इसलिए मिला आईसीएएन को नोबेल

पूरी दुनिया आज से 72 साल पहले  1945 में जापान पर परमाणु बम हमले की भयावहता महसूस कर चुकी है। इसके बावजूद कई देश परमाणु हथियारों की रेस में हैं। जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं, उन्हें ताकतवर मुल्क के तौर पर देखा जाता है। जिनके पास परमाणु हथियार नहीं है, वे इसे बनाने की तकनीक को पा लेने की जुगत में लगे हुए हैं। परमाणु हथियारों की भयावहता को उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच जारी जुबानी जंग के कारण इन दिनों कुछ ज्यादा ही महसूस किया जा रहा है। उत्तर कोरिया लगातार परमाणु हमले की धमकी दे रहा है। इसी तनाव के बीच 1.1 मिलियन डॉलर का शांति नोबेल पुरस्कार आईसीएएन (इंटरनेशनल कैंपेन टु अबॉलिश न्यूक्लियर वेपंस) को दिया गया है। नोबेल पुरस्कारों की 116 वर्षों की यात्रा में करीब नौ सौ लोगों को पुरस्कृत किया जा चुका है।

खतरे से आगाह कर रहा
आईसीएएन दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने की कोशिश में लगा हुआ है और और दुनिया भर की सरकारों को परमाणु हथियारों के खतरे से आगाह कर रहा है। 10 साल पहले अस्तित्व में आई इस संस्था का मुख्यालय जेनेवा में है और 101 देशों में इसके 468 सहयोगी समूह हैं। इस संस्था के समर्थकों में दलाई लामा, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डेसमंड टुटु, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून जैसे दुनिया के अग्रणी लोग हैं।

अभियान का असर
इस संस्था (आईसीएएन) के अभियान का ही असर है जुलाई में परमाणु हथियारों पर रोक के लिए 122 देश यूएन संधि के समर्थन में आगे आए। हालांकि परमाणु संपन्न देशों ने अपने-अपने तर्क के साथ इस संधि का विरोध भी किया। यूएन संधि में परमाणु हथियारों के विकास, परीक्षण, उत्पादन, निर्माण, भंडारण पर रोक लगाने की बात है। अब तक इस संधि पर 53 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं और वहां संपुष्टि की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। जब यह संधि अंतरराष्ट्रीय कानून के अंतर्गत स्थापित हो जाएगी, तब इसके आधार पर भारत समेत नौ नाभिकीय शस्त्र संपन्न देश गैरकानूनी आपराधिक व्यवहार के दोषी माने जाएंगे।

पूरी दुनिया चिंतित
उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों एवं परमाणु हथियारों से पूरी दुनिया चिंतित है। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने तो कहा है कि खतरे की स्थिति में उत्तर कोरिया को पूरी तरह से तबाह कर देंगे। रूस के पास 7000, अमेरिका के पास 6800, फ्रांस के पास 300, चीन के पास 260, यूके (यूनाइटेड किंग्डम यानी इंग्लैंड) के पास 215, पाकिस्तान के पास 130, भारत के पास 120 और इस्राइल के पास 80 परमाणु हथियार हैं। अमेरिका के पास दशकों से ऐसे परमाणु हथियार हैं, जो धरती को इतनी बुरी तरह तबाह कर सकते हैं कि यह इंसान के रहने लायक नहीं रह जाएगा।

इसी तरह दास प्रथा
यहां उल्लेखनीय है कि दुनिया में दास प्रथा की समाप्ति के संघर्ष के मामले में भी उसकी आपराधिक चरित्र को नैतिक कानूनी सिद्धांत से ही बल मिला था। ठीक उसी तरह आइसीएएन ने यह महसूस किया है कि विश्व से नाभिकीय शस्त्रों की समाप्ति के लिए पहले नैतिक कानूनी सिद्धांत को स्थापित करना जरूरी है।
-सोनमाटी समाचार

  • Related Posts

    पत्रकार उपेंद्र कश्यप को मिला डाक्टरेट की मानद उपाधि

    दाउदनगर (औरंगाबाद) कार्यालय प्रतिनिधि। फोर्थ व्यूज व दैनिक जागरण के पत्रकार उपेंद्र कश्यप को ज्वलंत और सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने, सोन का शोक, आफत में बेजुबान, सड़क सुरक्षा और…

    पूर्व मंत्री डॉ. खालिद अनवर अंसारी का निधन

    -मुख्यमंत्री ने डॉ. खालिद अनवर अंसारी के निधन पर जताया दुःख, राजकीय सम्मान के साथ होगा उनका अंतिम संस्कार डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि। बिहार के पूर्व केबिनेट मंत्री सह आंल…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    कार्यालय और सामाजिक जीवन में तालमेल जरूरी : महालेखाकार

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति और माटी से भी कसकर जुड़े रहना चाहिए : रामनाथ कोविन्द

    शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति और माटी से भी कसकर जुड़े रहना चाहिए : रामनाथ कोविन्द

    भारत के राष्ट्रपति जीएनएसयू के तृतीय दीक्षान्त समारोह में होंगे शामिल

    भारत के राष्ट्रपति जीएनएसयू के तृतीय दीक्षान्त समारोह में होंगे शामिल