बिहार के समाज को बेहतर बनाने की दिशा में उम्मीद जगाने वाला है आईएएस बेटे की शादी बिना दहेज करने का ऐलान, फैसला नई राह दिखाने वाला और समाज के नीचले स्तर तक प्रेरणा देने वाला
डेहरी-आन-सोन (बिहार)-कृष्ण किसलय। बेटे की शादी बिना दहेज लेकर करने की बिहार से एक और ऊंची आवाज विश्वविश्रुत सोन नद के तट पर बसे सबसे बड़े शहर डेहरी-आन-सोन से आई है। यह ऐलान आईएएस बेटे के राजनेता पिता ने किया है और विवाह के लिए इस भावना के समर्थक परिवार को आमंत्रित किया है। बेटे हैं पश्चिम बंगाल में मिदनापुर जिला में पदस्थापित डा. विवेक कुमार और पिता हैं डेहरी-आन-सोन के निवासी व नबीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक वीरेन्द्रकुमार सिंह।
जिस बिहार में आईएएस-आईपीएस दूल्हे कई करोड़ की सबसे ऊंची कीमत पर बिकते हैं, उस बिहार में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बेटे की सादगीपूर्ण शादी के बाद अब बिना दहेज लेकर शादी करने की विधायक वीरेन्द्र कुमार सिंह की इच्छा बिहार के समाज को बेहतर बनाने की दिशा में उम्मीद जगाने वाली है। बिहार में दहेज की सबसे ऊंची बोली भूमिहार, राजपूत, कायस्थ, कुर्मी, यादव जाति के समाज में है। जदयू विधायक वीरेन्द्र कुमार सिंह की इस इच्छा के पीछे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दहेजबंदी मिशन का ही असर माना जा सकता है, क्योंकि श्री सिंह फिलहाल नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से विधायक हैं और पहले औरंगाबाद के सांसद भी रह चुके हैं। डा. विवेक कुमार ने एमबीबीएस कर डाक्टर बनने के बाद 2015 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा में शामिल होकर 80वां स्थान हासिल किया था।
वीरेन्द्र कुमार सिंह के इस निर्णय की आरंभिक जानकारी स्वतंत्र पत्रकार अखिलेश कुमार (डेहरी-आन-सोन) की फेसबुक वाल पर दी गई। एमबीबीएस करने के बाद डा. विवेक कुमार ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी के लिए प्लान और कठोर श्रम किया। डा. विवेक कुमार का मानना है कि आईएएस हो जाने के बाद एक चिकित्सक के मुकाबले देश व समाज की सेवा करने का व्यापक अवसर उनके पास होगा।
वीरेन्द्र कुमार सिंह ने अपना अनुभव बांटते हुए यह बताया है कि उन्हें भरोसा ही नहीं होता था कि उनका बेटा मन लगाकर पढ़ता भी है। मेडिकल की पढ़ाई के दिनों में छुट्टियों में घर (डेहरी-आन-सोन) आने पर पढ़ता नहीं था, तो खींझ होती थी, गुस्सा होता था। मगर ने एमबीबीएस किया तो यह सोचने पर मजबूर हुआ कि नई पीढ़ी को समझने के लिए पुरानी पीढ़ी के तरीके कारगर नहींहैं। बेशक आईएएस की परीक्षा में सफल होकर डा. विवेक ने एकदम चौंकाने वाला काम किया।
बहरहाल, सदियों से जारी दहेज रूपी कोढ़ को समाप्त करने के लिए हर स्तर पर कदम उठाने की जरूरत वाले समाज में विधायक बाप व आईएएस बेटे का फैसला नई राह दिखाने वाला और समाज के नीचले स्तर तक प्रेरणा देने वाला है। दहेज की मांग शाही खर्च और प्रदर्शन के कारण होती है, क्योंकि दहेज की रकम का बड़ा हिस्सा प्रदर्शन पर खर्च होता है। इसीलिए कमजोर आर्थिक स्थिति वालों के लिए दहेज सामाजिक कैैंसर बना हुआ है। दहेज नहींलेने के ऐलान से ज्यादा जरूरत इस बात की है कि खर्च का प्रदर्शन न हो, अपनी आर्थिक स्थिति का दिखावा न हो। इस मामले में संयम ही संत का शस्त्र है, पहचान है, जैसे उदाहरण का सार्वजनिक प्रदर्शन की बेहद आवश्यकता है। बेशक, समाज के शीर्ष पर विद्यमान लोगों की पहल का संदेश नीचे के स्तर पर पहुंचेगा। इससे समाज के नजरिय के बदलने में समय लगेगा, मगर की गई पहल को लेकर समय लिखेगा इतिहास।
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