समाचार विश्लेषण :
बस थोड़ा धीरज और, अवतरित होगी कोराना की काट
0- कृष्ण किसलय, वरिष्ठ पत्रकार एवं विज्ञान इतिहासकार -0
कोरोना वायरस से पैदा हुई महामारी कोविड-19 का इलाज खोजना आज पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। भारत में इसकी काट खोजने के लिए केरल देश का पहला राज्य है, जो प्लाज्मा थेरैपी पर शोध कर रहा है। इस पद्धति में संक्रमित व्यक्ति के खून से प्लाज्मा निकाल कर दूसरे बीमार व्यक्ति में इंजेक्ट किया जाएगा, जो एंटिबाडी का निर्माण करेगा। आदमी के शरीर में वायरस संक्रमण होने पर प्राकृतिक तौर पर लडऩे के लिए उसका शरीर एंटिबाडी बनाना शुरू कर देता है। लेकिन कोविड-19 अपना प्रतिरूप इतनी तेजी से निर्मित कर रहा है कि उसे खत्म करने की मात्रा भर एंटिबाडी शरीर में नहीं बन, बच पा रही है। जो व्यक्ति एक बार किसी वायरस से लड़कर ठीक हो जाता है, उसका शरीर दूसरी बार उस वायरस के हमले पर लडऩे के लिए तैयार रहता है। भारत में मलेरिया की दवा हाइड्राक्सी क्लोरोक्विन कोरोना के उन मरीजों को दी जा रही है, जो आईसीयू और वेंटीलेटर पर है अर्थात मौत के कगार पर हैं। लेकिन यह दवा कोरोना लक्षण वाले मरीजों को नहीं दी जा रही है। भारत से अमेरिका इसीलिए हाइड्राक्सी क्लोरोक्विन आयात कर रहा है कि इसमें कोरोनाग्रस्त व्यक्ति के ठीक होने की संभावना है। मगर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस दवा के कोरोना के इलाज में कारगर होने का ठोस प्रमाण नहीं है। भारत इस दवा का उपयोग मलेरिया निवारण में लंबे समय से कर रहा है और इसका सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है।
वक्त लगेगा दवा के ईजाद होकर लोगों तक पहुचने में :
न्यूयार्क प्रौद्योगिकी संस्थान के बायो-मेडिकल साइंस विभाग ने यह बताया है कि टीबी से बचाव का बीसीजी टीका मानवीय प्रतिरक्षा क्षमता को मजबूत करता है। भारत में बीसीजी टीकाकरण अभियान 1962 से जारी है, जबकि अमेरिका और इटली में बीसीजी का टीकाकरण अभियान नहीं चलता। इस लिहाज से माना जा सकता है कि भारतीयों की विषाणु प्रतिरोधी क्षमता अधिक है और अमेरिका, इटली में प्रतिरोधी क्षमता कम होने से नुकसान अधिक हुआ। द लैंसेट में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी आफ पिट्सबर्ग के वैज्ञानिकों ने चूहों पर कोविड-19 निरोधी वैक्सीन के परीक्षण में आरंभिक सफलता हासिल कर ली है। अब इसका परीक्षण मनुष्य पर होगा तो परिणाम सामने आएगा। जाहिर है कि कोरोना की काट वाली दवा (वैक्सीन) बनने में और उसके व्यावसायिक उत्पादन द्वारा जन समाज तक पहुंचने में अभी लंबा वक्त लगेगा। लाकडाउन ही सुगम साधन है और कोरोना के लक्षण वाले संदिग्ध मरीजों की जांच कर आशंका दूर करना ही उपाय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत में कोविड-19 के विशेष दूत डा. डेविड नवारो ने लाकडाउन को सही समय पर उठाया गया कदम बताया और कहा कि अमेरिका, यूरोपीय देशों ने लाकडाउन करने में टालमटोल का रवैया अपनाया। लाकडाउन को समय पर लगाए जाने के बावजूद भारत में डाक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ, सुरक्षा उपकरण, मास्क आदि बेहद कम हैं, जो कोरोना से लडऩे वाले योद्धा और उपकरण हैं। भारत में प्रति करोड़ आबादी पर जांच की दर औसतन 56 है, जो दुनिया में सबसे कम है। इसीलिए यह डर कायम है कि 135 करोड़ आबादी में कुछ हजार ही सही, मगर लाकडाउन में भी अनजाने में वायरस फैला सकते हैं।
