हर्षोल्लास के साथ मनाया गया चित्रगुप्त पूजा,वैदिक मंत्रोचारण के साथ की गई पूजा-अर्चना

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। सोन नदी के पश्चिम तट पर स्थित थाना चैक-एनिकट रोड के किनारे चित्रगुप्त मैदान में करीब आठ दशक पुराने चित्रगुप्त मंदिर परिसर में रविवार को भगवान चित्रगुप्त की सामूहिक पूजा, प्रसाद-वितरण और आरती का आयोजन किया गया, जिसमें चित्रांश परिवारों के पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी भाग लिया। चित्रगुप्त समाज द्वारा आरती कार्यक्रम में शहर के प्रतिनिधि लोग शामिल हुए।श्री चित्रगुप्त मंदिर में सुबह 11 बजे वैदिक मंत्रोचारण के बीच पूरे विधि विधान से सामूहिक पूजा-अर्चना की गई और लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। शाम में भगवन चित्रगुप्त की महाआरती, महाप्रसाद और सामूहिक प्रतिभोज का आयोजन किया गया।

इस आयोजन में डेहरी एसडीजेएम रजत दीप, सहरसा एसडीजेएम चंदन वर्मा, पूर्व विधायक सत्यनारायण सिंह यादव, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रदेश महासचिव राजीव रंजन उर्फ सोनू सिंह, गुड्डू चंद्रवंशी, दंत चिकित्सक डा. नवीन नटराजन, डा. रामजी बाबू, डा. निर्मल कुमार सिंह, जदयू के जिला अध्यक्ष सह जिला पार्षद अजय कुशवाहा, डेहरी नगर थानाध्यक्ष शिवेन्द्र कुमार, विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पाण्डेय उर्फ मुटुर पाण्डेय अतिथि के रूप में रहे।वरिष्ठ न्यूरो चिकित्सक एवं चित्रगुप्त समाज कल्याण ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. उदय कुमार सिन्हा ने आगत अतिथियों को शॉल देकर सम्मानित किया। श्री सिन्हा ने भगवान चित्रगुप्त की महिमा के बारे में बताते हुए कहा कि आदि काल से यह पूजा समाज में होते आ रहा हैं और कायस्थ समाज इनकी महिमा से आज हर क्षेत्र में आगे बढ़-चढ़ कर कार्य कर रहे हैं।चित्रगुप्त भगवान  का अवतार कलम दावत के साथ हुआ जो धर्म-कर्म एवं पाप-पुण्यका लेखा-जोखा करते।

पूर्व वार्ड पार्षद ब्रह्मेश्वर नाथ उर्फ काली बाबू ने बताया कि इस मंदिर-स्थल पर देश की आजादी के बाद छठवें दशक के आरंभ में मिट्टी की पीठ बनाकर उस पर मिट्टी की छोटी मूर्ति रखकर सिंचाई विभाग की सबसे पुरानी कालोनी के पूर्व कर्मचारी संत प्रसाद ने कालोनी के पड़ोसियों के साथ सामूहिक चित्रगुप्त पूजा की शुरुआत की थी।मिथिलेश कुमार सिन्हा (अधिवक्ता) ने बताया कि 20वीं सदी में अंतरराष्ट्रीय ख्याति के पद्मश्री और पद्मभूषण राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त बिस्मिल्लाह खां (शहनाई वादक), गुदई महराज (तबला वादक), एन. राजन (वायलिन वादक), शारदा सिन्हा (लोकगायिका) जैसी कला-हस्तियां और सूफियाना चिश्ती कव्वाली के सुप्रसिद्ध दल के कार्यक्रम इस मैदान में प्रस्तुत हुए, जिस कारण ही सिंचाई विभाग की 19वीं सदी की इस पुरानी कालोनी का खाली स्थान चित्रगुप्त मैदान नाम से प्रसिद्ध हो गया।

ओमप्रकाश सिन्हा कमल (अधिवक्ता), श्रवण कुमार अटल ने जानकारी दी कि स्वर्गीय कमला प्रसाद सिन्हा ने एशिया प्रसिद्ध कारखानों वाले डालमियानगर परिसर में और स्वर्गीय बैजनाथ प्रसाद ने डेहरी में कायस्थ समाज की चित्रगुप्त पूजा की सामूहिक परंपरा की शुरुआत की, जिनकी अगली पीढ़ी के वंशजों ने समाज के सहयोग से अब चित्रगुप्त मंदिर पूर्ण निर्माण का बीड़ा उठाया है।

मौके पर चित्रगुप्त समाज कल्याण ट्रस्ट के संरक्षक व वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डा. रागिनी सिन्हा, राजीव रंजन (निदेशक सनबीम स्कूल) अमित कुमार वर्मा, मनोरंजन प्रसाद श्रीवास्तव, मनीष कुमार वर्मा, रुपेश राय, अजित कुमार सिन्हा, गोल्डन श्रीवास्तव, अमित कुमार, पुनीत कुमार, विकास सिन्हा, निर्मल सिन्हा, सोनू सिन्हा, प्रवीण कुमार, दिगपाल श्रीवास्तव, दीपक श्रीवास्तव, गोपाल सिन्हा, जय सिन्हा, ध्रुव राज, अनीशा अनुराधा, विशाल कुमार, मनोज सिन्हा, रणजीत सिन्हा, अंकुर भूषण, शैलेश कुमार, संजय कुमार, राकेश कुमार वर्मा, अनुभा सिन्हा, विभा सिन्हा, रत्ना सिन्हा, डा. रवि प्रकाश, मुनमुन पाण्डेय, मनोज अज्ञानी, मुन्नु सिन्हा आदि चित्रांश परिवार सहित शहर के गणमान्य लोग भी शामिल हुए।

(रिपोर्ट, तस्वीर: निशांत राज)

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