डेहरी-आन-सोन (बिहार)-कृष्ण किसलय। जिस देश में सैकड़ों विश्वविद्यालय हों और हजारों डाक्टर-इंजीनियर-अफसर हर साल बनते हों, फिर भी उस देश को आखिर नोबेल पुरस्कार क्यों नहीं मिलता? नोबेल पुरस्कार के इतिहास में अभी तक 12 भारत वंशियों को नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें छह ने दूसरे देश में रहकर कार्य किया है और एक भारत में बसीं मदर टेरेसा भारतीय मूल की नहीं हैं। इस तरह अभी तक कुल पांच भारतवासियों को ही नोबल पुरस्कार मिले हैं। विज्ञान में तो किसी मूल भारतवासी (प्रवासी भारतीय को छोड़कर) को नोबेल मिला ही नहीं है। जाहिर है कि देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी है और विश्वविद्यालय मेधा-मानव नहीं, रोबोट मानव बनाने के कारखाने बने हुए हैं। यह विचार बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यहां वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय नारायण मेडिकल कालेज एवं हास्पिटल के द्वितीय दीक्षांत समारोह में व्यक्त किया।
शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार की दरकार
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विश्व के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से निकलकर विभिन्न क्षेत्रों में नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वालों की संख्या का संदर्भ देकर बताया कि बिहार के पटना विश्वविद्यालय को कभी आक्सफोर्ड आफ ईस्ट कंट्रीज कहा जाता था, मगर आज सभी जानते हैं कि इस विश्वविद्यालय की क्या दशा है? पहले भी और इस साल भी आईएएस में सबसे अधिक संख्या में अव्वल आने वाले विद्यार्थियों की संख्या बिहार से ही है, जो दिल्ली में असुविधाजनक स्थिति में रहकर अपनी तैयारी करते हैं। इससे पता चलता है कि बिहार में प्रतिभाहै और शिक्षा-व्यवस्था में बड़े पैमाने पर सुधार (परिवद्र्धन) की दरकार है। बेशक आज शिक्षा का प्रसार व्यापक हुआ है, मगर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आज भी सिमटी हुई है।
व्यक्ति को ज्यादा शक्तिशाली बनाती है शिक्षा
उन्होंने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा किधन, बल या कोई शक्ति व्यक्ति को उतना इंपावर्ड नहींकरती, जितनी शिक्षा करती है। नालेज ही पावर है। शिक्षा समाज की बेहतर पीढ़ी बनाती है। यही वजह है कि दुनिया के कई अग्रणी देश अन्य मदों के बजट में कटौती करते हैं, पर शिक्षा के बजट में कटौती नहींकरते। बेहतर शिक्षा के अभाव में पूरी पीढ़ी बर्बाद होती है और उसका खामियाजा पूरे समाज को भुगतना पड़ता है। इस बात को देश की स्वाधीनता की लड़ाई लडऩे वाले मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने बखूबी समझा था और राष्ट्रीय आंदोलन में अग्रणी सक्रियता के साथ श्रेष्ठ शिक्षा संस्थानों के निर्माण का भी अति महत्वपूर्ण कार्य किया।
लड़कियों पढऩे में लड़कों से आगे
श्री मलिक ने नारायण मेडिकल कालेज में शिक्षा पाने वाले विद्यार्थियों में 52 फीसदी लड़कियों के होने की चर्चा करते हुए बताया कि लड़कियां पढऩे में लड़कों से आगे होती हैं। जबकि हमारे देश के कई राज्यों में खासकर हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लड़कियों को पैदा होने से पहले ही मार देने (भ्रूण हत्या) का उपक्रम किया जाता है, जिसे परिवार-समाज का भी समर्थन प्राप्त होता है। समाज की इस मानसिकता को तेजी से बदलने की जरूरत है।
बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य में बहुत कुछ करने की बेहद जरूरत : उपेन्द्र
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए केेंन्द्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि देश में शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की दरकार है और बहुत कम संसाधन वाले पिछड़े प्रदेश बिहार में तो इसकी बेहद जरूरत है। उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने वालों से आह्वान किया कि वे इस बात का हमेशा ख्याल रखेंगे कि उनकी सेवा का लाभ गरीबों को भी मिले।
