पटना (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के द्वारा आयोजित ऑनलाइन के माध्यम से यूट्यूब व हेलो फेसबुक पर कला एवं संगीत सम्मेलन का संचालन करते हुए सिद्धेश्वर ने कहा कि युवा कलाकार एवं नृत्यांगना आस्था दीपाली बचपन से ही संगीत और चित्रकला के प्रति समर्पित रहीं हैं। आरंभ से ही चित्रकला और संगीत की बारीकियां को समझने का प्रयास करती थी।
अपने इसी अवलोकन की प्रवृत्ति के फलस्वरूप कोरोना काल में आस्था दीपाली ने मधुबनी चित्रकला, मंडला, वरली चित्रकला आदि पर अपना हाथ आजमाना शुरू किया। यात्रा करने के क्रम में दिवालों पर बनी मधुबनी पेंटिंग दीपाली को बहुत आकर्षित करती थी। मधुबनी चित्रकला को देखते और समझते हुए आस्था दीपाली ने बिना प्रशिक्षण लिए खुद ही मधुबनी चित्रकला करने लगी।
अपने अध्यक्षीय टिप्पणी में वरिष्ठ चित्रकार शशि भूषण भदोनी ने कहा कि अपने पटल पर हर बार एक युवा कलाकार को मुख्य अतिथि के रूप में पेश कर सिद्धेश्वर जी नवोदित साहित्यकारों के लिए बहुत बड़ा कार्य कर रहे हैं। उन्हे साधुवाद है।
युवा कलाकार आस्था दीपाली ने अपने दो गीतों एवं भजन का पाठ किया। साथी ही दो नृत्य वीडियो प्रस्तुत किया तथा एक दर्जन से अधिक कलाकृतियों का प्रदर्शन भी किया गया।
आस्था दीपाली ने कार्यक्रम के आरंभ में कहा कि भारतीय युवा साहित्यकार परिषद एवं संयोजक अध्यक्ष सिद्धेश्वर जी का हार्दिक आभार जिन्होंने मुझे आज हेलो फेसबुक एवं चित्रकला सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया।
आस्था दीपाली ने कहा कि संगीत न केवल एक विधा है बल्कि यह एक कौशल है, विज्ञान है। इसका उपयोग हीलिंग थेरेपी के लिए भी किया जाता है। जैसे- राग पूरिया धनाश्री से अनिद्रा दूर होती है। राग मालकौंस से तनाव से मुक्ति मिलती है। राग मोहिनी से आत्मविश्वास बढ़ता है। राग भैरवी से ब्लड प्रेशर और तंत्रिका तंत्र नियंत्रित रहता है। संगीत के साथ साथ चित्रकला द्वारा भी विभिन्न उपचार किए जाते हैं। जैसे मंडला चित्रकला द्वारा एकाग्रता को बढ़ाया जाता है।
उन्होंने कहा कि अपनी मिट्टी से जुड़ना, अपनी लोककला और संस्कृति को सीखना और उस आर्ट फॉर्म को नई पीढ़ी को हस्तांतरित करना हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है। मधुबनी पेंटिंग में पर्व त्योहार और देवी देवताओं से जुड़ी घटनाओं का प्रदर्शन किया जाता है। जैसे श्री राम, श्री कृष्ण, मां दुर्गा, छठ पर्व, होली दीवाली आदि। इस कला के माध्यम से पौराणिक घटनाओं को जानना, समझना और उसे कागज़ पर उतरना अत्यंत रुचिकर लगता है।
इस कार्यक्रम में आस्था दीपाली से ली गई छोटी सी भेंट वार्ता में सिद्धेश्वर द्वारा पूछे गए सवाल- कला और संगीत की क्या प्रासंगिकता है? और आपकी रुझान इसके प्रति कैसे जागी के जवाब में उन्होंने कहा कि- “कला हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। यह हमारे जीवन में तारतम्य स्थापित करती है जो कि आज के दौर में अत्याधिक महत्वपूर्ण है। कला का चाहे जो भी रूप हो, गायन, चित्रकला, नृत्य, साहित्य- यह सभी न केवल समाज से हमें जोड़ती है बल्कि ख़ुद से भी जोड़ने का कार्य करती है। कला न केवल समाज में एक पहचान प्रदान करती है बल्कि अंर्तात्मा को शांति भी पहुँचाती है।”
हेलो फेसबुक कला एवं संगीत सम्मेलन में ऑनलाइन संगीत एवं चित्रकला की प्रस्तुति देने वाले कलाकारों में प्रमुख थे – विज्ञान व्रत, आस्था दीपाली, पदम कंसल , सिद्धेश्वर , अनुभूति गुप्ता, सोहल, विजयलक्ष्मी , मंजू गुप्ता, अर्चना, पूनम श्रेयसी, जोगिंदर सिंह गंभीर, सपना चंद्र, राकेश आनंदकर, आशीष आनंद, मिथिलेश कुमार, गोपाल सिंह, रेणु कुमारी, और डॉक्टर संगीता। सोशल मीडिया पर आयोजित संगीत और कला पाठशाला हमारे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार करती है। इसके अतिरिक्त डा. संतोष गर्ग, मीना कुमारी परिहार, पुष्प रंजन, एकलव्य केसरी आदि ने भी अपनी भूमिका का निर्वाह किया।
प्रस्तुति : बीना गुप्ता (जन संपर्क पदाधिकारी) भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना ( बिहार) मोबाइल :9234760365 ईमेल :[email protected]