विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण


पटना-विशेष संवाददाता। पिछले दिनों बिहार विधान परिषद के वातानुकूलित सभागार में हिंदी की नवोदित कवयित्री स्मिता गुप्ता का सद्यः प्रकाशित काव्य संग्रह ‘सुनो गंडक’ का लोकार्पण सह विमोचन विधान परिषद के उप सभापति एवं हिंदी साहित्य के प्रख्यात समालोचक प्रो. रामवचन राय की अध्यक्षता में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार अवधेश प्रीत, वरिष्ठ कवि रमेश ऋतंभर, चर्चित कहानीकार कमलेश, वरिष्ठ कवि शहंशाह आलम, कहानीकार एवं समालोचक सुनीता सृष्टि, पत्रकार सुरेंद्र मानपुरी, कवि एवं समालोचक चंद्रबिंद और वरिष्ठ कवि कुमार बिंदु ने किया। लोकार्पण की रस्म पूरी होने के बाद स्मिता गुप्ता ने गंडक को संबोधित तथा कुछ अन्य अपनी पसंदीदा कविताओं का पाठ किया।


काव्य संग्रह ‘सुनो गंडक’ पर अपने उद्गार प्रकट करते हुए उपसभापति प्रो. रामवचन राय ने कहा कि महाभारत और पुराणों में वर्णित गंडक नदी पर लिखी गई कविताएं पहली बार मुझे इस काव्य संग्रह में पढ़ने को मिली। मुझे लगता है कि स्मिता गुप्ता से पहले किसी ने गंडक को संबोधित करके कविताएं नहीं लिखी है। इस संभावनाशील कवयित्री को बधाई और शुभकामनाएं ! वहीं, वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार अवधेश प्रीत ने कहा कि प्रेम करना एक जोखिम भरा कार्य है और आज इस अप्रेम की स्थिति- परिस्थिति में प्रेम कविता लिखना भी आसान नहीं है, क्योंकि प्रेम सदियों से अपराध माना जाता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सुनो गंडक काव्य संग्रह में प्रेम के आग्रह की कविताएं हैं। हालांकि सामाजिक सरोकार की भी कविताएं संकलित हैं।
‘सुनो गंडक’ पर हिंदी के वरिष्ठ कवि रमेश ऋतंभर, साहित्यकार एवं पत्रकार कमलेश, कवि शहंशाह आलम, पत्रकार सुरेंद्र मानपुरी, समालोचक सुनीता सृष्टि, युवा कवि एवं आलोचक चंद्रबिंद आदि ने भी अपने विचार प्रकट किए। प्रारंभ में सभी प्रमुख अतिथियों को अंग वस्त्र और पौध देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन बिहार सरकार के पूर्व अवर सचिव रामेश्वर चौधरी एवं युवा कवयित्री लता प्रासर ने संयुक्त रूप से किया। अंत में, धन्यवाद ज्ञापन पत्रकार रजनीश ने किया।


मौके पर स्त्रीकाल के संपादक संजीव चंदन, लेखक अरुण नारायण, श्रीमती लीलावती देवी, डा. स्नेहलता सिन्हा, कवि अंचित, कवि राकेश प्रियदर्शी, कहानीकार डा. अर्चना सिन्हा, रूबी भूषण, आचार्य विजय गुंजन, चितरंजन भारती, पत्रकार संतोष कुमार, योगेश चक्रवर्ती, बीएसएनएल के एजीएम संजय भगत, चंदन गांधी, विजय गुप्ता, अशोक गुप्ता, पूनम विजय, पूनम गुप्ता, सृष्टि गुप्ता, आभासित, सत्यम के अलावा बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी और बुद्धिजीवी उपस्थित थे।

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