आवश्यकता भर अर्थोपार्जन की नीति की अपील
समारोह को संबोधित करते हुए नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल की संचालक संस्था मेमोरियल देवमंगल मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं सांसद (राज्यसभा) गोपालनारायण सिंह ने भी पासआउट हुए एमबीबीएस के डिग्रीधारकों से कहा कि वे अपनी आवश्यकता भर ही अर्थोपार्जन की नीति पर चलेंगे और हमेशा ध्यान रखेंगे कि वे बेहद कम संसाधन वाले राज्य (बिहार) की जमीन की ऊपज हैं।
कुलपति ने दिलाई शपथ
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के कुलपति डा. सैयद मुमताजुद्दीन ने शिक्षा की अवधि पूरी कर एमबीबीएस की डिग्री धारण करने वालों को पारंपरिक गणवेष में सामूहिक वैधानिक प्रतिज्ञा दिलाई और अपने संबोधन में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले निजी महाविद्यालय नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल की विशेषता की जानकारी दी। समारोह को सांसद सुशील कुमार सिंह (औरंगाबाद) और सांसद छेदी पासवान (सासाराम) ने भी संबोधित किया।
एमबीबीएस की 150 सीटें, अन्य विषयों में भी पढ़ाई, विश्वविद्यालय बनने की ओर अग्रसर
आरंभ में देवमंगल मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव गोविन्दनारायण सिंह और नारायण मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के प्रबंध निदेशक त्रिविक्रमनारायण सिंह ने बताया कि 2008 में स्थापित इस कालेज को अब एमबीबीएस की 150 सीटों के लिए डिग्री देने का अनुमोदन भारतीय चिकित्सा परिषद से प्राप्त हुआ है, जो पहले 100 सीटों के लिए था। अब चिकित्सा में स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी आरंभ हो चुकी है। इस कालेज में राष्ट्रीय मानक स्तर के उपकरण व शैक्षणिक संसाधन उपलब्ध हैं। नर्सिंग, पैरामेडिकल, फार्मेसी आदि के बाद मास-काम (पत्रकारिता), कानून (एलएलबी), बी-काम जैसे विषयों की पढ़ाई भी इस कालेज परिसर में आरंभ होगी। यह महाविद्यालय अब विश्वविद्यालय बनने की ओर अग्रसर है। अंत में नारायण मेडिकल महाविद्यालय एवं अस्पताल के प्राचार्य डा. विनोद कुमार ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कालेज परिसर में नए प्रशासनिक भवन का लोकार्पण किया।
जिन्हें मिला गोल्ड मेडल
नेहा सर्वना (2010-11) को मेडिसिन, पेडियाट्रिक, स्नातक पाठ्यक्रम में वर्ष 2015 में विश्वविद्यालय परीक्षा में सर्वोच्च स्थान पाने के लिए देवनारायण सिंह मेमोरियल गोल्ड मेडल और मंगला देवी मेमोरियल गोल्ड मेडल। अंकिता शर्मा (2010-11) को सर्जरी में वर्ष 2015 में सर्वोच्च स्थान पाने के लिए गोपालनारायण सिंह मेमोरियल गोल्ड मेडल। सुश्री राधा (2010-11) को गायनीकालोजी में वर्ष 2015 में सर्वोच्च स्थान के लिए शैल सिंह गोल्ड मेडल। रितु राजन (2012-13) को स्नातक पाठ्यक्रम, मेडिसिन, पेडियाट्रिक में वर्ष 2017 में सर्वोच्च स्थान के लिए देवनारायण सिंह गोल्ड मेडल और मगंलादेवी मेमोरियल गोल्ड मेडल। सुश्री शिवम (2012-13) को सर्जरी में वर्ष 2017 मेें सर्वोच्च स्थान के लिए गोपालनारायण सिंह गोल्ड मेडल। कोमल किसलय (2012-13) गायनीकालोजी में वर्ष 2017 में सर्वोच्च स्थान के लिए शैल सिंह गोल्ड मेडल। सत्यम (2012-14) को पेडियाट्रिक में वर्ष 2017 में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने के लिए मंगलादेवी गोल्ड मेडल।
कार्यक्रम संयोजन-संचालन के सहयोगी
नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के द्वितीय दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम के संयोजन-समन्वय की अध्यापकों-विद्यार्थियों व स्टाफ की टीम में डा. राहुल मोहन, डा. बबन कुमार सिंह, डा. अहमद नदीम असलमी, डा. अभिषेक कामेन्दु, डा. अशोक देव, डा. सुनीता त्रिपाठी, डा. दिलीप कुमार यादव के साथ कालेज के जनंसंपर्क अधिकारी भूपेन्द्रनारायण सिंह शामिल थे। समारोह के मंच का संचालन सौरभ कुमार, सृष्टिश्री और श्रेया ने किया।
तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप, निशांत राज