सांसद आदर्श ग्राम : चमन बनाने की संकल्पना रोहतास में सुपर फ्लाप !

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकनायक जयप्रकाशनारायण के जन्मदिवस पर 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरूआत की थी, जिसके तहत हर सांसद द्वारा 2016 तक एक गांव और 2019 तक दो गांव को आदर्श बनाने का संकल्प व्यक्त किया गया था। दिल्ली में आयोजित उस समारोह के मंच पर भारत सरकार के तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी और राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा भी थे। गोद लिए गए गांव में ग्रामीणों के जीवनस्तर में सुधार के लिए खेती, पशुपालन, कुटीर उद्योग, रोजगार के संसाधन, बुनियादी सुविधाएं आदि मुहैया कराकर उसे आदर्श ग्राम बनाना है। सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए शुद्ध पेयजल, उच्च विकास दर, स्वच्छता, हर घर में शौचालय आदि मानक भी तयकिए गए थे। रोहतास जिले में देश के वरिष्ठ पत्रकार एवं राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह (अब राज्यसभा के उप सभापति) ने बहुआरा, केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री एवं काराकाट के सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने अमियावर और पूर्व मंत्री एवं सासाराम के सांसद छेदी पासवान ने मल्हीपुर को गोद लिया है। तीनों गांवोंसे यह भी स्पष्ट होता है कि इन राजनेताओं ने अपने-अपने राजनीतिक सरोकार वाले सामाजिक समीकरण के तहत ही इन गांवों का चयन किया है। इसके बावजूद क्या गोद लिए गए गांवों में सांसदों के प्रयास से तस्वीर बदली है और वे वास्तव में बीते चार सालों में आदर्श ग्राम में तब्दील हो सके हैं?

जनता की अपने ही जनप्रतिनिधि से नहीं हो पाती बात, घोषित फोन नंबर नहीं करते हैं काम
इस सवाल की पड़ताल के लिए बिहार के रोहतास जिला में सांसद आदर्श ग्राम योजना के बाबत सोनमाटीडाटकाम के लिए डेहरी-आन-सोन के वरिष्ठ पत्रकार-लेखक कुमार बिन्दु ने गोद लिए गए गांवों के लोगों से संपर्क किया। हालांकि यह आंकड़ा उपलब्ध नहींहै कि इन गांवों में सांसद मद से कितनी राशि किन-किन योजनाओं के लिए आवंटित हुई, मगर इन गांवों के लोगों से बातचीत का लब्बोलुआब यही है कि ये गांव पिछड़े ही बने हुए हैं। इस संदर्भ में एक वस्तुस्थिति यह भी है कि सांसदों के जो मोबाइल नंबर और जो ई-मेल आईडी भारत सरकार के वेबसाइट पर डाले गए हैं, वे काम नहींकरते। इसलिए जनता से ही लिए गए राजस्व से गांवों पर खर्च होने वाली राशि व कार्य की स्थिति से अवगत होने के लिए इन नंबरों पर जनता की अपने ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि से संपंर्क-बात नहींहो पाती है।

 

गांव : बहुआरा, ग्राम पंचायत : बकसड़ा, प्रखंड : करगहर, जिला रोहतास

रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के बकसड़ा ग्राम पंचायत का गांव बहुआरा राजपूत जाति के प्रभाव क्षेत्र वाला है। हालांकि करीब 150 घरों वाले इस गांव में कोई 80 घर दलितों के हैं और 40 घर ही राजपूतों के हैं। शेष घर तांती, बढ़ई, लुहार आदि के हैं। गांव में प्रवेश करते ही एक पुराना दोमंजिला मकान नजर आता है, जिसके प्लास्टर के उखडऩे से दीवार की ईंटें बेनकाब हो चुकी है। ऐतिहासिक धरोहर का महत्व रखने वाला यह मकान गांव की दहलीज पर कदम रखने वाले अजनबी शख्स को खामोश से अपनी दशा का बयान कर जाती हैं। जर्जर हो चुके इस मकान का परिचय देते हुए बहुआरा गांव के चालीस वर्षीय दिनेश सिंह गर्व से बताते हैं कि यह प्रवासी भवन है, देश के प्रख्यात स्वाधीनता सेनानी भवानीदयाल संन्यासी ने इसका निर्माण कराया था और इसकी आधरशिला डा. राजेन्द्र प्रसाद (बाद में भारत के राष्ट्रपति) ने रखी थी, जिनके साथ भारत कोकिला कवयित्री सरोजनी नायडू भी आई थीं।

