निकट भविष्य में भारत के रेलवे स्टेशन पहले जैसे नहीं रहने वाले हैं। दशकों तक जो बदलावों से दूर रही और कुछ मामलों में एक सदी से भी अधिक समय तक हालत यही बनी रही, तो अब भारतीय रेल, अमृत भारत स्टेशन योजना के अंग के रूप में एक अभूतपूर्व परिवर्तन के लिए तैयार है। देश में 1300 से अधिक रेलवे स्टेशनों को बदलने की केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना को तब और बढ़ावा मिला, जब प्रधानमंत्री ने 26 फरवरी, 2024 को 554 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला रखी। 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का काम पहले से ही प्रगति पर है, जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री ने पिछले साल अगस्त में रखी थी।
अमृत भारत स्टेशन योजना लाखों यात्रियों को यात्रा का सुखद अनुभव देने के इरादे से अपनी अवसंचरना को आधुनिक बनाने के लिए भारतीय रेल द्वारा ठोस प्रयास का परिचायक है। इस योजना में आधुनिक यात्री सुविधाओं जैसे सौंदर्यपूर्ण रूप से डिजाइन किए गए अग्रभाग, प्लेटफार्मों को दुरुस्त करना, सुंदर भूनिर्माण, रूफ प्लाजा, कियोस्क, फूड कोर्ट, किड्स प्ले एरिया आदि शामिल हैं। इसके तहत सुगमता सुनिश्चित करने के प्रयासों में सड़कों को चौड़ा करना, अनुपयोगी संरचनाओं को हटाना, अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए साइनेज स्थापित करना, समर्पित पैदल मार्ग स्थापित करना और बेहतर प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ पार्किंग सुविधाओं को बढ़ाना शामिल है।
अमृत भारत स्टेशन योजना की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक यह है कि पुनर्विकास स्टेशन भवनों के डिजाइन स्थानीय संस्कृति, विरासत और वास्तुकला से प्रेरित हैं। उदाहरण के लिए अहमदाबाद स्टेशन मोढेरा सूर्य मंदिर से प्रेरित है, तो वहीं द्वारका स्टेशन द्वारकाधीश मंदिर से प्रेरित है। गुरुग्राम स्टेशन पर आईटी थीम होगी, जबकि ओडिशा के बालेश्वर स्टेशन को भगवान जगन्नाथ मंदिर की थीम पर डिजाइन किया जाएगा। चोल वास्तुकला का प्रभाव तमिलनाडु के कुंभकोणम स्टेशन पर व्यापक रूप से दृष्टिगोचर होगा।
जिन स्टेशनों का पुनर्विकास पहले से किया जा रहा है, उनमें पुरी के स्टेशन जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला से प्रेरित है, जबकि तमिलनाडु के मदुरै और रामेश्वरम स्टेशन क्रमश: मदुरै मीनाक्षी और रामनाथस्वामी मंदिर से प्रेरित हैं। कोटद्वार के रेलवे स्टेशन में आमतौर पर हिल स्टेशन वास्तुकला की विशेषता है, जबकि उदयपुर स्टेशन उम्मेद भवन पैलेस से प्रेरित एक गुंबद की तरह है। फरीदाबाद, गाजियाबाद, सफदरजंग और बिजवासन जैसे दिल्ली एनसीआर स्टेशन प्रयागराज, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद और चेन्नई एगमोर के साथ आधुनिक दिखते हैं। हैदराबाद में हाईटेक सिटी स्टेशन आधुनिक डिजाइनर लुक में है, जबकि बेंगलुरु के दो स्टेशन- यशवंतपुर और बेंगलुरु कैंट हवाई अड्डे जैसे लुक में दिखते हैं।
अमृत भारत स्टेशन योजना की कहानी वर्ष 2021 से शुरू होती है, जब गांधीनगर आधुनिकीकरण को अंगीकार करने वाला पहला रेलवे स्टेशन बन गया, जिसमें अत्याधुनिक और पांच सितारा होटल जैसी सुविधाएं उपलब्ध हुई। बाद में उसी वर्ष, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, जिसे पहले हबीबगंज के नाम से जाना जाता था, ने एक नया रूप धारण किया। वर्ष 2022 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन प्रमुख रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास को मंजूरी दी। इस मंजूरी के अंतर्गत सरकार ने विभिन्न स्थानों अर्थात् नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, अहमदाबाद रेलवे स्टेशन और मुम्बई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस को संवारने-निखारने का निर्णय किया। उल्लेखनीय है कि छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पहले से ही यूनेस्को का विश्व विरासत स्थल है।
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकास के लिए तैयार किए जा रहे स्टेशनों में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 149 रेलवे स्टेशन हैं, इसके बाद महाराष्ट्र में 123, पश्चिम बंगाल में 94, बिहार में 92, गुजरात में 87, राजस्थान में 82 और मध्य प्रदेश में 80 रेलवे स्टेशन हैं।
बिहार में कुछ रेलवे स्टेशन इस प्रकार हैं जो परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं।
निर्माणधीन/ वर्तमान स्तिथि
स्थान: मुज़फ्फरपूर रेल्वे स्टेशन
बनने के बाद का दृश्य
निर्माणधीन/ वर्तमान स्तिथि
स्थान: गया रेल्वे स्टेशन
बनने के बाद का दृश्य
निर्माणधीन/ वर्तमान स्तिथि
स्थान: सहरसा रेल्वे स्टेशन
बनने के बाद का दृश्य
बिहार में कुल 92 स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकास किया जा रहा है। कुछ महत्वपूर्ण स्टेशनों में मुज़फ्फरपूर, गया और सहरसा स्टेशन शामिल हैं ।
भारत की जीवनरेखा कही जाने वाली, भारतीय रेल प्रतिदिन 13,000 ट्रेनों का संचालन करती है, जो पूरे देश में 7,325 स्टेशनों को जोड़ती है। रेल विभाग हाल के वर्षों में पूंजीगत व्यय में अभूतपूर्व वृद्धि का गवाह रहा है और वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान पूंजीगत व्यय के लिए 2.52 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
रिपोर्ट: पीआईबी (पटना), इनपुट: निशांत राज