अभिनव सिन्हा भविष्य के स्वप्नदर्शी वास्तुविद : सुरेश गुप्ता
पटना/दाउदनगर (औरंगाबाद)-कार्यालय प्रतिनिधि निशान्त राज। नेशनल एप्टीट्यूड टेस्ट इन आर्किटेक्टर (नाटा) में अभिनव सिन्हा ने देश में सर्वोच्च श्रेणी प्राप्त की है। अभिनव के पिता मनोज कुमार सिन्हा पटना स्थित मैक्सी कन्सलटेंसी के प्रबंध निदेशक और मां डा. सोनिका सिन्हा गृहिणी हैं। इस परीक्षा (नाटा) को काउंसिल आफ आर्किटेक्चर साल में दो बार आयोजित करती है, जिसमें परीक्षार्थी के वास्तुविद के रूप में योग्यता का आकलन किया जाता है। यह मापा जाता है कि भावी वास्तुविद के रूप में परीक्षार्थी की क्षमता कल्पना-शक्ति और सौंदर्य-बोध की कसौटी पर कैसी और कितनी है? नाटा के जरिये पांच वर्षीय बैचलर आफ आर्किटेक्ट पाठ्यक्रम के अंतर्गत वास्तुविद बनाने वाले देश के श्रेष्ठ महाविद्यालयों में दाखिला मिलता है। हर साल दो बार होने वाली इस परीक्षा में शामिल होने का अवसर कम-से-कम 50 फीसदी अंक से गणित विषय के साथ 12वींपरीक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थी को मिलता है। अभिनव सिन्हा औरंगाबाद जिला के दाउदनगर स्थित अग्रणी प्रतिष्ठित विद्यानिकेतन विद्यालयसमूह के 12वींतक के नियमित छात्र थे। विद्या निकेतन विद्यालयसमूह के अध्यक्ष सुरेश प्रसाद गुप्ता, सीईओ आनंद प्रकाश, डिप्टी सीईओ विद्या सागर और प्राचार्य सूरजलाल दास (संस्कार विद्या) ने अभिनव सिन्हा की इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है और इसे स्कूल की विद्या साधना का प्रतिफल बताया है। सुरेश प्रसाद गुप्ता ने कहा कि अभिनव नए भारत के स्वप्नदर्शी वास्तुविद हैं। आनंद प्रकाश और विद्या सागर ने यह कामना की है कि अपना सपना, अपनी संकल्पना, अपनी सौंदर्य दृष्टि को प्रभावकारी वृहत्तर रूप में साकार करने में अभिनव सिन्हा कामयाबी के नव शिखर-कलश बनेंगे।
कोलकाता पोर्ट का नामकरण सुभाषचंद्र बोस के नाम पर क्यों नहीं ?
कानपुर/कोलकाता (विशेष संवाददाता आकांक्षा सक्सेना)। अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन (आईएचआरओ) ने केंद्र सरकार की कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नामकरण श्यामाप्रसाद मुखर्जी के नाम पर करने की घोषणा पर सवाल खड़ा किया है कि नामकरण भारतीय स्वाधीनता संग्राम के शीर्ष नायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर क्यों नहीं, जिनकी अनेक स्मृतियां कोलकाता पोर्ट से जुड़ी हुई हैं। एक कार्यक्रम में संगठन से जुड़े बुद्धिजीवियों ने केंद्र सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की। बताया कि कोलकाता और पश्चिम बंगाल की आस्था-अस्मिता नेताजी से बहुत गहरी जुड़ी हुई हैं। उनके सम्मान की अनदेखी कभी भी जनआंदोलन का आकार ग्रहण कर सकती है। बताया गया कि नेताजी ने ब्रिटिश सरकार से नौकरी का प्रस्ताव ठुकरा कर सुरक्षित जीवन जीने के बजाय देश की आजादी की जंग लडऩे का फैसला किया। कोलकाता बंदरगाह से ही नेताजी ने जहाज के जरिये विदेश यात्राएं कीं और जनवरी 1925 में यहींसे उन्हें मंडलाया जेल ले जाया गया। कार्यक्रम में श्यामाप्रसाद मुखर्जी भी नेताजी का सम्मान करते थे। आईएचआरओ के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष के सैय्यद ऐजाज अली, महासचिव सौम्या शंकर बोस, विधायक सुजन चक्रवर्ती, प्रो. प्रसादरंजन दास (देशबंधु चित्तरंजन दास के भतीजा), देवव्रत राय (फारवर्ड ब्लाक), सुमेरु चौधरी आदि शामिल थे। कार्यक्रम का समापन जयहिंद के सामूहिक घोष के साथ हुआ।
डा. यूपी वर्मा के निधन पर शोकसभा
हाजीपुर (सोनमाटी संवाददाता संजय विजित्वर)। प्रतिष्ठित चिकित्सक डा. यूपी वर्मा के निधन पर एक निजी अस्पताल परिसर में डा. रंजन की अध्यक्षता और कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री रंजीत श्रीवास्तव के संचालन में शोकसभा का आयोजन किया गया। हाजीपुर सदर अस्पताल में उपाधीक्षक, नालंदा जिला के सिविल सर्जन रह चुके डा. यूपी वर्मा बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य निदेशक पद पर कार्यरत थे। डा. वर्मा कोरोना से संक्रमित थे अ ौर तबीयत ज्यादा खराब होने के पर उन्हें पटना एम्स में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। यहां से उनका स्थानांतरण दो वर्ष शोकसभा में अभय कुमार, मधुसूदन तिवारी, पप्पु कुमार, धनोज कुमार, उमेश कुमार, जयंत राज, नन्दनी आदि उपस्थित थे। कायस्थ महासभा के जिला अध्यक्ष रबिन्द्र रतन के नेतृत्व में चित्रांशों ने भी दो मिनट का मौन रखकर सामूहिक शोक व्यक्त किया।