– कृष्ण किसलय –
डेहरी-आन-सोन/रांची/पटना (विशेष प्रतिनिधि, सोनमाटी टीम)। सड़कों का निर्माण कागज पर करने वाले बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन की कहानी सत्ता के मद में अच्छा-बुरा में फर्क नहींदेखने वाले एक अंधे शाह के तख्तोताज के काफूर होने की सत्यकथा जैसी है। वह अपने निजी सचिव शहाबुद्दीन बेग और ट्रांसपोर्टर जनार्दन प्रसाद अग्रवाल के साथ फिलहाल 4 वर्ष की सश्रम कारावास भुगतने के लिए झारखंड जेल में हैं। 24 साल पुराने अलकतरा घोटाला के एक कांड में सीबीआई कोर्ट के विशेष जज एके मिश्र ने 27 सितम्बर को चार साल कारावास की सजा सुनाने के साथ चार व छह लाख रुपये का जुर्माना भी लगया, जिसे नहीं देने पर सजा अवधि बढ़ जाएगी। कोर्ट ने इलियास हुसैन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13/२ का भी दोषी माना है।
अत्यंत धीमी न्यायिक प्रक्रिया के कारण 11 साल बाद आया फैसला, 15 साल पहले दाखिल हुई थी कोर्ट मेंं चार्जशीट
भारतीय दंड विधान की धारा 407, 420 व 120-बी के तहत तीनों अपराधियों को सजा सुनाए जाने के बाद कोर्ट परिसर से ही न्यायिक हिरासत (जेल) में भेज दिया गया। कांड के तीन नामजद शमी अहमद, सुशील कुमार और राम अवतार सरकारी गवाह बन जाने से आरोपमुक्त हो गए। सीबीआई ने 15 साल पहले 26 जुलाई 2003 को ही चार्जशीट दाखिल की थी और अदालत ने चार साल बाद 30 मार्च 2007 को तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किया था। अत्यंत धीमी न्यायिक प्रक्रिया के कारण फैसला आने में 11 साल लगे। सीबीआई ने जांच अधिकारी अनिल कुमार सिंह सहित 31 गवाह के बयान दर्ज कराए। आरोपियों ने बचाव में 6 गवाह पेश किए। चतरा (झारखंड) में 1994 में सड़क निर्माण के लिए आईओसीएल (हल्दिया) से 1500 मिट्रिक टन अलकतरा की आपूर्ति होनी थी, जिसमें 375 मिट्रिक टन आपूर्ति नहीं हुई। इसमें जाली बाउचर बनाकर 17 लाख 93 हजार 825 रुपये का गबन किया गया। इसके लिए मेसर्स जेपी अग्रवाल को गलत ढंग से ट्रांसपोर्टर पैनल में शामिल किया गया। पार्टी में धन जुटाने की हैसियत रखने वाले इलियास हुसैन मनीडाउन हुसैन के रूप में चर्चित रहे थे।
अलकतार घोटाला के नौ मामले हुए थे दर्ज, एक में बरी, दूसरे में सजा, अभी सात मामले विचाराधीन
पथ निर्माण मंत्री रहे इलियास हुसैन के खिलाफ अलकतरा घोटाले से जुड़े नौ कांड दर्ज किए गए थे। इन मामलों में धोखाधड़ी के आठ, आपराधिक षड्यंत्र के सात, क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट के छह और दस्तावेज हेराफेरी-फर्जीवाड़ा के भी आरोप हैं। सभी घोटाले तब के हैं, जब बिहार-झारखंड अविभाजित था। इनमें से सुपौल में 39 लाख रुपये की हेरा-फेरी के 1997 में दर्ज प्रकरण में 20 मई 2017 को उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने बरी कर दिया था। उस प्रकरण में ट्रांसपोर्टर कृष्ण कुमार केडिया को सजा सुनाई गई थी। दूसरे कांड में श्री हुसैन जेल गए हैं। अब सात मामले विशेष सीबीआई न्यायालय में विचाराधीन हैं।
इलियास हुसैन ने दिया नियमविरुद्ध आदेश,बाजार में बिका अलकतरा, खपत की झूठी संचिका हुई तैयार
