

पटना -कार्यालय प्रतिनिधि। बिहार दिवस के उपलक्ष्य में पटना के गांधी मैदान में शुक्रवार को पुस्तक मेला का शुभारंभ किया गया। यह पुस्तक मेला 27 मार्च 2025 तक रहेगा। इस सात दिवसीय महोत्सव का आयोजन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत (एनबीटी) द्वारा किया जा रहा है।
एनबीटी, जो शिक्षा मंत्रालय की नोडल एजेंसी है, लंबे समय से देश में पुस्तक संस्कृति और पठन प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए पुस्तक मेले, कार्यशालाओं और साहित्यिक आयोजनों का आयोजन करता आ रहा है। इस बार पटना पुस्तक मेला में लगभग 300 स्टॉल लगाए जाएंगे, जिनमें देशभर के प्रकाशकों और प्रदर्शकों की पुस्तकें उपलब्ध होंगी। इस बात कि जानकारी प्रेस वार्ता में एनबीटी के निदेशक युवराज मलिक ने दी।
इस पुस्तक मेला में सदीनामा प्रकाशन के स्टाल139 का उद्घाटन बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने किया। उन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन में कोलकाता के इस प्रकाशन के योगदान को स्मरण करते हुए इसकी प्रशंसा की। डॉ. सुलभ ने स्वतंत्रता-आंदोलन में हिन्दी भाषा के योगदान के बारे में चर्चा की। बताया कि देश के तत्कालीन नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों ने यह अनुभव किया था कि पूरे देश में संवाद स्थापित करने के लिए देश की एक संपर्क भाषा अवश्य होनी चाहिए। गहन विमर्श के बाद सबने यह माना कि हिन्दी ही यह भाषा हो सकती है, जो पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ सकती है।
मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार सिद्धेश्वर, श्रुत कीर्ति अग्रवाल, कवयित्री रूबी भूषण, कवि अशोक कुमार, तूणीर कुमार आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर बोलते हुए विशिष्ट अतिथि कवि कथाकार एवं चित्रकार सिद्धेश्वर ने कहा कि साहित्य संस्कृक्ति को एक नई पहचान देने में, कोलकाता का सदीनामा प्रकाशन सतत प्रयत्नशील है। सिर्फ साहित्यिक सांस्कृतिक पुस्तक ही नहीं, जितेंद्र जीतांशु के संपादन में प्रकाशित सदीनामा दैनिक एवं मासिक पत्रिका की लंबी अवधि में के कई कई महत्वपूर्ण अंक प्रकाशित किए हैं जो अपनी निष्पक्षता और निर्भीकता के लिए जाने जाते हैं।
- सिद्धेश्वर