लाकडाउन के बावजूद बढ़ रहे संक्रमित मरीज :
भारत में प्रथम कोरोना संक्रमण की पुष्टि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ बायरोलाजी (पुणे) ने जनवरी के अंत में की थी। भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 08 हजार से अधिक हो चुकी है और मरने वालों की संख्या 250 से भी अधिक। बिहार में पांच दर्जन से अधिक लोग संक्रमित हैं और एक की मौत हुई। पिछले दो-तीन दिन में करीब हजार की दर से बढ़ रहे संक्रमण ने आशंकित बना दिया है कि लाकडाउन की अवधि का विस्तार ही सुरक्षा का रास्ता है। इटली में 9 मार्च को जारी लाकडाउन के बाद संक्रमण की रफ्तार पर अंकुश लगा। इटली में फरवरी में फुटबाल मैच में देश-विदेश के 40 हजार दर्शक जुटने के बाद इस महामारी ने इटली को गिरफ्त में ले लिया। भारत में 02 मार्च से कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार लगातार बढ़ रहा है। फरवरी तक सिर्फ 03 कोरोना संक्रमित केरल में थे, जो अब ठीक हो चुके हैं। 02 मार्च को तीन संक्रमित थे, एक इटली से लौटा दिल्ली में, दूसरा दुबई से लौटा तेलंगाना में और तीसरा जयपुर घूमने आया इटली का पर्यटक। 25 मार्च जारी लाकडाउन के बावजूद 31 मार्च तक संक्रमितों की संख्या 1397 हुई और 10 अप्रैल तक चरणबद्ध बढ़ते हुए साढ़े सात हजार से अधिक हो गई। दुनिया में सबसे पहले चीन में 7 जनवरी को प्रथम संक्रमित व्यक्ति की पुष्टि हुई थी। वहां संक्रमण दिसंबर में ही शुरू हो चुका था। अब दुनिया भर में 17 लाख से अधिक संक्रमित लोग हैं और एक लाख से अधिक मौत के मुंह में जा चुके हैं।
देश-प्रदेश में तैयारी तेजी से जारी :
भारत में इस महामारी से लडऩे वाले डाक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ, सुरक्षा उपकरणों की किल्लत होने से स्वास्थ्यकर्मियों के सामने भी जान का खतरा मंडरा रहा है। लाकडाउन की अवधि में देश और प्रदेश स्तर पर कोरोना से जूझने की तैयारी तेजी से की जा रही है। देश में मार्च के तीसरे सप्ताह तक तीन दर्जन प्रयोगशालाओं में कोरोना वायरस की जांच (रैपिड एंटीबाडी टेस्ट) की व्यवस्था थी। अब आईसीएमआर, सीएसआईआर, आईसीएआर, डीआरडीओ और सेनाओं के तीनों संभाग की प्रयोगशालाओं सहित ढाई सौ प्रयोगशालाओं में जांच की व्यवस्था हो चुकी है, जिनमें 50 निजी प्रयोगशालाएं भी हैं। लाकडाउन की अवधि में रेलवे ने ट्रेन-कोचों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर तीन लाख मरीज भर्ती की सुविधा बनाई है। पर्सनल प्रोटेक्टशन इक्वीपमेंट देश में बनना शुरू हो गया है। सैनिटाइजर, मास्क (एन-95) का निर्माण तेज गति से जारी है। राज्यों ने अलग कोरोना अस्पताल बनाना शुरू कर दिया है। इस दिशा में बिहार ने सबसे पहले 600 बेड वाले नाालंदा मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल को कोरोना अस्पताल में बदलने का कार्य शुरू किया। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 31 मार्च तक विदेश से आने वाले 12 हजार 51 लोग सहित एक लाख 74 हजार 470 लोग बाहर से पहुंचे और सभी को स्कूलों-घरों के क्वांटराइन में रखा गया।
