के बाद विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह की कोरोना पुष्टि के बाद राजधानी का राजनीतिक गलियारा सांसत में आ गया। विधान परिषद सभापति की पिछले पखवारा का संपर्क इतिहास खंगालना पड़ा और जितने लोगों का पता चल सका, उतने की कोराना जांच करानी पड़ी। 01 जुलाई को अवधेशनारायण सिंह ने विधान परिषद अध्यक्ष पद की शपथ ली थी। तब विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, सरकार के मंत्रियों, आला अधिकारियों और समर्थकों ने पटना में उनके दफ्तर, आवास पर उपस्थित होकर श्री सिंह को बधाई दी थी। संतोष की बात यह कि जांच में विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री की रिपोर्ट निगेटिव आई। श्री सिंह को बधाई देने वालों में डेहरी-आन-सोन, सासाराम, औरंगाबाद, दाउदनगर के विधायक, वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने के कारण इन जगहों पर भी संशय भरा डर कायम हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया में प्रथम कोरोना संक्रमित के चीन के वुहान में होने की पुष्टि 31 दिसम्बर 2019 को की थी। तब से गुजरे छह महीनों में 1.15 करोड़ लोग संक्रमित हुए, जिनमें से 66 लाख मरीज ठीक हो गए। 5.4 लाख की मौत हो गई। बाकी मरीज इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती हैं। भारत में 7.10 लाख संक्रमितों में से 4.25 लाख ठीक हो गए और 19700 की मौत हुई। बिहार में 12 हजार से अधिक संक्रमितों में 09 हजार से अधिक ठीक हुए और सौ की मौत हुई। रोहतास जिला में 383 कोरोना संक्रमितों में से 05 मरीजोंं और औरंगाबाद जिला में 304 संक्रमितों में 02 मरीजों की मौत हुई। बिहार के रोहतास जिला में 342 मरीज कोरोना से लड़ाई में जीत कर अस्पतालों से घर जा चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 मरीजों को हाइडा्रक्सीक्लोरोक्वीन (मलेरिया की दवा) और लोपीनाविर, रिटोनाविर (एचआईवी की दवा) देने के ट्रायल पर निश्चित असर का कोई परिणाम नहींमिलने के कारण रोक लगा दी है।
रिपोर्ट : कार्यालय प्रतिनिधि निशांत राज, इनपुट : पापिया मित्रा