हिमालय की गोद में ज्ञानकांड-कर्मकांड की बही रस-धार, देश-विदेश से पहुंचे अघोरभक्तों ने किया सेवा-सत्कार

डेहरी-आन-सोन (बिहार)/मसूरी (उत्तराखंड)-कार्यालय प्रतिनिधि। हिमालय की गोद में संपन्न होने वाले ज्ञानकांड-कर्मकांड के अगणित उपक्रमों में सेवा-सत्कार की पिछले 28 सालों से बहने वाली नव अघोर पंथ की एक रस-धार भी शामिल है।

इस वर्ष भी शरद नवरात्र पर देश-विदेश से हिमालय पर्वत पर पहुंचे नव अघोरपंथ के भक्तजनों ने आठ दिनों तक पूजा-यज्ञ आदि कर्मकांड और भजन-प्रवचन आदि ज्ञानकांड के संयोजन में तन-मन की शिरकत के साथ जरूरतमंदों के लिए भोजन-वस्त्र आदि वितरण, कन्यापूजन के सेवा-सत्कार का भी कार्य किया। हर रोज गांव भर के बच्चों को भोजन में आमंत्रित किया गया और अंतिम दिन ऊनी वस्त्र का वितरण किया गया।

डेहरी-आन-सोन से भी सपरिवार पहुंचे नव अघोरपंथ के भक्त परिवार
इस अष्टदिवसीय संपूर्ण आयोजन में नव अघोरपंथ के प्रवर्तक अवधूत राम के प्रथम शिष्य सिंह शावक राम के सानिध्य और मसूरी आश्रम के पंथभक्त (विरक्त साधु) के सक्रिय सम्मिलन में काठमांडू (नेपाल) से श्रीमती विभा (ले. कर्नल की पत्नी), दिल्ली से हिन्दुस्तान टाइम्स के पूर्व फोटो सेक्शन एडीटर रवि शंकर, देहरादून (उत्तराखंड) के पूर्व शिक्षा पदाधिकारी शशिभूषण शुक्ल व अध्यापक अनिल पाठक, इंदु अग्रवाल के साथ बिहार से दयानिधि श्रीवास्तव उर्फ शंकर लाल ( डेहरी-आन-सोन, चेस क्लब के निदेशक), राजद नेता दिलीप यादव (फेसर, औरंगाबाद), राजेन्द्र प्रसाद (दवा प्रतिष्ठान, डेहरी-आन-सोन) और ओम प्रकाश दुबे (रायगढ़, छत्तीसगढ) ने सपरिवार मसूरी पहुंचकर अपना योगदान दिया।

आयोजन में देहरादून के पुलिस अधीक्षक अजय सिंह संजय अपनी पत्नी के साथ, दिल्ली के स्वामी अशोक और लंगवाल पंचायत मसूरी (देहरादून, उत्तराखंड) के प्रधान नारायण रावत ने भाग लिया।


मसूरी के लंगवाल गांव में पहली बार 1990 में शुरू हुआ था आयोजन
यह आयोजन उत्तर प्रदेश के दिलदारनगर (गाजीपुर) के अघोर सेवा मंडल के तत्वाधान में साल में दो बार शरद नवरात्र और चैत्र नवरात्र के अवसर पर हिमालय पर्वत श्रृंखला की एक निचली चोटी मसूरी (देहरादून, उत्तराखंड) पर अवस्थित हिमालय की गोद में किया जाता है। इस आयोजन की शुरुआत पहली बार 1990 में हुई थी, जहां नव अघोरपंथ के प्रवर्तक अवधूत राम परिभ्रमण करते हुए पहुंचे थे और उस स्थान का नाम रखा हिमालय की गोद में। यह स्थान कैम्पटी फाल के सामने लंगवाल गांव में है, जहां बने मंदिर-स्थल में स्फटिक की शिवलिंग प्रतिमा (भस्मेश्वर महादेव) की स्थापना की गई है।

हिमालय की घाटी और चढ़ाई उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से शुरू हो जाती है और मसूरी हिमालय की एक आरंभिक शिखर है, जो देश-दुनिया में अपनी प्राकृतिक छंटा-संपदा के कारण प्रसिद्ध है। अघोर सेवा मंडल के दयानिधि श्रीवास्तव उर्फ भरत लाल (डेहरी-आन-सोन) के अनुसार, अवधूत राम द्वारा प्रवर्तित अघोरपंथ पुराने जमाने के पारंपरिक अघोरपंथ से भिन्न है और नए जीवन दर्शन से लैस धार्मिक-आध्यामिक पंथ है, जिसमें कर्मकांड और ज्ञानकांड का एक संतुलित संयोजन है।

 

( रिपोर्ट : डेहरी-आन-सोन में निशांत राज,

तस्वीर : मसूरी में ओमप्रकाश दुबे)

 

Share
  • Related Posts

    सर्वाधिक महत्वपूर्ण है सावन का सोमवार

    सनातन संस्कृति में वर्ष ‘ मास ‘ पक्ष और दिन का विशेष महत्व है। सावन मास में चन्द्र वासर (सोमवार ) को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे तो सावन…

    Share

    सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने रेत पर बनायीं 108 शिवलिंग महादेव की तस्वीर, मांगी शांति का पैगाम

    पटना-कार्यालय प्रतिनिधि। सावन माह के पहली सोमवारी के पूर्व संध्या पर देश चर्चित इंटरनेशनल सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने एक बार फिर से बिहार के गंगा की सोंधी रेत को…

    Share

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    बीड़ी श्रमिकों के बच्चों को सशक्त बनाने हेतु कल्याण आयुक्त कार्यालय का छात्रवृत्ति जागरूकता अभियान

    बीड़ी श्रमिकों के बच्चों को सशक्त बनाने हेतु कल्याण आयुक्त कार्यालय का छात्रवृत्ति जागरूकता अभियान

    नारायण केयर में राखी उत्सव का आयोजन, बच्चों की बनाई राखियों की प्रदर्शनी और सम्मान

    नारायण केयर में राखी उत्सव का आयोजन, बच्चों की बनाई राखियों की प्रदर्शनी और सम्मान

    फसल विविधीकरण की समीक्षा हेतु कृषि अधिकारियों ने किया प्रक्षेत्र परिभ्रमण

    फसल विविधीकरण की समीक्षा हेतु कृषि अधिकारियों ने किया प्रक्षेत्र परिभ्रमण

    जीएनएसयू में राष्ट्रीय अंगदान दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम

    जीएनएसयू में राष्ट्रीय अंगदान दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम