आह्वान : जनतंत्र में संख्या बल का ही है महत्व

औरंगाबाद (बिहार)-विशेष संवाददाता। 55 वैश्य उपजातियों को संगठित करने के लिए प्रतिबद्ध गैर राजनीतिक संगठन वैश्य चेतना समिति की बैठक बैजनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में स्थानीय धर्मशाला में हुई, जिसमें संगठन के विस्तार पर चर्चा की गई। संस्था के अध्यक्ष इ. सुन्दर साहू ने कहा कि वैश्य समुदाय की संस्थाएं किसी न किसी दल से जुडी हैं या किसी जाति विशेष की है, जबकि वैश्य चेतना समिति सभी जाति के वैश्यों को जोडऩे के लिए प्रयासरत है। वैश्यों का दोहन-शोषण तब तक होता रहेगा, जब तक हम एकसाथ बैठना शुरू नहीं करते। समिति के कोषाध्यक्ष नंदकिशोर पोद्दार ने कहा कि सबका तन-मन का समर्थन मिल जाए तो समस्या ही नहीं है।

हड़प्पा काल के राजा भी थे व्यापारी, वैश्यों ने तो लड़ा है युद्ध भी
गौरव अकेला ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष में सभी जाति के लोग शामिल थे। वैश्य सिर्फ व्यापारी ही नहीं रहे हैं, वैश्यों ने युद्ध भी लड़ा है। हड़प्पा सभ्यता काल के राजा भी व्यापारी थे। यह अवधारणा ही गलत है कि वैश्य योद्धा नहीं होते। वैश्यों को भारतीय जनमानस और समाज की बेहतर समझ है। नगर परिषद अध्यक्ष उदय गुप्ता ने कहा कि वैश्य समाज राजनीति को हल्के ढंग से लेता है। जब तक वैश्य समाज के लोग अधिक से अधिक संख्या में विधायक-सांसद नहीं होते, तब तक जनतंत्र की असली ताकत नहीं आएगी। प्रजातंत्र में संख्या बल का ही महत्व है।
संगठन से गरीबों, महिलाओं को जोडऩा जरूरी
सेवानिवृत डीडीसी रविकांत ने कहा कि वैश्य को एकजुट करने के लिए गांव-गांव जाना होगा, गरीबों को जोडऩा होगा, महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी। 2011 की जनगाणना के अनुसार देश की 26 प्रतिशत आबादी वैश्य है। संगठन बिना भेद-भाव सभी के साथ होने की भावना से कार्य करे तो मिशन कामयाब होगा। सुनील शरद ने कहा कि वैश्यों में लेग-पुलिंग यानी पैर खिंचाई की प्रवृति व्यापक है। बदलने के लिए सबको एकजुट करना होगा। डेहरी से एनडीए प्रत्याशी रहे रिंकू सोनी ने कहा कि वैश्य जाति का कोई भी प्रत्याशी हो, उसे दलीय दृष्टि और गुटीय हित से ऊपर जाकर महत्व देना चाहिए।

(रिपोर्ट व तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप)

 

गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय में आर्ट आफ लिविंग का योग-अभ्यास

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्रीरविशंकर के स्कूल में प्रशिक्षित प्रशिक्षिकों के तत्वावधान में जमुहार स्थित गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय में योग प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत सभी शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों, अध्यापकों और गैर शिक्षण कर्मचारियों के लिए अलग-अलग सत्रों में योग-अभ्यास कराया जा रहा है। आर्ट आफ लिविंग के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक अखिलेश परमाणु के साथ योग प्रशिक्षक रंजय ओझा, पुरुषोतम सिंह, नवनीत नीलेन्द्र शारीरिक सामथ्र्य और व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से योग-अभ्यास के गुर सिखा रहे हैं। मानसिक स्थिरण के लिए यस प्लस प्रोग्राम की शुरुआत भी की गयी

विश्वविद्यालय में योग-पाठ्यक्रम भी चलाने की योजना
विश्वविद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव गोविन्दनारायण सिंह और नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के प्रबंध निदेशक त्रिविक्रमनारायण सिंह ने योग सत्र में अपने संबोधन में कहा कि प्रसन्नता की बात है, आज यह विश्वविद्यालय अपने अध्यापकों-विद्यार्थियों के संकल्प से नशामुक्त परिसर बन रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन सभी के प्रति आभार प्रकट करता है। बताया कि कि जीवन को तनावमुक्त रखने में योग का सबसे बेहतर विकल्प है। भविष्य में गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय में आर्ट आफ लिविंग का भी नियमित पाठ्यक्रम-सत्र चलाने की योजना है। इसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एमएल वर्मा के निर्देशन में रूपरेखा तैयार की जा रही है।

(रिपोर्ट व तस्वीर : भूपेन्द्रनारायण सिंह, पीआरओ, जीएनएसयू)

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