अश्लील सामग्री मुक्त भारत बनाने के लिए केंद्र लाए कड़ा कानून : प्रो.द्विवेदी

पटना- निशांत राज। अश्लील सामग्री मुक्त भारत बनाने के लिए केंद्र सरकार को कड़ा कानून लाने की आवश्यकता है। इसके लिए मीडिया और समाज के हर क्षेत्र के लोग आवश्यक दबाव बनाएं और जागरूकता पैदा करें। उक्त बातें भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक सह वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूजेएआई) की स्वनियामक इकाई वेब जर्नलिस्ट्स स्टैंडर्ड अथॉरिटी (डब्ल्यूजेएसए) के अध्यक्ष प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने शनिवार को वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित वर्चुअल संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा।

उन्होंने कहा कि यह डिजिटल समय है, डिजिटल माध्यमों से सूचना, शिक्षा और मनोरंजन प्राप्त हो रहा है। किंतु बाजार के खिलाड़ियों ने इस माध्यम को अश्लीलता फैलाने का भी माध्यम बना लिया है। इससे समाज में स्त्री के विरुद्ध अपराध और छोटी बच्चियों के साथ भी अमानवीय घटनाएं हो रही हैं। इसे रोका जाना चाहिए। समाज अश्लीलता के प्रसारकों की जगह सिर्फ जेल में होनी चाहिए।

डिजिटल मीडिया के महत्व को समझाते हुए कहा प्रो.द्विवेदी ने कहा कि अभी फिक्की की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2023 में भारत में प्रिंट मीडिया का रेवेन्यू मात्र 9 प्रतिशत बढ़ा है तो डिजिटल मीडिया का रेवेन्यू 67 प्रतिशत बढ़ा है। देश में प्रिंट मीडिया के पाठकों में 13 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है तो डिजिटल मीडिया में 71 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2025 तक भारत में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगभग 98 करोड़ होने की संभावना है। अगर देश में 98 करोड़ स्मार्टफोन हैं तो समझिए डिजिटल मीडिया के 98 करोड़ उपभोक्ता पहले दिन से तैयार हैं।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. द्विवेदी ने कहा कि प्रामाणिकता और विश्वसनीयता मीडिया का मूलमंत्र है। खबरों की सत्यता परखे बिना उन्हें परोसना सामाजिक अपराध है। फेक न्यूज, हेट न्यूज, पेड न्यूज जैसे शब्दों से पत्रकारिता की उज्ज्वल परंपरा कलंकित होती है। उनका कहना था हम खबरें देने में पिछड़ जाएं पर पाठकों और दर्शकों का भरोसा न तोड़ें।

प्रो. द्विवेदी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सूचना कोई भी दे सकता है , किंतु खबर या समाचार के साथ भरोसा जुड़ा हुआ है। संपादन और निश्चित प्रक्रिया से गुजर कर ही कोई सूचना ‘समाचार’ बनती है। एक समाचार में बहुत सी सूचनाएं शामिल हो सकती हैं। किंतु कोई भी समाचार संपादन और प्रोसेस के बाद ही बन सकता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर संपादन मुक्त सूचना का अंबार है, ये लोग सूचना प्रदाता हो सकते हैं, पत्रकार नहीं। पत्रकारिता एक जिम्मेदारी भरा काम है। इसलिए सोशल मीडिया पर मचे धमाल के लिए पत्रकारिता को लांछित नहीं किया जाना चाहिए।

प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि यह समय तीन ‘वी’ का है -वीडियो, वायस और वर्नाकुलर। डिजिटल समय ने हमें वैश्विक आकाश दिया है। आज हमारी भारतीय भाषाओं डिजिटल माध्यमों से वैश्विक प्रवास करते हुए प्रसिद्ध प्राप्त कर रही हैं। लिपि का संकट न होने के कारण हमारे गीत, संगीत, विचार, समाचार सब दुनिया भर में सुने और देखे जा रहे हैं।

संवाद कार्यक्रम के आरंभ में डब्ल्यूजेएआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद कौशल ने स्वागत भाषण किया तो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लीना ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संवाद का संचालन राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अमित रंजन ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के सदस्य, वेब जर्नलिस्ट और मीडिया विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

Share
  • Related Posts

    गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय जमुहार में एनसीसी शिविर का समापन

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) विशेष संवाददाता। गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, जमुहार में एनसीसी 42 बिहार बटालियन, सासाराम के तत्वावधान में आयोजित दस दिवसीय संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर का समापन बुधवार को बटालियन…

    Share

    ज्ञान अर्जन में संवाद की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण: डॉ. आर.आर. बर्मन

    पटना -कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में बुधवार को आईएआरआई पटना हब के विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणादायक संवाद सत्र का आयोजन किया गया,…

    Share

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय जमुहार में एनसीसी शिविर का समापन

    ज्ञान अर्जन में संवाद की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण: डॉ. आर.आर. बर्मन

    ज्ञान अर्जन में संवाद की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण: डॉ. आर.आर. बर्मन

    केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह द्वारा कृषि अनुसंधान को सशक्त करने और नवाचार की महत्वपूर्ण क़वायद

    केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह द्वारा कृषि अनुसंधान को सशक्त करने और नवाचार की महत्वपूर्ण क़वायद

    निषाद समाज का आरक्षण ही मेरी प्राथमिकता है : मुकेश सहनी