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त्रासदी : मानव का मशीनीकरण, मशीन का मानवीकरण!

  • त्रासदी :  मानव का मशीनीकरण, मशीन का मानवीकरण !

21वींसदी की यह दुनिया पूरी तरह अति उच्च, पर अजीबो-गरीब तकनीक की गिरफ्त में भी कसती जा रही है। विभिन्न देशों की प्रयोगशालाओं में मानव मेधा की चरम परिणति वाले ‘नई सृष्टि’ के तरह-तरह के प्रयोग जारी हैं। इसका अंजाम क्या होगा? यह शायद तकनीक को विकसित करने वाले वैज्ञानिक भी नहीं जानते। जहां के शासक सनकी हैं, वहां तो सृष्टि (पृथ्वी) को ही खत्म करने वाले प्रयास जारी हैं। जैसे कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के बावजूद उत्तर कोरिया ने बैलेस्टिक मिसाइलों को विकसित करने के कार्यक्रम पर रोक नहींलगाई है और खुलेआम अमेरिकी जैसी विश्व महाशक्ति पर परमाणु आयुध से हमले की चुनौती भी दी है। अगर सचमुच किसी दिन अपने सनकी तानाशाह के नेतृत्व में उत्तर कोरिया ने अमेरिका पर हमला कर दिया तो वह दिन दुनिया के महाविनाश की ही शुरुआत होगी।


सऊदी अरब के रियाद में 85 देशों के फ्यूचर इन्वेस्टमेंट सम्मेलन में भविष्य की तकनीक के विभिन्न रूपों के प्रदर्शन के पक्ष में तर्क दिए गए। इस सम्मेलन में सऊदी अरब की रोबोट सोफिया ने तो बतौर वक्ता भाग लिया और उससे एक पत्रकार ने इंटरव्यू भी लिया। सोफिया को हांगकांग की हैनसन रोबोटिक्स कंपनी ने बनाया है। महिला भूमिका वाली सोफिया (रोबोट) हांड-मांस के इंसानों के बीच ही रहेगी। भले ही उसमें प्रजनन करने की इंसानी क्षमता न हो,पर वह इंसानों की तरह ही रहेगी और इंसानों से उन्ही की तरह बात-व्यवहार करेगी। दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी देश (सऊदी अरब) ने रोबोट को अपने देश की नागरिकता प्रदान की है। जहां अनेक देशों में लाखों लोग शरणार्थी बनकर दर-दर भटकने को लाचार हैं, वहां सोफिया को नागरिक मानना इसी बात का एकांगी उद्घोष है कि मानव के मशीनीकरण और मशीन के मानवीकरण का एक नया दौर शुरू हो चुका है। त्रासदी का यह दौर इस सदी तक किस पायदान तक पहुंचेगा, इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता।

-संपादकीय/कृष्ण किसलय

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