अमेरिका और उत्तर कोरिया के हाथ मिले, फिलहाल शीत युद्ध समाप्त

कूटनीति के स्तर पर ट्रंप शासनकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है कि पूरे कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु शस्त्र रहित बनाने पर अमेरिका और उत्तर कोरिया आरंभिक तौर पर सहमत हो गए हैं। 70 साल पहले कोरियाई द्वीप दो हिस्सों में बंट गया था। उत्तर कोरिया में कम्युनिस्ट शासन हो गया और दक्षिण कोरिया लोकतांत्रिक देश बना। इन दोनों के अंतरराष्ट्रीय समीकरण बदलते गए और इनके बीच तनाव भी बढ़ता गया।
सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की ऐतिहासिक मुलाकात पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं। उत्तर कोरिया द्वारा एक के बाद एक किए गए मिसाइल और परमाणु परीक्षणों के चलते न केवल कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव असाधारण रूप से बढ़ गया था बल्कि किसी भी पल भीषण युद्ध भड़कने का खतरा भी मंडराने लगा था। ऐसे माहौल में दोनों नेताओं की मुलाकात-बात बड़ी बात है।
हालांकि अभी यह तय नहीं है कि परमाणु निरस्त्रीकरण का लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाएगा और इसके कितने चरण होंगे? यह अभी अनुत्तरित हैं। दोनों पक्षों को आपसी बातचीत के जरिए इनके जवाब हासिल करने हैं। अमेरिका ने साउथ कोरिया से अपने सैनिकों की वापसी पर हामी भरी है और उत्तर कोरिया ने परमाणु निरस्त्रीकरण प्रक्रिया के निरीक्षण की बात मानी है।
दोनों देशों के बीच सहमति आरंभिक स्तर की है। इसे शांतिपूर्ण संबंधों की मंजिल तक पहुंचाने के लिए दोनों पक्षों को लंबा सफर तय करना है। यह भी माना जा रहा है कि इस मुलाकात की वजह उत्तर कोरिया पर लगाए गए सख्त अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भी वजह है। किम को वार्ता की मेज तक लाने में चीन और रूस जैसे देशों की सकारात्मक भूमिका रही है।


दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच हुई ऐतिहासिक वार्ता की सराहना की और इसे अंतिम शीत युद्ध की समाप्ति बताया। कहा कि उत्तर कोरिया-अमेरिका की ऐतिहासिक बैठक की ऐतिहासिक घटना से पृथ्वी पर अंतिम शीत युद्ध को समाप्त कर दिया। बेशक ट्रंप और किम ने साहस और संकल्प का कार्य किया है। दोनों कोरियाई देशों के बीच अमेरिका के साथ रिश्तों का एक नया दौर शुरू होगा।

 

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड को पाकिस्तान में करारा झटका

 पाकिस्तान में आगामी 25 जुलाई को होने जा रहे आम चुनाव से पहले मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को करारा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने सईद के संगठन जमात-उद-दावा की राजनीतिक इकाई मिल्ली मुस्लिम लीग को राजनीतिक पार्टी के तौर पर पंजीकृत करने की अर्जी खारिज कर दी है। हाफिज सईद पिछले महीने से ही मल्ली मुस्लिम लीग के लिए चुनाव प्रचार कर रहा है।0
इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने पाकिस्तान चुनाव आयोग से कहा था कि वह मिल्ली मुस्लिम लीग को राजनीतिक पार्टी के तौर पर पंजीकृत करने की अर्जी खारिज किए जाने के अपने फैसले की समीक्षा करे। अब्दुल गफ्फार सूमरो की अध्यक्षता वाली आयोग की चार सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में मिल्ली मुस्लिम लीग को राजनीतिक पार्टी के तौर पर पंजीकृत करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया। अपने आदेश में पीठ ने कहा कि आंतरिक मामलों के मंत्रालय की टिप्पणियों के मद्देनजर यह निर्णय किया गया है। मंत्रालय ने मिल्ली मुस्लिम लीग के संबंध प्रतिबंधित जमात-उद-दावा के नेता हाफिज से होने के कारण उसे राजनीतिक पार्टी के तौर पर पंजीकृत करने पर आपत्ति जाहिर की। जमात-उद-दावा प्रतिबंधित जमात-उद-दावा की एक शाखा है।

-सोनमाटी देशांतर डेस्क

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