बैलगाड़ी से पहुंचे थे डा. राजेन्द्र प्रसाद और सरोजनी नायडू
प्रवासी भवन से सौ गज दूर के मकान में रहने वाले गांव के एक वरिष्ठतम ग्रामीण शिवपूजन सिंह ने बताया कि 1922 में राजेन्द्र बाबू और सरोजनी नायडू कुदरा रेलस्टेशन से बैलगाड़ी पर बैठकर गांव आए थे। भवानीदयाल संन्यासी ने एक प्रवासी भारतीय के सहयोग से इस मकान का निर्माण कराया और खर-दूषण पाठशाला व पुस्तकालय खोला था। 1926 से स्कूल में पढ़ाई शुरू हुई थी। स्कूल और पुस्तकालय का वजूद खत्म हो चुका है। अब प्रवासी भवन में संन्यासीजी के परिजन रहते हंै। 1922 में शिवपूजन सिंह की उम्र करीब पांच-छह साल की थी।

पत्रकार थे भवानीदयाल, बाद में संन्यासी बनकर भी स्वाधीनता की अलख जगाई
संन्यासी भवानीदयाल के पिता जयराम सिंह शर्त-बंद (एग्रीमेंट आधारित) कुली के रूप में दक्षिण अफ्रीका गए थे। वहींजोहान्सबर्ग में भवानी दयाल का जन्म 10 दिसम्बर 1892 को हुआ। भवानीदयाल ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह का प्रयोग किया था। उनका महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, दीनबंधु एन्ड्रयूज, सरोजनी नायडू से निकटवर्ती संपर्क था। वह भारत आने पर पटना से प्रकाशित होने वाले आर्यावर्त की संपादकीय टीम में रहे। बाद में संन्यासी बन गए और आजादी की अलख जगाई और भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के पुरोधा बने। आज आजाद देश में उनका ही गांव बुनियादी सुविधाओं से मरहूम है। उनके स्कूल में छात्र-छात्राओं को संगीत शिक्षा के साथ देशभक्ति गीत सिखाए जाते थे। संन्यासी भवानीदयाल स्वलिखित गीत गाकर जनजागृति करते थे, जिनमें उस जमाने के एक प्रसिद्ध गीत की पंक्तिया हैं- शाहाबाद के वीर सपूतों हंसी न होने पावे आज, 1857 के वीर कुंवर सिंह ने रखी भारत माता की लाज।

गांव में तब खुशी की लहर दौड़ गई थी, मगर अब तो…
ग्रामीण कृष्ण राम, दिनेश सिंह ने बताया कि हमलोगों को खबर मिली कि दिग्गज पत्रकार एवं जदयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत बहुआरा गांव को गोद लिया है तो पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई थी। तब लगा था कि गांव की सूरत ही नहीं, सीरत भी बदलेगी। इस गांव में प्राथमिक स्कूल नहीं होने से छोटे-छोटे बच्चे-बच्चियों को दो-तीन किलोमीटर दूर तेंदुनी गांव के स्कूल में जाना पड़ता है। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र भी नहीं हैं। गांव की अधिकांश गलियां कच्ची हैं। नाली का निर्माण नहीं होने से गांव जलजमाव की समस्या से जूझता है। पिछले साल फरवरी में हरिवंश जी ने बहुआरा आने को कहा था, लेकिन नहींआए। बकसड़ा ग्राम पंचायत की मुखिया रजिया खातून ने मोबाइल फोन पर हुई बातचीत में बताया कि हरिवंशजी अगर एक बार भी बहुआरा गांव में आ जाते तो बेशक इस गांव की किस्मत संवर जाती। इस प्रसंग पर रजिया खातून ने एक शेर अर्ज किया है- तुम आके चले जाते, इतना तो किया होता। हम भी है चमन वाले, ये महसूस हुआ होता।।
अलग कोष नहीं, एक पुल के लिए दे दी गई सांसद मद की रकम
संन्यासी भवानीदयाल के परिजनों का कहना है और कई गांव वालों का भी मानना है कि हरिवंशजी ने गोद लिए गांव के विकास के लिए सांसद मद से एक रुपया भी नहीं दिया। संपर्कपथ का निर्माण उनके गोद लेने से पहले ग्राम सड़क योजना के तहत हुआ था। हरिवंशजी से फोन पर यह बताया था कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए कोई अलग से कोष नहीं है। उन्होंने सांसद निधि की राशि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आग्रह पर उनके निर्वाचन क्षेत्र में एक पुल के निर्माण के लिए दे दी है।

 

