तुमने विषपान किया है

कवि-संपादक और राजनीतिक टिप्पणीकार मनोज कुमार झा यानी मनोज मित्र भले ही आज उनके शहर डेहरी-आन-सोन की सीधी स्मृति में नहींहो, मगर वह वह बिहार के डेहरी-आन-सोन से दूर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली) में पत्रकारिता में बतौर नौकरी सक्रिय रहते हुए डेहरी-आन-सोन, रोहतास जिला और सोन नदी अंचल से जुड़े हुए भी हैं। इनकी कविताएं बताती हैं कि मनोजकुमार झा साहित्य लेखन की ऊंचाई मापने की ओर निरंतर अग्रसर रहे हैं। 35 साल से अधिक समय गुजर चुका है, कवि-संपादक मनोज मित्र को उनका शहर इस बात को भूल चुका है कि उन्होंने 1981-82 में करीब दो साल तक सुरुचिपूर्ण मासिक ‘कलमकारÓ का नियमित प्रकाशन (प्रधान संपादक विद्यासागर मिश्र, संपादक मनोज मित्र, सह संपादक सतीश सारंग) किया था, जिस पत्रिका ने डेहरी-आन-सोन और सोनघाटी के रोहतास, औरंगाबाद सहित आसपास के इलाके में साहित्यिक माहौल बनाने में उल्लेखनीय भूमिका अदा की थी। अभी इसी महीने बाजार में उनकी किताब (दूसरी कविता संग्रह ‘तूमने विषपान किया हैÓ) छपकर आई है। इस कविता संग्रह पर देश के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित कवि दिविक रमेश ने समीक्षा लिखी है, जो सोनमाटी के, विशेषकर डेहरी-आन-सोन, रोहतास जिला और सोनघाटी क्षेत्र के साहित्यानुरागी पाठकों के ध्यानार्थ प्रस्तुत है। – संपादक : सोनमाटी।

वाट्सएप पर दिल्ली में रह रहे डेहरी-आन-सोन (बिहार) के वरिष्ठ कवि-लेखक-पत्रकार कौशलेन्द्र प्रपन्न की यह टिप्पणी–
बधाई मनोज जी नई किताब (कविता संग्रह) के लिए और वरिष्ठ कवि-समीक्षक डा.दिविक रमेश की समीक्षा बेहद मौजूं है। दिविक जी का आर्शीवाद मुझे भी मेरी किताब (भाषा, बच्चे और शिक्षा) में मिल चुकी है।


 

 

कविता संग्रह – तुमने विषपान किया है

समीक्षा   – दिविक रमेश

कवि :  मनोज कुमार झा

तुमने विषपान किया है’ हाल ही में प्रकाशित हुआ है। यह मनोज कुमार झा का यह दूसरा संग्रह है। संग्रह में इसी शीर्षक से एक कविता भी है। इनका पहला सग्रह ‘लाल-नीली लौ’ था। मनोज कुमार झा एक चर्चित पत्रकार भी हैं। बहुत ही निर्भीक, अभिव्यक्ति के खतरे उठाने वाले और ईमानदार व्यक्तित्व के धनी हैं, सच को बेबाक कहने वाले।

यूं कवि ‘सच को सच की तरह कहने’ के परिणाम से परिचित न हो, ऐसा भी नहीं है – ‘सच को सच की तरह कहा/ तो सच काटने दौड़ा/ मेरा गला दबाने लगा/ और मैं छटपटाने लगा।

संग्रह की कविताओं से स्पष्ट है कि ये जीवन, समाज और आसपास घट रहे के प्रति गहरी दृष्टि रखते हैं और गहरा सरोकार भी। मीडिया, बाजारवाद आदि सब के प्रति कवि की निगाह है। लेकिन इनकी कविता किसी मोर्चे पर डटे रहने के बावजूद, इनकी शैली शोर मचाने वाली न होकर गम्भीर और चिंतन-प्रशस्त करने वाली है।

यूं भी कविता इनके लिए ‘…महज शब्द नहीं/ …जीने की आखिरी शर्त है।‘   संग्रह में अनेक कविताएं हैं जिनके माध्यम से कवि की कविता संबंधी अवधारणा ही नहीं, बल्कि प्रतिबद्धता को भी समझने का अवसर मिलता है। एक अंश जानिए:

कविता तुझसे मेरा पुनर्मिलन है

कविता मेरी ही खुद की तलाश है

यह मेरी आत्मा का दुर्ग है

यहां मैं हमेशा किसी न किसी मोर्चे पर होता हूं

कविता ने मुझे बताया बारूद, गोली और भीषण हथियारों से

रक्तपात और दुश्मनों के संहार से जीवन समाज मनुष्य नहीं बदलेगा

कविता में इतिहास का बोध है

कविता दुख की गाथा है तो सुख की कितनी बड़ी अमिट आकाँक्षा है।

अच्छी बात यह है कि कवि की दृष्टि भले ही स्थितियों की क्रूरता को पूरी भयावहता और चालाकियों के साथ विद्यमान कर रही हो, जैसे ‘अंधेर नगरी’ में, लेकिन वह टूटने, भ्रमित होने और नाउम्मीदी की राह पर नहीं ले जाती। वेदनामय आक्रोश जरूर है, जैसा एक कविता ‘जल रहा है जनतंत्र’ में महसूस किया जा सकता है। कवि के सामने हर क्षण अकेले होते जा रहे व्यक्ति को भयमुक्त और अँधेरे से दूर करने की चिंता है तो चुनौती भी, लेकिन राह के रूप में उसके पास कोई प्यार भरी उम्मीद की डोर भी है, जिसके प्रति वह आश्वस्त है।

इन कविताओं में सुखद नाटकीयता और संबोधन शैली का भरपूर प्रयोग किया गया है। बार-बार एक रहस्यमयी विविधरंगी ‘तुम’ की उपस्थिति होती रहती है, जो विचलित होते व्यक्ति की शक्ति के रूप में है। इतना ही नहीं, अपवादस्वरूप यदि यह ‘तुम’ उदास होता है तो उसके लिए भी काव्यमय समझ आ खड़ी होती है – अब तुम इतने उदास क्यों होते हो/जिंदगी में गम के सिवा क्या कुछ और नहीं/ ….यह लोक उतना ही नहीं है जो दिख रहा है। (कविता: यह संसार बस ऐसा ही नहीं है)

कवि की ताकत कुछ उन कविताओं में भी देखी जा सकती है जो लोक के अनुभव से उपजी हैं और उनमें लोक को भाषा आदि स्तर पर जिस तरह पिरोया गया है, वह निश्चित रूप  से प्रभावशाली है। इसके लिए विशेष रूप से ‘जब खाना नहीं मिलेगा’ कविता को अवश्य पढ़ा जाना चाहिए। यूं अपने गांव के प्रति लगाव, उसमें से उभरता शहर (दिल्ली) की ओर दौड़ने की विवशता पर महीन व्यंग्य और गांव से दूर हो जाने पर गांव की निगाह में अपनी पहचान खोने की यथास्थिति का दर्द बहुत मार्मिक ढंग से ‘मुझे किसी ने नहीं चीन्हा’ कविता में आया है। कुछ कविताएं, जैसे पाप-मोचन आदि अपनी ओर देखने की शैली में अच्छी बन पड़ी हैं।

एक बहुत ही अच्छी कविता है – पेड़। कहन और भाषा की ताकत क्या होती है, इसका भरपूर परिचय इस अकेली कविता से मिल सकता है। संग्रह की अन्य बेहतरीन कविताओं में ‘कोयला’, ‘भूख का इतिहास’, ‘जादू का घर’, ‘जब दुनिया ही एक बाजार है’, ‘कौन लिखेगा’, ‘मुझे अपना लोगे’, ‘घर नहीं है’, ‘अव्यक्त ही रहेगा’, ‘वो कौन औरतें थीं’, ‘अब वो नहीं मिलेंगे’, ‘बहुत ही एकांत में’ आदि को अवश्य स्थान दिया जा सकता है। नि:संदेह यह संग्रह स्वागत के योग्य है।

कविता संग्रह – तुमने विषपान किया है               कवि – मनोज कुमार झा

प्रकाशक – नमन प्रकाशन, नयी दिल्ली             मूल्य – 250 रुपए   प्रकाशन वर्ष – 2018

 

 

 

 

समीक्षक   –  दिविक रमेश

  • Related Posts

    पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूर्ण होने पर जारी हुआ स्टाम्प

    पटना जीपीओ और कॉपर टिकट पर बिहार के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार द्वारा माय स्टाम्प का विमोचन पटना- कार्यालय प्रतिनिधि। बिहार के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार ने गुरुवार…

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    पटना /सोनपुर – कार्यालय प्रतिनिधि। केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, पटना द्वारा भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न महत्वाकांक्षी  योजनाओं के माध्यम से देश को…

    One thought on “तुमने विषपान किया है

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूर्ण होने पर जारी हुआ स्टाम्प

    पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूर्ण होने पर जारी हुआ स्टाम्प

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    कार्यालय और सामाजिक जीवन में तालमेल जरूरी : महालेखाकार

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण