पटना (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। कौन कहता है लघुकथा का विकास नहीं हो रहा ? लघुकथा में नित्य नए प्रयोग हो रहे हैं, यह संकेत मिलता है आज के कई समकालीन लघुकथाकारों की लघुकथाओं को पढ़ते हुए। आज सोशल मीडिया पर लिखी जा रही कई श्रेष्ठ लघुकथाएं, लघुकथा के उन मठाधीशों के लिए चुनौती है, जो नए प्रयोग के नाम पर लघुकथा की परिभाषा और सिद्धांतों का मखौल उड़ाते रहते हैं, कभी कई घटनाओं को एक साथ जोड़कर, कभी काल दोष को स्वीकार कर, तो कभी अनावश्यक रूप से व्याख्या करते हुए लघुकथा को विस्तार देकर। यह बातें भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने कहा। मौका था ऑनलाइन आयोजित अवसर साहित्य यात्रा पेज पर लघुकथा सप्ताह का जिसकी अध्यक्षता करते हुए लेखिका सुनीता मिश्रा ने कहा कि सिद्धेश्वर द्वारा संयोजित व्हाट्सएप के इस लघुकथा पाठशाला से बहुत सारे नए रचनाकार, सृजनात्मक जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। लघुकथा लेखन एक साधना है।यह संक्षिप्तता का संयोजन नहीं है, बल्कि शिल्प और भावनाओं की अभिव्यक्ति भी है।
जब गरम तवे पर, हथेली में ठंडा पानी लेकर छिड़कते है और उससे उत्पन्न जो ज़ोर से छन्न की आवाज़ होती है, यह लघुकथा का पंच होता है। लघुकथा पढ़कर, अंत में बिना किसी दवाब के एकदम, पाठक के मुँह आह या वाह निकल पड़े, यह होती है लघुकथा। लघुकथा विसंगतियों की पकड़ है उनपर प्रहार है l विसंगतियाँ हमारे जीवन में चारो ओर फैली हैं, समाज में, परिवार में, धर्म में, राजनीति में यहाँ तक कि दैनिक कामकाज में हम इनसे अनेकों बार दो चार होतें हैं। हमें इनकी पड़ताल नहीं करनी पड़ती यह हमारे विचारों में मौजूद हैं।हमारी सोच हमारी क्रियाओं में सम्मिलित हैं।लघुकथा चिंतन है, मनन है और मंथन है l
लघुकथा के शिल्प की बात करें तो इसमें कथानक और कहन जुड़े है। इसकी बुनावट कसी हुई होनी चाहिए। लघुकथा अनावश्यक विस्तार नहीं चाहती। शब्दों की फिजूल खर्ची से इसे परहेज है।
पात्रों की अधिक संख्या भी लघुकथा में भ्रामक स्थिति पैदा करती है।
सोमवार से शनिवार तक चली लघुकथा सप्ताह (लघुकथा पाठशाला) में प्रस्तुत की गई, जिस पर अध्यक्षीय टिप्पणी के अतिरिक्त पाठकों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। निर्मल कुमार दे ने कहा कि सप्ताह भर चले लघुकथा पाठशाला एवं आज के कार्यक्रम में अधिकांश लघुकथाएं उम्दा थी। सिद्धेश्वर जी की डायरी से और समीक्षक सुनीता जी के अध्यक्षीय संबोधन से मंच पर उपस्थित सभी रचनाकारों को लघुकथा की बारीकियों को समझने में मदद मिली।
प्रख्यात विद्वान,लेखक व लघुकथा कलश के संपादक डा. योगराज प्रभाकर ने एक लघुकथा की समीक्षा करते हुए कहा कि इस कथानक पर बहुत ही प्रभावशाली लघुकथा बन सकती थी, मगर ट्रीटमेंट बेहद साधारण रह गई। ट्रीटमेंट के अर्थ को समझाते हुए डॉक्टर प्रभाकर ने कहा कि आपको दूध मिला, और आप उसमे से दही जमाकर ख़ुश हो गए। उसे दूध को मथकर मक्खन निकाला जा सकता था और उससे घी भी बन सकता था। इस प्रोसेस को ट्रीटमेंट कहते हैं।
लघुकथा शोध केंद्र भोपाल की निदेशक डा. कांता राय ने कहा कि न आगे, न पीछे, जहां से घटना शुरू होती है, लघुकथा वहीं से बनने लगती है। अंतिम पंक्ति में अगर संवाद हो तो वह अधिक असरकारी होता है।
सिद्धेश्वर की लघुकथा पर विजया कुमारी मौर्य ने कहा कि बहुत बेहतरीन लघुकथा है सिद्धेश्वर की ” फेसबुकिया साहित्यकार l” लिखने वाले अलग-अलग सोच के होते हैं इसमें कोई दो राय नहीं, मुझे तो लगता है, पत्र – पत्रिकाओं में छपना और पारिश्रमिक मिलना ये तो सौदे की सन्तुष्टि है, लोग पढ़कर किनारे रख देते हैं या पढ़ते ही नहीं, मगर फेसबुक वाट्स ऐप पर लोगों द्वारा किया गया लाइक कमेन्टस् दिल को सुकून देता है।
अवसर साहित्य पाठशाला की कार्यशैली को रेखांकित करते हुए गार्गी रॉय ने कहा कि लघुकथा कार्यशाला मेरे लिए बहुत मनोरंजक और महत्वपूर्ण रहा क्योंकि
सीखने-सिखाने के अलावा सर ने धन्यवाद ज्ञापन का भार अनायास ही सौंप दिया। पहले तो मैं थोड़ा नर्वस हुई फिर जैसे-तैसे बोल ही लिया। हो सकता है उत्कृष्ट शब्दों की कमी हो क्योंकि लिखा हुआ नही पढ़ रही थी। परन्तु जैसा बोली दिल के उदगार थे ..स्वाभाविक थे। मुझमें आत्मविश्वास लाने के लिए सिद्धेश्वर सर का आभार। इस पेज के प्रभारी ऋचा वर्मा थी।
इनके अतिरिक्त पुष्प रंजन, संजय राय, विद्या चौधरी, अनीता रश्मि, गोपेश कुमार, नलिनी श्रीवास्तव, सुशील जोशी अरविंद कुमार मिश्रा,आलोक हेमंत, नीलम नारंग, ऋचा वर्मा , सुमन कुमार, अंजू गुप्ता, मनोरमा पंत, मंजू गुप्ता, जिन्नत शेख, संतोष कुमार माधव, विज्ञान व्रत गार्गी राय, सुशील जोशी,अर्चना अर्जन, राज प्रिया रानी, अनीता मिश्रा संध्या प्रकाश,अरुण निशांक,कालजयी घनश्याम,आशा शैली, सपना चंद्रा,पुष्प रंजन, अंजू दास गीतांजलि, , संतोष मालवीय, नमिता सिंह, इंदू उपाध्याय, रजनी श्रीवास्तव अनंता, माधुरी जैन, डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना,आदि ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की और सप्ताह भर चले इस लघुकथा पाठशाला में अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया l
प्रस्तुति : बीना गुप्ता (जन संपर्क पदाधिकारी) भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना ( बिहार) मोबाइल :9234760365 ईमेल :[email protected]