महासंकट की इस घड़ी में सामर्थ्य भर सहायता की जरूरत : डा. एबी सिंह
डेहरी-आन-सोन के वरिष्ठतम चिकित्सकों की पंक्ति में शामिल आंख-कान-गला विशेषज्ञ डा. अवधबिहारी सिंह कहते हैं, यह महासंकट की घड़ी है। सरकार के निर्णय-निर्देश का सौ फीसदी पालन होना चाहिए। कोरोना महामारी से निपटने में बहुत अधिक धन और संसाधन चाहिए। इसलिए सरकार के कोष में सामर्थ्यभर आर्थिक योगदान की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि संकोच से ही सही, मगर बता रहा हूं, मैंने पीएम केयर्स (प्रधानमंत्री आपदा कोष) में 51 हजार रुपये और मेरे पुत्र डा. अमिताभ सिंह ने 21 हजार रुपये का योगदान किया है। इस दिशा में शहर में मोहिनी इंटरप्राइजेज (संचालक उदय शंकर) का एक लाख रुपये का योगदान ज्यादा साधुवाद की हकदार है।
दुनिया बारूद की ढेर पर, माचिस की तीली से है बचना : डा. संजय सिंह
डेहरी-आन-सोन के वरिष्ठ सर्जन डा. संजय सिंह ने बताया है कि कोरोना विषाणु की महाआपदा के कारण दुनिया जैसे आज बारूद की ढेर पर है और हम सबको माचिस की तीली यानी संक्रमित व्यक्ति से बचना है। समस्या यह है कि लक्षण नहीं दिख रहा हो तो संक्रमित भी नहीं जानता कि वह कोरोना का शिकार है और दूसरों को अनजाने में संक्रमित कर रहा है। अभी तक का आकलन है कि कोरोना बीमारी से ग्रस्त 10 फीसदी मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच रहे हैं और उनमें मरने वाले बमुश्किल 03-05 फीसदी हैं। इसलिए बहुत अधिक भयभीत होने की जरूरत तो नहीं है मगर बचाव करना और एहतियात बरतना बेहद जरूरी है। यूरोपीय देशों की तुलना में भारत का वातावरण अधिक गर्म और भारतीयों की शारीरिक प्रतिरोधी क्षमता भी अधिक है। फिर भी नकारात्मक पक्ष यह है कि कोरोना वायरस की प्रसार-गति बहुत तेज और मात्रात्मक तौर पर ज्यादा है। अभी तक कारगर इलाज (वैक्सीन, दवा) खोजा नहीं जा सका है। इसलिए बचाव के उपायों पर कड़ाई से अमल जरूरी है। हमारे चारों ओर का मंजर कविता की इस पंक्ति जैसी है- कोई तो जुर्म था जिसमें सभी शामिल थे, तभी तो हर शख्स मुंह छुपाए फिर रहा है।
अब तो काफी लंबा समय लगेगा कारोबार संभलने में : प्रदीप सरावगी
कपड़ा शो-रूम के शहर डेहरी-आन-सोन के सबसे पुराने कारोबारी प्रदीप सरावगी (कला निकेतन) का मानना है कि कोरोना महाआपदा के कारण लाकडाउन से देश-दुनिया में सब कुछ रसातल में चला गया। लाकडाउन के सिवा कोई सूरत भी नहीं थी। लाकडाउन हटने के बाद भी लोग सार्वजनिक स्थान पर खुलकर जाने में परहेज करेंगे। दो गज दूरी का और मास्क लगाने का भी अनुशासन अनिवार्य है। इससे जाहिर है, रोजमर्रा के खाने-पीने के सामान का कोराबार तो चलता रहेगा, पढ़ाई-लिखाई का कार्य भी कमोबेस घर पर रहकर आनलाइन चल जाएगा। मगर कपड़ा का कारोबार आने वाले महीनों में कामयाब नहीं हो सकेगा। कपड़ा कारोबार को अस्तित्व रक्षा के लिए लंबा इंतजार करना होगा। तब तक शहर डेहरी-आन-सोन के सैकड़ों कारोबारियों का कई करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका होगा।
