डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-विशेष संवाददाता। गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, जमुहार के अंतर्गत संचालित नारायण कृषि विज्ञान संस्थान के शस्य विज्ञान विभाग में कार्यरत सहायक प्राध्यापक सह-प्रभारी फसल प्रक्षेत्र डॉ. धनंजय तिवारी ने बताया की इस समय मौसम में लगातार बदलाव और वातावरण में नमी तथा बादल छाए रहने के कारण धान की फसल में कंडुआ रोग फैल रहा है। इसे आम बोलचाल की भाषा में लेढ़ा रोग या हल्दी रोग से भी किसान जानते हैं। यह रोग एक फफूंद जनित बीमारी है, जो संक्रमित बीज, मिट्टी तथा वायु के माध्यम से भी फैलता है। इसका प्रकोप इस समय बढ़ गया है, क्योंकि इस समय धान में बालियां निकल रही हैं और इस रोग का प्रकोप पौधे के इस अवस्था में अधिक होता है। प्रभावित पौधे के दाने एक बडे़ गांठ में परिवर्तित हो जाते है, साथ में उसमे पीले रंग का पाउडर दिखाई देने लगता है। इसे छूने पर वह हाथ पर लग जाता है। रोग की वजह से फसल उत्पादन के साथ साथ आगे अंकुरण में भी समस्या आती है। रोग से बचने के लिए नियमित खेत की निगरानी करते रहना चाहिए और रोग का प्रकोप अगर पौधों की एक दो बालियों पर दिखाई दे रहा है, तो प्रभावित पौधों की बालियों को सावधानी पूर्वक काट कर खेत से बाहर निकालकर फेक दें या उसे जला दें। इसलिए अगर किसी भी खेत में इसका लक्षण दिखता है तो किसानों को सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि यह हवा के माध्यम से भी बहुत तेज फैलता है। अगर रोग के शुरूआती दौर में इस पर रोक लग जाए तो काफी हद तक इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। रोग के नियंत्रण के लिए कुछ फफूंदनाशी रसायन जैसे- प्रोपेकोनोज़ोल 1 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर किसान भाई मौसम साफ रहने पर छिड़काव करे।
(रिपोर्ट, तस्वीर : भूपेंद्र नारायण सिंह, पीआरओ )