निभाया वादा, पूरी की मातृभूमि पर दफन करने की ख्वाहिश,
शौहर की लाश को कनाडा से भारत (डेहरी-आन-सोन) ले आई विदेशी बीवी
प्रसिद्ध राष्ट्रवादी राजनेता व स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल क्युम अंंसारी के भतीजे थे मुनु अंसारी
डेहरी-आन-सोन (बिहार) –सोनमाटी समाचार। अपनी मिट्टी से मोहब्बत ऐसी कि सात समंदर से भी आगे करीब 12 हजार किलोमीटर दूर उत्तरी अमेरिका के देश कनाडा में जा बसे मुनु अंसारी की ख्वाहिश अपनी मातृभूमि पर ही दफनाए जाने की थी। उनकी जिंदगी के अंतिम दिनों की यह इच्छा कनाडियन पत्नी कैरेन अंसारी ने पूरी की।
मुनु अंसारी की मौैत 65 साल की उम्र में लंबी बीमारी के कारण कनाडा में 9 नवंबर को हो गई। शव को विदेश से लाए जाने की औपचारिकता पूरी करने के बाद कैरेन हवाई जहाज से मौत के 21 दिन बाद अपने शौहर के शव को लेकर डेहरी-आन-सोन (बिहार) पहुंची, जहां बस्तीपुर के कब्रिस्तान में मुनु अंसारी के शव को मुस्लिम विधान के साथ दफनाया गया।
मुनु अंसारी बिहार के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी राजनेता व स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल क्युम अंंसारी के भतीजे और उनके छोटे भाई कवि अंसारी के बेटे थे। मुनु अंसारी का जन्म डेहरी-आन-सोन के तारबंगला स्थित हाई स्कूल के सामने वाली अपने समय की सबसे खूबसूरत अंसारी बिल्ंिडग (साकिया भस्कन) में हुआ था।
साकिया भस्कन आज वीरान पड़ा हुआ है। अब्दुल क्युम अंसारी के छोटे भाई मेकेनिकल इंजीनियर रहे स्वर्गीय कवि अंसारी डेहरी-आन-सोन के न्यू डिलियां में रहते थे। अब न्यू डिलियां में मुनु अंसारी के भाई परकास अंसारी, बाबू अंसारी और बावली अंसारी रहते हैेंं।
दोस्ती हुई और पति-पत्नी बन गए दोनों
भारत में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मुनु अंसारी कनाडा चले गए थे और आईसीटीएन के अध्यापक के रूप में करियर की शुरुआत की थी। मृत्यु के समय वह होटल डाइरेक्टर थे। अध्यापन कार्य के दौरान ही उनकी दोस्ती मेडिसिन साइंटिस्ट कैरेन अंसारी हुई और दोनों के संबंध पति-पत्नी के रिश्ते में बदल गया।
मुनु अंसारी ने पत्नी से कहा था, उनकी इच्छा मौत के बाद उन्हें अपनी मातृभूमि, अपनी माटी पर ही दफनाए जाने की है। विदेशी बीवी ने उनकी अंतिम समय की यह इच्छा पूरी की और लाश को कनाडा जैसे विकसित व साधनसंपन्न देश से भारत ले जाने का झंझट झेलकर भी वह छोटे व अपेक्षाकृत पिछड़े शहर डेहरी-आन-सोन पहुंची।
(वेब रिपोर्टिंग : वारिस अली)