डेहरी-आन-सोन (बिहार)-विशेष संवाददाता। काला चावल के बाद अब देश में रोगप्रतिरोधी काला गेहूं भी उगाने की तैयारी शुरू हो गई है। एथिसाइनिन (जैव रसायन) की मौजूदगी के कारण काला दिखने वाला चावल (चाक हाओ) मूलत: नागालैंड प्रजाति है, जो देश के अन्य पर्वतीय क्षेत्रों वाले खेतों में भी फिलहाल बतौर मेडिसनल प्लांट उगाया जाने लगा है। इसी तरह अब काला गेहूं को भी मैदानी इलाके में उगाए जाने लायक बीज जैव कृषि प्रौद्योगिकी के जरिये विकसित कर लिया गया है।
सफेद गेहूं की आम प्रजातियों में कम हो चुकी है रोगप्रतिरोधी क्षमता
मक्का, गेहूं और धान दुनिया में सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसल हैं और तीनों की खेती दुनियाभर में होती है। मक्का के बाद सबसे अधिक उगाए जाने वाले गेहूं में प्रति 100 ग्राम में 12.6 ग्राम प्रोटीन, 327 कैलोरी ऊर्जा, 29 मिलीग्राम कैल्शियम और तीन मिलीग्राम से अधिक आयरन होता है। मगर रासायनिक खाद के इस्तेमाल के कारण सफेद गेहूं की आम प्रजातियों में रोगप्रतिरोधी क्षमता कम हो चुकी है।
सात साल के अनुसंधान के बाद देश के आबोहवा के अनुकूल बीज विकसित
पंजाब के मोहाली (वर्तमान नाम अजीतगढ़) स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (एनएबीआई) ने शोधकर्ता बीज वैज्ञानिक डा. मोनिकी गर्ग के नेतृत्व में सात साल के अनुसंधान प्रक्रिया के बाद देश के आबोहवा के अनुकूल काला गेहूं (नाबी एमजी) का बीज विकसित कर इसका पेटेन्ट करा लिया है। काला गेहूं में आम गेहूं से ज्यादा पौष्टिक है, जिसमें कैैंसर रोधी और एंटी-आक्सीडेंट तत्व (जैव सामग्री) अधिक है। यह डायबिटीज, मोटापा और दिल की बीमारी की रोकथाम में भी मददगार होगा।
बतौर ट्रायल पंजाब में किसानों ने उत्पादन किया है 850 क्विंटल काला गेहूं (नाबी एमजी)
इसे रोज खाया जा सकता है। पंजाब में ट्रायल के तौर पर किसानों ने इसका 850 क्विंटल उत्पादन किया है। इस गेहूं की कीमत बाजार में आम गेहूं से दो-तीन गुना अधिक होगी। इसकी औसत उपज प्रति एकड़ 15 क्विंटल के आसपास है। सामान्य गेहूं की औसत उपज पंजाब में प्रति एकड़ करीब 20 क्विंटल है, जिसका किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य करीब 1625 रुपये प्रति क्विंटल मिलता है। जबकि काला गेहूं का समर्थन मूल्य 3250 रुपये घोषित किया गया है।
एनएबीआई ने काला गेहूं की मार्केटिंग के लिए बैंकिंग और अन्य कंपनियों से करार करने जा रही है। किसानों को बीज निर्धारित कीमत पर एनएबीआई ही देगी और खरीदेगी भी।
(रिपोर्ट : अवधेशकुमार सिंह, सेवानिवृत्त बीज निरीक्षक, इनपुट व तस्वीर संयोजन : निशांत राज)