पटना – कार्यालय प्रतिनिधि। धान-परती भूमि में सिंचाई व नमी की कमी के कारण फसल उत्पादन में समस्या आती है। साथ ही, पर्याप्त दलहन एवं तिलहन की अल्पावधि किस्मों की अनुपलब्धता एवं किसानों में जागरूकता की कमी भी इसका कारण है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के निदेशक डॉ. अनुप दास के नेतृत्व में पूर्वी भारत में धान-परती क्षेत्र को हरा-भरा करने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत गया जिले में धान-परती क्षेत्र को हरा-भरा करने के लिए क्षमता निर्माण और प्रदर्शन कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसका कार्यान्वयन डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक की बहु-विषयक टीम द्वारा किया रहा है।
इस दिशा में शुक्रवार को गया जिले के टेकारी प्रखंड स्थित गुलेरियाचक ग्राम में किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से अवगत कराया। कार्यक्रम के तहत किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि कैसे जमीन में मिट्टी की नमी को बरकरार रखकर दलहन और तिलहन फसलों का सफलतापूर्वक उत्पादन किया जा सके। समय-समय पर संस्थान के विशेषज्ञों की टीम द्वारा इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है।