भारत की पहली पन-चक्की/ पूरा हुआ अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण/ औरंगाबाद की सुगंधा इंटर टापर

भारत की पहली पन-चक्की : कल देश का अभिनव इतिहास, आज धरोहर

(मिल में नहर से जाता पानी)

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)/ दाउदनगर (औरंगाबाद)-निशान्त राज। विश्वविश्रुत सोन नहर प्रणाली के अंतर्गत सिपहालख (लाक) पर दाउदनगर में भारत की पहली टरबाइन (पानी की धारा) चालित लौह-कोल्हू तेल मिल (पन-चक्की) 106 साल पहले स्थापित हुई थी। कल यानी गुजरी 20वीं सदी के आरंभ में यह देश का अभिनव इतिहास था, जो आज भी यानी 21वीं सदी में कार्यरत धरोहर है। इस तेल मिल में पेरा (निकाला) गया सरसों तेल के लोग आज भी दीवाने हैं। शुद्धता की आंखोंदेखी गारंटी और आयुर्वेदिक उत्पाद जैसा प्राकृतिक होने की वजह से इस मिल में तैयार तेल का बूंद तक नहीं बचता। अब भी ग्रामीण 20वीं सदी की तरह कतार लगाकर इस पन-चक्की (मिल) का सरसों तेल खरीदने में परहेज नहीं करते, क्योंकि इस कोल्हू मिल का तेल साल भर खराब नहीं होता।

ब्रिटिश सरकार ने 1909 में संगम साहू से किया था करार :

(सोन नहर पर सिपहालख)

बारून (औरंगाबाद) से पटना की ओर जाने वाली पूर्वी मुख्य सोन नहर के पानी को सिपहालख से एक लिंक में रोककर उसकी धारा से टरबाइन (पन-चक्की) चलाने के लिए 05 अप्रैल 1909 को नासरीगंज मौजा, परगना सरांव के डोमा साव (साहू) के पुत्र संगम साहू ने बिहार-उड़ीसा की अंग्रेजी सरकार के प्रतिनिधि सिंचाई विभाग के अंग्रेज अधीक्षण अभियंता को आवेदन दिया था। 06 वर्ष बाद 04 अक्टूबर 1915 को 75 हार्स पावर ऊर्जा खपत की अनुमति के साथ बांकीपुर, पटना के अंग्रेज कार्यपालक अभियंता टी. एंटागोरस ने संगम साहू के साथ 750 रु. सालाना महसूल पर अनुबंध किया था। पन-चक्की चालित यह तेल, चावल, दाल, चूड़ा, आटा मिल अब भी संगम साह रामचरण राम आयल एंड राइस मिल के नाम से सात सदस्यीय प्रबंध समिति के जरिये संचालित हो रहा है।

संचालन समिति का लोकतांत्रिक चयन : उदय शंकर

(उदय शंकर)

संगम साहू के प्रपौत्र (परपोता) और मिल संचालन समिति के सदस्य मोहिनी समूह (डेहरी-आन-सोन) के प्रबंध निदेशक उदय शंकर ने ‘सोनमाटीडाटकाम‘ को बताया कि प्रबंध समिति दो वर्ष के लिए लोकतांत्रिक तरीके से चुनी जाती है। अभी इस समिति के अध्यक्ष शिवशंकर प्रासद, उपाध्यक्ष दीनानाथ प्रसाद, सचिव अशोक साहू, कोषाध्यक्ष रूपेश कुमार और तीन सदस्य उदय शंकर, अनंत प्रसाद और शिवनारायण प्रसाद हैं। सिपहालख के सामने रोहतास जिला में डेहरी-आन-सोन से आरा जाने वाली सोन नहर की मुख्य पश्चिमी शाखा के सवारीलख (नासरीगंज) पर भी ऐसी मिल (पन-चक्की) स्थापित थी, जो तीन दशक पूर्व बंद हो गई। उदय शंकर ने बताया कि महीने में करीब 20 टन सरसों की पेराई का कार्य होता है, जो सुबह 8 बजे से रात 12 बजे तक चलता है। अनुबंध में संगम साहू को तेल पेरने की 50 कोल्हू इकाइयों की 62.5 हार्सपावर ऊर्जा, आटा चक्की की 7.5 हार्सपावर ऊर्जा और अन्य कार्य की 5.0 हार्सपावर ऊर्जा के लिए नहर से पानी के उपयोग की इजाजत दी गई थी। अनुबंध के मुताबिक, नहर की दायींतरफ (पश्चिम) मिल स्थापित करने के लिए नहर विभाग की जमीन दी गई। निर्माण का कार्य पीडब्ल्यूडी ने किया था, मगर निर्माण सामग्री की आपूर्ति संगम साहू द्वारा की गई।

