जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत धान-परती भूमि प्रबंधन एवं किसानों का सशक्तिकरण

पटना -कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत गया जिले में धान-परती भूमि के रबी फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु विशेष पहल की गई है। कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को नमी एवं सिंचाई से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए उन्नत तकनीकी सहायता प्रदान करना है। संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार के नेतृत्व में किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों, जैसे भूमि प्रबंधन, फसल विविधीकरण, और जल-संरक्षण उपायों पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इन तकनीकों के अपनाने से किसानों की रबी फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हुई है, जिससे उनकी आय और आजीविका में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

गया जिले के टेकारी प्रखंड स्थित गुलेरियाचक गांव में सोमवार को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें संस्थान के तकनीशियन राम कुमार मीना एवं प्रक्षेत्र सहयोगी श्रीकांत चौबे द्वारा किसानों को कम अवधि की सीधी बुवाई वाली धान की किस्में, मेड़ पर अरहर की खेती, और अन्य उन्नत तकनीकों की जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में धान-परती किसानों के खेतों का फसल कटाई डेटा संकलित किया गया और इसकी सहायता से उन्हें तकनीकी उपायों के लाभ विस्तारपूर्वक बताए गए। किसानों ने बताया कि इस पहल से उन्हें काफी लाभ हुआ है और वे भविष्य में भी इन तकनीकों को अपनाने के इच्छुक हैं।कार्यक्रम के अंतर्गत चना, मसूर और कुसुम की खेती कर रहे किसानों के खेतों से मृदा नमूने एकत्र किए गए, ताकि मृदा की उर्वरता की जांच की जा सके। मिट्टी की नमी बनाए रखने, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई प्रणाली, और मृदा संरक्षण पर विशेष रूप से चर्चा की गई। इसके साथ ही 75 एकड़ क्षेत्र में दलहन और तिलहन की श्रेष्ठ किस्मों की पहचान की गई और उनके लाभ बताए गए। इस आयोजन को सफल बनाने में कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर (गया) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस प्रकार के कार्यक्रम किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों के प्रति प्रेरित करते हैं और सतत कृषि विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है।

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