टिंकू, बबल, सच्चिदानंद, सुधीर ने बताया है : लंबा वक्त लगेगा बाजार को फिर से संभलने में
शहर के अग्रणी ज्वेलरी कारोबार प्रतिष्ठान सोना ज्वेलर्स के धीरज कश्यप टिंकू (निदेशक, बिहार इंडियन बुलियन ज्वेलर्स), अमित कश्यप बबल (अध्यक्ष, डेहरी चैम्बर्स आफ कामर्स) और लक्ष्मी ज्वेलर्स के सच्चिदानंद प्रसाद (पूर्व अध्यक्ष, डेहरी चैंबर्स आफ कामर्स), श्याम ज्वेलर्स के सुधीर कुमार का मानना है कि लाकडाउन से डेहरी-आन-सोन में सर्राफा के अरबों के कारोबार पर गहरा असर पड़ा है। सर्राफा कारोबार का हृदय-स्थल डिहरी बाजार (ओल्ड जीटी रोड) तो बस मृत ग्रैंड ट्रंक रोड बन कर रह गया है, जहां महज वीरानी है, कोई गतिविधि नहीं। जबकि सम्राट शेरशाह के समय से पांच सदियों के इतिहास में दिल्ली से कोलकाता को सीधे जोडऩे वाली यह सड़क सूनी नहींहुई। जिस बाजार में शहर की जिंदगी चहकती-धड़कती है, वहां सिर्फ ठहरी हुईं सांसें हैं। दो सदियों से स्वर्ण-कला के मशहूर कारीगरों से हलचल में रहने वाली कचौड़ी गली में तो बेचारगी पसरी हुई है। अब बेसब्री से इंतजार है कोरोना-काल के खत्म होने का, ताकि बाजार शहर और पास-पड़ोस के ग्रामीण इलाकों के आवागमन से फिर गुलजार हो।
संतोष, अरुण, फिरदौसी, सुरेन्द्र, जितेन्द्रपाल, राजेश सिंह का मानना है : होटल, जेनरल स्टोर, मिष्ठान व्यापार, इलेक्ट्रानिक, पान कारोबार सब चौपट
शहर के एक अग्रणी होटल उर्वशी के संचालक निदेशक संतोषकुमार गुप्ता का मानना है कि कोराना विषाणु के डर से इस पूर्णबंदी में आवागमन पूरी तरह ठप है तो जाहिर है होटल कारोबार पर भारी आर्थिक मार पड़ी है, जिससे उबरने में बहुत लंबा समय लगेगा। जबकि मिष्ठान व्यवसाय के लीडर कामधेनु समूह के पार्टनर संचालक अरुणकुमार गुप्ता का कहते हैं कि किसी भी समय में बंद नहीं रहने वाला यह कारोबार भी आज पूरी तरह ठप है। उधर, बहु ब्रांड विक्रेता जेनरल स्टोर अटैची सेन्टर के प्रोपराइटर गुलजार फिरदौसी के अनुसार, लाकडाउन जल्दी खत्म भी हो जाए तो कोरोना से बचने का जो प्रावधान तय है और जो डर लोगों के मन मेंंसमा चुका है, उसका अनुपालन अगले महीनों तक बने रहने की वजह से लोग बाजार में बहुत कम संख्या में आ पाएंगे। गुरुनानक इलेक्ट्रानिक्स के जितेन्द्रपाल सिंह का कहना है कि शादी-विवाह का मौसम निकलने की वजह से इलेक्ट्रिानिक कारोबार भारी दबाव में है, जिसकी क्षतिपूर्ति शायद ही हो सके। जबकि अग्रणी पान कारोबारी सुरेंद्र चौरसिया कहते हैं कि इस कारोबार से सूक्ष्म पान बिक्रेताओं का चेन चौपट हो गया है। बीमा कंपनी बजाज एलियांज के शाखा प्रबंधक राजेश कुमार सिंह का कहना है कि भले ही बीमा की किस्तें बाद में भी जमा हो सकेेंगी, मगर संपर्क और आमने-सामने के संवाद का यह व्यवसाय भी प्रभावित है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : विशेष प्रतिनिधि कृष्ण किसलय, कार्यालय प्रतिनिधि निशान्त और सोनमाटी टीम)