अलकतरा घोटाला के नौ एफआईआर बिहार के तीन थानों डेहरी-आन-सोन, औरंगाबाद, जमुई थानों और झारखंड के पांच थानों चतरा, चाईबासा, गुमला, सरायकेला, जमशेदपुर में दर्ज हुए थे। जमशेदपुर में दो एफआईआर दर्ज हुए थे। सीबीआई ने सभी में अदालत में दायर अपने आरोपपत्र में दोष सिद्ध किया है कि इलियास हुसैन ने अलकतरा खरीद में निर्धारित नियम के विरुद्ध आदेश दिया और ट्रांसपोर्टरों द्वारा अलकतरा खुले बाजार में बेच देने के बाद पथ निर्माण विभाग के गोदामों में अलकतरा आपूर्ति की झूठी संचिका तैयार कराई।
1996 में डेहरी थाना में भी दर्ज हुई थी 1030 टन अलकतरा कम होने की एफआईआर
रोहतास जिले के डिहरी नगर थाना में 24 जून 1996 को पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता यमुना प्रसाद श्रीवास्तव ने 3060.33 मिट्रिक टन के बजाय 1030.30 मिट्रिक टन कम अलकतरा प्राप्त होने की प्राथमिकी (सं. 268/96) भारतीय दंड संहिता की धारा-409 के तहत दर्ज कराई थी। इस प्राथमिकी में एकमात्र अभियुक्त डीएन सिंह को बनाया गया था। डीएन सिंह को डेहरी-आन-सोन पथ प्रमंडल की तीन अवर प्रमंडलों डिहरी, सासाराम व बिक्रमगंज में बरौनी स्थित हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और इंडियन आयल के डीपो से ढुलाई का ठेका (आदेश) क्रमश: 08 जनवरी 1994, 25 जुलाई 1994 व 17 अगस्त 1994 को आदेश दिया गया था। डिहरी, सासाराम व बिक्रमगंज में क्रमश: 939.03, 250.44 व 840.56 मिट्रिक टन अलकतरा ही पहुंचा था।
पुलिस टीम ने की थी लीपा-पोती, सोनमाटी ने बताया था कि डेहरी-आन-सोन पहुंचेगी सीबीआई
डिहरी पुलिस की दो टीम बरौनी और हल्दिया भेजी गई, मगर लीपा-पोती हो गई। एक साल बाद मई 1997 में मामले को सीबीआई ने अपने हाथ में लिया। तब सोनमाटी ने ही अप्रैल 1997 में खबर प्रकाशित कर बताया था कि सीबीआई टीम अगले महीने (मई) डेहरी-आन-सोन पहुंच सकती है। कांड के आरोपसिद्ध अभियुक्त डीएन सिंह वहीं व्यक्ति हैं, जो अशोक सिंह के साथ सड़क निर्माण का ठेका लेते थे। दोनों के बीच खूंरेजी जंग भी हुई थी।
मुंजी गांव के सामान्य मुकेरी परिवार के इलियास हुसैन ने किशोर उम्र में ही धनकुबेर और शहंशाह बनने का देखा था ख्वाब
उल्लेखनीय है कि इलियास हुसैन 1980 में लोकदल के टिकट पर पहली बार बिहार के रोहतास जिलाअंतर्गत डिहरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। दूसरी बार इसी क्षेत्र से विधायक बने और लालू प्रसाद के मंत्रिमंडल में पथ निर्माण मंत्री बनाए गए हैं। कहते हैं कि रोहतास जिला के मुंजी गांव के सामान्य मुकेरी परिवार से आने वाले इलियास हुसैन ने किशोर उम्र में ही धनकुबेर और शहंशाह बनने का ख्वाब देखा था, जिसके लिए हर संभव काम करने की ठानी थी। इसी ख्बाब को अमली जामा पहनाने के लिए जैसाकि बताया जाता है, उन्हें असम में एक विचित्र तरह के कारोबार में कानूनी सामना भी करना पड़ा था। जबकि उनके पिता फारुख हुसैन (भृुग हुसैन) अपने भाई के साथ कोलकाता में नौकरी करते थे।
(आगे भी जारी)
(रिपोर्ट : कृष्ण किसलय, तस्वीर : अखिलेश कुमार)