रूस में प्रशिक्षण पूरा, अगले साल अंतरिक्ष में जाएगा ‘गगनयान

भारत के प्रथम मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की तैयारी अगले चरण में पहुंच चुकी है। इस मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री के तौर चार भारतीय उम्मीदवारों ने रूस में अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। रूस की ओर से एक सरकारी बयान में यह जानकारी दी गई है। रूस के सरकारी बयान में बताया गया कि रूस अंतरिक्ष एजेंसी के महानिदेशक दमित्री रोगोजिन ने अंतरिक्ष यात्रा के भारतीय उम्मीदवारों के साथ अंतिम बैठक की, जिसमें माना गया कि चारों ने अंतरिक्ष प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया है। भारत की 10 हजार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष परियोजना ‘गगनयानÓ के अगले साल भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्षगांठ पर इसरो के अंतरिक्ष केेंद्र से प्रक्षेपित किए जाने की संभावना है। मानवयुक्त भारतीय अंतरिक्ष मिशन गगनयान का 3.7 टन वजनी अंतरिक्ष कैप्सूल भारत के तीन अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए तैयार किया गया है। इस कैप्सूल में बैठकर तीनों अंतरिक्ष यात्री सात दिनों तक 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे।
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के चार पायलट गगनयान परियोजना के संभावित उम्मीदवार हैं। इनमें से ही अंतरिक्ष यात्री के रूप में अंतिम चयन होगा। प्रशिक्षण पूरा होने की इस बैठक में रूस में भारत के राजदूत डीबी वेंकेटेश के साथ भारतीय उम्मीदवारों के प्रशिक्षण से संबंधित रूस की अंतरिक्ष प्रशिक्षण एजेंसी से जुड़े प्रतिनिधि शामिल थे। अंतरिक्ष उड़ान के भारतीय उम्मीदवारों के प्रशिक्षण के लिए ग्लाकोसमोस कंपनी (रूसी स्टेट कोरपोरेशन) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के बीच 27 जून 2019 को अनुबंध हुआ था। अनुबंध के बाद चार भारतीय उम्मीदवारों का प्रशिक्षण 10 फरवरी 2020 को प्रारंभ किया गया। प्रशिक्षण मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के प्रसार के मद्देनजर रोक दिया गया था, मगर इसे मई में फिर शुरू कर मार्च 2021 में पूरा कर लिया गया।

  • सोनमाटी समाचार नेटवर्क (तस्वीर : वीकिपीडिया पर इसरो के सौजन्य से)

औरंगाबाद की सुगंधा सहित विज्ञान, कला, वाणिज्य में बेटियां टापर

पटना/औरंगाबाद (कार्यालय प्रतिनिधि)। बिहार बोर्ड इंटर का आनलाइन रिजल्ट शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी और बिहार बोर्ड के चेयरमैन आनंद किशोर ने जारी किया। इस बार करीब 78 फीसदी परीक्षार्थी पास हुए हैं, जिनमें छात्राओं का जलवा रहा है। आटर्स, कामर्स, साइंस तीनों में लड़कियां टापर हुई हैं। 10 लाख 45 हजार 950 छात्र-छात्राओं में कला विषय में में 77.97 फीसदी, वाणिज्यशास्त्र में 91.48 फीसदी और विज्ञान में 76.28 फीसदी विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। करीब तीन लाख परीक्षार्थी फेल हो गए। इंटर की परीक्षा के लिए 7.03 लाख छात्रों और 6.46 लाख छात्राओं कुल करीब साढ़े 13 लाख छात्र-छात्राओं ने पंजीयन कराया था। बिहार बोर्ड के अनुसार, 2021 में इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा के लिए बिहार बोर्ड ने पहली बार 40 दिनों में इंटर का रिजल्ट जारी कर कीर्तिमान बनाया। बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर के मुताबिक, 2020 में रिजल्ट प्रोसेसिंग के लिए देश का पहला नया साफ्टवेयर तैयार किया गया, जिसकी स्पीड पिछले साफ्टवेयर की तुलना में 16 गुना ज्यादा है।
कामर्स में औरंगाबाद की सुगंधा कुमारी ने बिहार टापर बनी हैं। सच्चिदानंद सिन्हा महाविद्यालय, औरंगाबाद की छात्रा सुगंधा कुमारी को 471 अंक मिला है। यह प्राप्तांक बिहार में इंटर कामर्स 2021 की परीक्षा में आने वाला सबसे अधिक है। साइंस संवर्ग में नालंदा जिला की सोनाली कुमारी ने टाप किया है। परमेश्वरी देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बिहारशरीफ की इस छात्रा को 471 अंक मिला। सोनाली कुमारी नालंदा शहर में ठेले पर खाने-पीने का सामान बेचने वाले चुन्नी लाल की बेटी हैं। इस बार कला संवर्ग में खगडिय़ा के आरएल कालेज की मधु भारती और जुमई के सिमुलतला आवासीय स्कूल के कैलाश कुमार संयुक्त रूप से बिहार में टापर हुए हैं। दोनों को 463 अंक (92.6 फीसदी) प्राप्त हुए हैं। पिछले साल लड़की ही टापर थी।

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