
मंजे हुए रणनीतिकार के विरुद्ध अन्य विकल्प

पटना/डेहरी-आन-सोन/दाउदनगर-(सोनमाटी टीम)। बिहार विधानसभा के प्रथम चरण में हो रहे 71 सीटों के निर्वाचन के लिए 1065 प्रत्याशी मैदान में हैं। राजनीतिक दल जातियों को आधार बनाकर अपनी-अपनी सियासी बिसात बिछा चुकी हैं। जनता के सामने मुख्यमंत्री उम्मीदवारों के जो चेहरे है, उनमें 15 साल राज करने वाले मंजे हुए राजनीतिक रणनीतिकार नीतीश कुमार का पहले नंबर पर है। दूसरे नंबर पर कम अनुभवी युवा राजद नेता तेजस्वी यादव और तीसरे नंबर पर दिवंगत रामविलास पासवान के पुत्र लोजपा प्रमुख चिराग पासवान का चेहरा विकल्प के तौर पर मौजूद है। इनके अलावा मुख्यमंत्री के दो घोषित चेहरे उपेंद्र कुशवाहा और पप्पू यादव हैं, जो भविष्य और संभावना के गणित के चेहरे हैं। एक और प्रतीकात्मक घोषित युवा चेहरा लंदन रिटर्न पुष्पा प्रियम चौधरी का है। नीतीश कुमार सुशासनकर्ता के रूप में, तेजस्वी यादव गरीब के बेटा के रूप में, चिराग पासवान दलित-पुत्र के रूप में और उपेंद्र कुशवाहा कुशासन हटाओ का प्रचार कर रहे हैं।
होगा फैसला : राजद के पक्ष में था मतदान या जदयू-भाजपा का पलड़ा भारी ?

आरक्षण को खतरे में बताकर राजद पिछड़ों-दलितों को अपनी ओर करने की कोशिश में है। इस बार मत धुव्रीकरण का सांप्रदायिकता का कार्ड नहीं है। भाजपा सवर्ण वोट के अलावा यादव और अन्य जातिगत समीकरण साधने में जुटी है। कांग्रेस अपने परंपरागत वोट बैंक भूमिहार-ब्राहमण को रिझा रही है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद को मुस्लिम-यादव समीकरण पर भरोसा है। जदयू दलित कार्ड खेल कर लोजपा की मुश्किल बढ़ा दी है। राजद मान रहा है कि 2015 में उसके पक्ष में मतदान हुआ था और बाद में नीतीश कुमार दिए गए जनमत के विरुद्ध भाजपा के साथ सत्ता पर आसीन हो गए। 2015 में राजद और जदयू ने भाजपा, रालोसपा, लोजपा के विरुद्ध साझा चुनाव लड़ा था, मगर जदयू राजद से अलग हो गया था। 28 अक्टूबर को जिन 71 क्षेत्रों में प्रथम चरण का चुनाव हो रहा है, उन पर 2010 में साझा चुनाव लड़ कर जदयू ने 39 और भाजपा ने 22 क्षेत्रों पर कब्जा जमाया था। राजनीति के टेढ़े समीकरण में 28 अक्टूबर को मतदान के जरिये बिहार के मतदाता फैसला करेंगे कि जदयू-भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा या नहीं और यह भी कि क्या सचमुच 2015 का मत राजद के पक्ष में था?
सोन नद के कछार पर बड़ी दिलचस्प है लड़ाई