गांव : अमियावर, ग्राम पंचायत : अमियावर, प्रखंड : नासरीगंज

देश के तीन नदों में से एक महानद सोन के पश्चिमी तट पर बसा अमियावर करीब दस हजार की आबादी वाला गांव है, जो सोन तट के सबसे बड़े शहर डेहरी-आन-सोन से बिहार की राजधानी पटना जाने वाले मार्ग पर है। कुशवाहा बहुल इस गांव को केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री,  काराकाट के सांसद एवं रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है। अमियावर में कुशवाहा, मल्लाह जाति की बड़ी आबादी है और राजपूत, शौंडिक जाति की जनसंख्या भी अन्य जातियों की अपेक्षा अधिक है। इस गांव का मिडिल स्कूल उत्क्रमित होकर हाई स्कूल का दर्जा प्राप्त कर चुका है। हालांकि हाई स्कूल में शिक्षकों का अभाव है। गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र शिवशंकर साव के मकान में चल रहा है, जहां सप्ताह में एक दिन एक एएनएम आती है। गलियों में नाली का पानी जमा रहता है। शुद्ध पेय जल की स्थाई व्यवस्था नहीं है। एक पुराना शवदाह-गृह है। मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की अमियावर शाखा भी नासरीगंज में खोली गई है। नए-पुराने मुखिया के प्रयास और उनके मद से गांव की 75 फीसदी गलियां पक्की हुई हैं। अमियावर गांव में कम्युनिस्ट नेता रामजी प्रसाद सिंह दशकों से निर्विरोध मुखिया निर्वाचित होते रहे हैं। एक बार वह निर्विरोध प्रखंड प्रमुख भी बने थे। यह उनकी ईमानदारी, सतत श्रम और कर्मठता का प्रतिफल रहा है।

सड़क मार्ग से गुजरते हैं, मगर गांव में अब नहीं आते सांसद
अमियावर की वर्तमान मुखिया गुडिय़ा देवी का कहना है कि गांव से गंदे पानी के निकास के लिए सोन नद तक नाला का निर्माण बहुत जरूरी है। उन्होंंने बताया कि गांव वालों ने अपने क्षेत्र के सांसद से नाला निर्माण की गुहार लगाई गई है। गांव में प्रशासन की ओर से विशेष शिविर का आयोजन किया गया था, जिसका उद्घाटन उपेंद्र कुशवाहा ने ही किया था। उस शिविर में ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच हुई थी और वृद्ध-विधवा-विकलांग सामाजिक सुरक्षा पेंशन के फार्म भरवाए गए थे।
अमियावर के ब्रजेश कुमार सिंह उर्फ मंटू सिंह ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने गांव को गोद लिया तो लगा था कि यहां विकास की गंगोत्री बहेगी। उस अवसर पर समारोह का आयोजन हुआ था, जिसमें जिले के कई बड़े अधिकारी भी शामिल हुए थे। केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने बहुद्देशीय भवन के निर्माण के लिए सांसद कोष से 35 लाख रुपये दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री अमियावर गांव से ही होकर सड़क मार्ग से आते-जाते है, लेकिन गोद लिए गांव में इन दिनों वह नहीं आते। भाजपा नेता अजयकुमार सिंह काराकाट संसदीय क्षेत्र के सांसद प्रतिनिधि हैं।

 

गांव : मल्हीपुर, ग्राम पंचायत : प्रखंड : चेनारी, जिला रोहतास

मल्हीपुर अनुसूचित जाति बहुल गांव है। 4000 की आबादी वाले मल्हीपुर में 3000 से अधिक दलित समुदाय की संख्या हैं। सासाराम के भाजपा सांसद छेदी पासवान ने इस गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है। मल्हीपुर के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीराम सिंह यादव के अनुसार गांव के मध्य विद्यालय में करीब एक हजार छात्र-छात्राओं का नामांकन है। स्कूल का अपना भवन है, लेकिन कमरे मात्र छह हैं। गांव का स्वस्थ्य उपकेंद्र सप्ताह में सिर्फ एक दिन खुलता है। गांव के बीमार लोगों को चेनारी या सासाराम जाना पड़ता है। स्टेट हाईवे के किनारे स्थित इस गांव में सांसद ने मार्केट शेड का निर्माण कराया है। सांसद निधि से गांव का विशाल प्रवेश द्वार भी बनाया गया है। सांसद ने एक बार शराबबंदी को लेकर सभा की थी।

पेयजल संकट से जूझ रहे गांव में नहीं बनी जलमीनार
मल्हीपुर की मुखिया मित्रा देवी तथा सामाजिक कार्यकर्ता भोला चौधरी का कहना है कि गांव भारी पेयजल संकट से गुजर रहा है। ग्रामीणों ने जलमीनार निर्माण कराने की मांग सांसद के समक्ष रखी है, मगर अभी तक इस दिशा में कोई सूचना गांव वालों को नहींहै। भूमि संरक्षण विभाग से चेकडैम और तालाब का निर्माण कराया गया है। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत विशेष विकास कार्य संपन्न नहीं हो सका है। सांसद प्रतिनिधि सोनू राय के अनुसार, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत स्थानीय प्रशासन से जुड़े सम्बंधित अधिकारियों के साथ सांसद समय-समय पर समीक्षा करते हैं।

(विशेष रिपोर्ट : कुमार बिन्दु,

तस्वीर संयोजन, इनपुट : करगहर में तेजनारायण पांडेय और डेहरी-आन-सोन/सासाराम में निशांत राज, मिथिलेश कुमार)

संपादन : कृष्ण किसलय

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