संपर्क : सोनमाटी प्रेस गली, जोड़ा मंदिर, न्यू एरिया, डेहरी-आन-सोन, जिला रोहतास (बिहार) फोन 9708778136
बचाव में सक्रिय गली के किशोर, प्राण विद्यापीठ की टेलीमीटिंग, स्कूली भी आई आगे
0- सोनमाटी टीम -0
प्रकृति के अनियंत्रित दोहन का दुष्परिणाम हो सकता है वायरस :
दाउदनगर (औरंगाबाद) से विशेष संवाददाता के अनुसार, अज्ञात शत्रु कोरोना वायरस मानव सभ्यता के लिए घातक बना हुआ है। इससे बचाव के उपाय की सर्वव्यापी चिंता के तहत प्राण विद्यापीठ के अध्यक्ष रंजन भाई ने वीडियो कांफ्रेेंसिंग के जरिये टेलीमीटिंग कर प्राण विद्यापीठ के सदस्यों डा. अखिलेश कुमार, अरविंद तिवारी, वैद्य राधेश्याम यादव, वैद्य मदन सिंह, ग्लोबल प्रोफेसर एसएस बोहिदार (हरिद्वार) के साथ चर्चा की। टेलीमीटिंग में माना गया कि यह आपदा मनुष्य के अपनी जरूरतों की पूर्ती के लिए प्रकृति के अनियंत्रित दोहन और इको सिस्टम को लगातार भंग करने का नतीजा भी हो सकता है। आदमी द्वारा प्रकृति के मनमाने और अनियंत्रित दोहन से पृथ्वी अन्य जीव-जन्तुओं का आशियाना उजड़ा है, जैव विविधता गड़बड़ हुई है। आदमी को जीवन के लिए न्यूनतम जरूरत भर ही प्रकृति अर्थात नदी, पहाड़, जंगल, भूमि का दोहन-खनन कर एक संतुलन बनाना होगा। अन्यथा एक दिन वायरसों के संक्रमण से पूरी मानव सभ्यता ख़त्म हो सकती है। फिलहाल कोई उपाय नहीं होने के कारण घरों में बंद रहकर ही कोरोना के प्रकोप को कम या खत्म किया जा सकता है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप)
स्कूली मदद को बनाया अंतरराज्यीय नेटवर्क :
सासाराम (रोहतास) से सोनमाटी संवाददाता के मुताबिक, सामाजिक संस्था स्कूली भी गरीब परिवार में राहत और जागरूकता का कार्य कर रही है। इस संस्था (स्कूली) के कार्यकारी अधिकारी राहुल राय ने बताया है कि देश के 18 प्रांतों में करीब 100 लोगों को स्कूली से जोड़ा गया है। 700 से अधिक गरीब परिवारों तक खाद्य सामग्री पहुंचाई गई है। कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता अभियान में कोलकात, बंगलुरू और महाराष्ट्र में गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने में रामकृष्ण शर्मा, सुमिन्दर सिंह, चमेली करमाकर, रेणुका सूद, सइदा नुसरत, कामलिका चक्रवर्ती, प्रतिभा मिश्रा, शिवानी ढोकल आदि मददगार हैं।
प्राइवेट स्कूलों ने मांगा दिशा-निर्देश :