बिहार विधानसभा चुनाव में दक्षिणी सीमांचल के सोन नद के कछार पर इस पार और उस पार दोनों ओर दो सीटों पर दिलचस्प लड़ाई है। वैसे तो सोन के पश्चिम के डिहरी विधानसभा क्षेत्र में और पूरब के ओबरा विधानसभा क्षेत्र में ऊपरी तौर पर सीधा जन-युद्ध एनडीए और महागठबंधन का दिखता है, मगर कई कारणों से दोनों ही तरफ त्रिकोण है। इन कारणों में घरवाला-बाहरवाला की जंग के साथ विद्रोह के संग और मलाल के तंग जैसे समीकरण भी हैं, जो प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों का खेल बनाने-बिगाडऩे का दम भर रहे हैं। डिहरी विधानसभा क्षेत्र में 2015 में राजद के पूर्व मंत्री इलियास हुसैन को 49 हजार, रालोसपा के जीतेंद्र कुमार को 45 हजार और पूर्व विधायक प्रदीप जोशी को 29 हजार मत मिले थे। अलकतरा घोटाला में इलियास हुसैन को सजा होने के बाद 2019 में हुए उपचुनाव में भाजपा के सत्यनारायण सिंह यादव को 72 हजार, राजद के फिरोज हुसैन (इलियास हुसैन के बेटा) को 38 हजार और राष्ट्र सेवा दल के प्रदीप जोशी को 14 हजार मत मिले। इस बार राजद ने फिरोज हुसैन को टिकट नहीं देकर नया चेहरा फतेबहादुर सिंह को टिकट दिया है। ओबरा में 2015 में राजद के वीरेंद्र कुमार सिंहा को 56 हजार, रालोसपा के चंद्रभूषण वर्मा को 44 हजार, भाकपा-माले के राजाराम सिंह को 22 हजार और पूर्व थानाध्यक्ष स्वराज पार्टी के सोम प्रकाश को 10 हजार मत मिले थे। यहां राजद के मतदाताओं में विधायक का ही टिकट कटने का मलाल है, क्योंकि विधायक वीरंद्र कुमार सिंहा के बदले ऋषि कुमार (पूर्व केेंद्रीय मंत्री कांति सिंह के पुुत्र) को टिकट मिला है। भाकपा-माले का प्रत्याशी इस बार यहां नहीं है और उसका समर्थन राजद को है।
ओबरा और डिहरी दोनों जगह टिकट कटने का मलाल :

ओबरा में मजबूत माने जाने वाले लालू-तेजस्वी के उम्मीदवार ऋषि कुमार (राजद) और मोदी-नीतीश के उम्मीदवार सुनील कुमार (जदयू) को मतदाता बाहरी मान रहे हैं। लोजपा के डा. प्रकाश चंद्र दाउदनगर निवासी सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद हैं। ओबरा में विधायक को टिकट नहीं देने का अंतरविरोध है तो करीब छह दशक तक मुस्लिम प्रतिनिधित्व वाला सीट बने रहने के बावजूद डिहरी में फिरोज हुसैन का टिकट कटने से मुस्लिमों के बीच बेचैनी है। डिहरी में मतदाता घरवाला उम्मीदवारों में काम करने, सरकार बनाने वाला बेहतर के हिसाब से मंथन कर रहे हैं, जहां निर्दलीय राजीवरंजन कुमार उर्फ राजू गुप्ता की मौजूदगी से एक और कोण बना है। डिहरी में पूर्व-विधायक प्रदीप जोशी और ओबरा में पूर्व-विधायक सोम प्रकाश पहले से ही बड़ा कोण रहे हैं, जिनके जनाधार बड़े दल से जुड़ाव नहीं होने के बावजूद बरकरार हैं और जिन्हेंं सियासी हालात या जाति-धर्म, अगड़ा-पिछड़ा, दलित-सवर्ण के तंग-संग में बंटे वोटरों के किसी करवट का इंतजार है।
रिपोर्ट : कृष्ण किसलय,
तस्वीर, इनपुट : निशांत राज, पापिया मित्रा
बीसीए : कागजात जमा करने का एक हफ्ते का वक्त

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। रोजगारपरक शिक्षा के उद्देश्य के अंतर्गत वीरकुंवरसिंह विश्वविद्यालय के अंतर्गत शहर के अग्रणी महिला महाविद्यालय डालमियानगर में नए सत्र 2020-21 से तीन वर्षीय पाठ्यक्रम बीसीए (बैचलर आफ कंप्यूटर एपलायंस) की पढ़ाई होने जा रही है। बीसीए में उन छात्राओं का नामांकन हो रहा है, जिन्होंने 45 फीसदी अंक के साथ गणित विषय में इंटरमीडिएट किया है। नामांकन की डेडलाइन 21 अक्टूबर रखी गई है, जिस दिन तक छात्राएं अपने संबंधित कागजात जमा करेंगी। महिला कालेज डालमियानगर के प्राचार्य डा. सतीश नारायण लाल ने सोनमाटी को बताया कि महाविद्यालय में बीसीए के पठन-पाठन के लिए पर्याप्त संसाधन है और इस पाठ्यक्रम में निशुल्क आनलाइन प्रवेश लिया जा रहा है। विश्वविद्यालय ने 2020-21 के सत्र में नामंकन के लिए 60 सीटों की स्वीकृति दी है। नामांकित छात्राओं को अपने संबंधित दस्तावेज 21 अक्टूबर तक कालेज कार्यालय में जमा करना है। जिन छात्राओं के दस्तावेज जमा नहीं होंगे, उनके नामांकन रद्द कर दिए जाएंगे।
रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज
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