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कौन था रणवीर सेना का एरिया कमांडर धनजी सिंह ?

डालमियानगर/सासाराम (बिहार)- सोनमाटी समाचार।  90 के दशक में रोहतास जिले के पचपोखरी गाँव में हुए दलित समुदाय के चार लोगों की सामूहिक हत्याकांड से उभरा धनजी सिंह 10.10.2017  की रात अपने दो अंगरक्षकों के साथ मारा गया. गोलियों से छलनी उसका शव सासाराम मुफसिल थाना क्षेत्र के दुर्गापुर-साहपुर गाँव के बधार में मिला. मारे गए में एक भोजपुर जिले के सहेजनी गाँव का निवासी है. जबकि दूसरे की पहचान अभी नहीं हो सकी है. माना जा रहा है कि धनजी की सुरा-सुंदरी की कमजोरी का फायदा उठा जाल बिछाकर घटना को अंजाम दिया गया. राज्य में कभी प्रतिबंधित रणवीर सेना के नायक की पहचान से उभरे धनजी सिंह का अंत माफियागिरी में हुआ. अंत भी करने वाले अपने ही निकले. वे जिनपर उसने अपनी सुरक्षा का जिम्मा सौंप रखा था. हत्या में कही न कही गैंगवार की भूमिका है. शामिल अपराधियों और गायब हुए हथियारों की खोज में पुलिस जुट गयी है.  
चरमपंथी संगठन आईपीएफ़ के दौर में
धनजी की पहचान रणवीर सेना के एरिया कमांडर के रूप में थी. वह नोखा (बघैला) थाना क्षेत्र के कारन (नारन) गाँव का निवासी था, पर उसका हालिया ठिकाना सासाराम मुफस्सिल थाना क्षेत्र था. चार दशक पूर्व शाहाबाद और मगध क्षेत्र में उभरे चरमपंथी संगठन आईपीएफ़ की गतिविधियोंं के दौरान रणवीर सेना तेजी से उभरी थी. इसी संगठन की सदस्यता लेकर सामान्य खेतिहर परिवार का युवक धनजी सिंह ने अपने गाँव के पास स्थित पचपोखरी गाँव के चार दलितों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसे तब के सेना प्रमुख बरमेश्वर मुखिया का सानिध्य मिल गया और तभी रोहतास जिले में सेना का कमान सौपा गया. हालांकि बाद में सेना प्रमुख ने इसकी गतिविधि से किनारा कर दिया था. तभी से धनजी वसूली के धंधे में जुट गया. हत्या, अपहरण जैसे कई संगीन मामलों में वांछित पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. वर्षों जेल में रहे धनजी एक वर्ष पहले जेल से बाहर निकला था और अवैध पत्थर उद्योग, बालू की माफियागिरी में लिप्त हो गया था. हाल के महीने में मडनपुर काव नदी से बालू निकासी में गोलीदृबारी की घटना में पुलिस को उसकी तलाश थी.
तब जातीय हिंसा में जल रहा था रोहतास
बात दो दशक पूर्व की है. तब बिहार के रोहतास जिला अन्तर्गत नोखा का इलाका जातीय हिंसा में जल रहा था, जिसमें दोनों पक्ष के आधा दर्जन से अधिक लोगो ने जान गंवा दी थी. एक जनवरी 1998 को संध्या में गम्हरियां निवासी ललन सिंह की हत्या पचपोखरी तथा खैरहीं गांव के बीच हुई. इस मुठभेड के दौरान नारन (कारन) गांव निवासी धनजी सिंह भी था. उस घटना ने धनजी को प्रतिशोध के लिए प्रेरित किया था और वह एक समूह का नेतृत्व करने के लिए आगे बढ़ा. वर्ष 2000 में पचपोखरी आ रही बारात के चार दलितों को अगवा कर सलेमपुर (बेचिरागी गांव) में हत्या कर दी गई.


चर्चा पटना, दिल्ली तक
पचपोखरी नरसंहार के मुख्य अभियुक्त धनजी सिंह की चर्चा नारन पटना, दिल्ली तक हुई. गांव में नेताओं के हेलिकाप्टर उतरे. इलाके में जारी वर्ग संघर्ष में लेका राम, केदार राम, बुढ़ा सिंह, ललन सिंह, बिजेन्द्र सिंह, बीरेन्द्र सिंह, बबन पासवान, कृष्णा पासवान वगैरह दोनों पक्ष के कई लोग मारे गए. नरसंहार के एक वर्ष बाद 2001 के पंचायत चुनाव में धनजी सिंह पिता रामप्रवेश सिंह उफऱ् बुढ़ा सिंह को मुखिया बनाने मेें सफल रहा. रणवीर सेना प्रमुख ब्रम्हेश्वर सिंह ने सासाराम के बराढ़ी गांव के समीप गुप्त मुलाकात की. धनजी सिंह को रणवीर सेना का एरिया कमाण्डर घोषित किया दिया. जबकि धनजी सिंह के गतिविधियों में रणवीर सेना की सहभागिता नहीं के बराबर रही. रोहतास के एसपी बच्चू सिंह मिणा ने उसे गिरफ्तार किया था. जेल से रिहा होने के बाद वह अपनी संगठित गतिविधियों से आमदनी के लिए शाहाबाद, मगध तथा उ.प्र. के कई बाहुबली से सम्बन्ध बनाया. उसकी राजनीति की बढ़ती महत्वाकांक्षा कुछ लोगों को खटकने लगी थी.
पत्नी ने बनाया नामजद अभियुक्त
धनजी सिंह के साथ दो और लोगों की हुई हत्या के मामले में उसकी पत्नी किरण देवी ने जयपुर निवासी गुडु सिंह के अलावा बक्सर जिले के चुरामनपुर निवासी चंदन गुप्ता, बबली कुमार, चंदन यादव, अभिषेक कुमार, रौशन शर्मा, अनिष मिश्रा, अमित मिश्रा को नामजद अभियुक्त बनाया है. एक आरोपी सीवान जिले का निवासी है. हत्या का कारण और प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से संलिप्त लोगों का पर्दाफ़ाश पुलिस अनुसंधान पुरा होने के बाद होगा.

( राजेश कुमार और अखिलेश कुमार के फेसबुक वाल के आधर पर )

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