प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की रोहतास जिला इकाई के शिष्टमंडल ने निजी विद्यालयों में विद्यार्थियों से लिए जाने वाले तीन महीनों अप्रैल, मई, जून के शिक्षण शुल्क और शिक्षकों-कर्मचारियों के भुगतान से संबंधित दिशा-निर्देश की मांग जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रेमचंद को ज्ञापन सौंप कर की है। रोहतास जिला के सभी 19 प्रखंड में संचालित निजी विद्यालयों के संगठन के शिष्टमंडल की ओर से ज्ञापन सौंपने वालों में एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री डा. एसपी वर्मा, रोहतास जिला के अध्यक्ष रोहित वर्मा, उपाध्यक्ष सुभाष कुमार कुशवाहा, सचिव समरेंद्र कुमार, सह सचिव संग्राम कांत, जिला संयोजक धनेंद्र कुमार, कोषाध्यक्ष कुमार विकास प्रकाश, जिला महामंत्री अनिल कुमार, सुनील कुमार, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी दुर्गेश पटेल में शामिल थे। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इस संबंध में जिलाधिकारी से चर्चा कर प्रशासन के निर्णय से अवगत कराने का आश्वासन दिया। उधर, पटना में एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमाएल अहमद ने मुख्यमंत्री से बंद 25 हजार निजी विद्यालयों की जानकारी देते हुए कमजोर विद्यालयों के शिक्षकों के लिए राहत पैकेज देने की मांग की है। शमाएल अहमद ने कहा है कि लाकडाउन ने निजी विद्यालयों की कमर तोड़ दी है, क्योंकि सब कुछ विद्यार्थियों से आने वाले फीस पर ही निर्भर है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : अर्जुन कुमार)
प्रेस गली को सील किया, कर रहे सैनिटाइज :
डेहरी-आन-सोन (रोहतास) से कार्यालय प्रतिनिधि की रिपोर्ट है कि कोरोना वायरस के भय से उत्पन्न चिंता का असर पूरे शहर के साथ जोड़ा मंदिर स्थित प्रेसगली में भी घनीभूत है, जहां किशोरों-नवयुवाओं ने संगठित होकर प्रेस गली को तीनों ओर से बांस से घेर सील कर दिया है और पैदल चलने वालों के लिए ही गुंजायश छोड़ रखी है। किशोरों-नवयुवाओं की टीम ने ऐसा करने से पहले गली के निवासी हिन्दू-मुस्लिम परिवारों से वार्ता कर सर्वानुमति प्राप्त की। यह दल इस बात का ध्यान रख रहा है कि जरूरी होने पर ठेला, रिक्शा या टैम्पू का प्रवेश प्रेस गली में हो सके। इस दल ने गली से गुजरने वाले सभी ठेलों को साबून-पानी बांटने के बाद पूरी गली को छठ पर्व की सफाई की तरह सैनिटाइज करने और नाली में ब्लीचिंग पावडर के छिड़काव का कार्य भी शुरू किया है। अब मैरिन इंजीनियर संजीव कुमार, सोन कला केन्द्र के सचिव निशान्त राज के साथ किशोरों-नवयुवाओं का यह दल इस दिशा मेें भी सोच रहा है कि प्रेस गली या पड़ोस का रोज कमाने-खाने वाला कोई जरूरतमंद निर्धन परिवार लाकडाउन के कारण दैनिक भोजन के संकट में नहीं फंस सके और बीमार होने की स्थिति में इलाज हो सके। निशान्त राज ने जानकारी दी कि साधारण सर्दी-खांसी-बुखार से अलग गंभीर मरीजों की इलाज के साथ जांच की व्यवस्था शहर के वरिष्ठ चिकित्सक हृदयरोग विशेषज्ञ सोन कला केन्द्र के संरक्षक डा. एसबी प्रसाद ने निशुल्क की है, जिसके लिए सोन कला केन्द्र के शंकरलाज स्थित कार्यालय में अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव द्वारा अनुमति कूपन जारी किया जा रहा है। सोन कला केन्द्र की ओर से निर्धनों के लिए राशन की भी संभव व्यवस्था की गई है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : निशान्त राज)