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रोहतास : बिहार का पहला ओडीएफ जिला

इस समाचार के संदर्भ में बिहार के उप मुख्यमंत्री कार्यालय का ई-मेल (नीचे देखें)


 

7 नवंबर डेडलाइन तय, डालमियानगर के लिए भी हाईकोर्ट की हरी झंडी, कामयाबी के लिए जवाबदेह निगरानी तंत्र की दरकार
डेहरी-आन-सोन, बिहार (कृष्ण किसलय)। एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार यह शर्मशार करने वाला तथ्य है कि दुनिया में खुले में शौच करने के मामले में भारत नंबर वन देश है। पूरे देश को ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) बनाने के लिए तीन साल पहले महात्मा गांधी की जयंती (02 अक्टूबर) पर स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया गया, मगर अभी तक देश की 67 फीसदी आबादी ही ओडीएफ (ओपेन डिफेक्शन फ्री) हो सकी है। इस अभियान के तहत महात्मा गांधी की 150वीं जयंती (2 अक्टूबर 2019) तक संपूर्ण ग्रामीण भारत को ओडीएफ बना लेना बड़ी चुनौती है। हालांकि इस चुनौती से निपटने के लिए देश भर के गांवों में 1.96 लाख करोड़ रुपये खर्च कर 1.2 करोड़ व्यक्तिगत व सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जाना है।

35 फीसदी आबादी ही ओडीएफ
ओडीएफ के मामले में देश में बिहार सहित नौ राज्य सबसे पीछे हैं। बिहार में तो 35 फीसदी आबादी ही ओडीएफ है। जाहिर है कि बिहार में सौ फीसदी ओडीएफ लक्ष्य हासिल करना बेहद कठिन कार्य है। फिर भी जागृति अभियान से बिहार के ग्रामीण इलाकों के लिए ओडीएफ आज प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है और इसलिए इस दिशा में तेज प्रगति के लिए हर स्तर पर प्रयास जारी है। सौ फीसदी ओडीएफ लक्ष्य प्राप्त करने के लिए राज्य में अगले वर्ष दिसंबर तक 1.40 करोड़ शौचालय बनाने का डेडलाइन तय किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया है कि मार्च 2019 तक राज्य के सभी 4555 ग्राम पंचायत ओडीएफ हो जाएंगे।
केेंद्रीय स्वच्छता मंत्रालय ने जारी प्रगति के मद्देनजर ही बिहार के रोहतास जिला को प्रथम ओडीएफ जिला घोषित करने की तिथि तीन दिन घटाकर 07 नवंबर तय कर दी है। जबकि पहले यह तिथि 10 नवंबर (जिला स्थापना दिवस) तय की गई थी। बिहार में ओडीएफ अभियान की शुरुआत जून 2016 में हुई थी, जिसके लिए रोहतास जिले में जिलाधिकारी अनिमेषकुमार पराशर के नेतृत्व में तेज गति से काम आगे बढ़ा और 19 प्रखंड, 245 ग्राम पंचायत, 2088 गांव, 6 नगर निकाय में 29.63 लाख की आबादी वाले इस जिले के 165 ग्राम पंचायतों को जून तक ओडीएफ बना लिया गया।

राज्य का पहला ओडीएफ प्रखंड संझौली

संझौली प्रखंड रोहतास जिला ही नहीं, राज्य का सबसे पहला ओडीएफ प्रखंड घोषित हुआ। इस सफलता के लिए जिले मेें अग्रणी नेतृत्व कार्य करने वाली संझौली की उप प्रमुख डा. मधु उपाध्याय को केेंद्र सरकार की ओर से सम्मानपत्र निर्गत किया गया, जिसे संझौली की प्रखंड विकास अधिकारी गायत्री देवी ने डा. उपाध्याय को पिछले सप्ताह सौंपा। रोहतास जिले के पर्वतीय क्षेत्र वाला सीमावर्ती नौहट्टा प्रखंड भी 14 अक्टूबर को ओडीएफ घोषित हो चुका है और अब 30 अक्टूबर को बिक्रमगंज व एक नवंबर को नासरीगंज को ओडीएफ घोषित करने की तैयारी है।

कई स्थान-गांव अभी भी बाधा
रोहतास जिले को ओडीएफ बनाने के लिए जारी प्रशासनिक-राजनीतिक-सामाजिक प्रयास और 73 फीसदी से अधिक साक्षरता (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार) के बावजूद कई स्थान-गांव अभी बाधा बने हुए हैं, जिनमें एक डालमियानगर के लिए हाईकोर्ट की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है। मृत रोहतास उद्योगसमूह वाले डालमियानगर परिसर में 12 सीटों वाले न्यू मार्केट सामुदायिक शौचालय (वार्ड संख्या सात) और 24 सीटों वाले दरबारी लाइन कालोनी शौचालय (वार्ड संख्या नौ) के जीर्णोद्धार के लिए डिहरी-डालमियानगर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जमाल अख्तर ने 20 सितंबर को पत्र लिखकर हाईकोर्ट से अनुमति पाने के लिए डिहरी अनुमंडल पदाधिकारी पंकज पटेल से आग्रह किया, ताकि इस क्षेत्र के लोग खुले में शौच करने के बजाय इन शौचालयों का उपयोग कर सकेें। अनुमंडलाधिकारी ने इस संबंध में हाईकोर्ट के अधीन पटना स्थित शासकीय समापक को पत्र लिखा।

डालमियानगर परिसर की वस्तुस्थिति
शासकीय समापक हिमांशु शेखर ने डालमियानगर परिसर (मृत रोहतास उद्योगसमूह) के प्रभारी अधिकारी एआर वर्मा की रिपोर्ट के आधार पर 11 अक्टूबर को हाई कोर्ट के समक्ष रोहतास उद्योगसमूह के डालमियानगर परिसर से संबंधित जानकारी रखते हुए दोनों सामुदायिक शौचालयों के जीर्णोद्धार की अनुमति के लिए प्रस्ताव रखा। शासकीय समापक ने कोर्ट को बताया कि रोहतास उद्योगसमूह को 27 साल पहले 24 नवंबर मृत (वाइंडअप) घोषित कर शासकीय समापक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया था और उद्योगसमूह की सभी संपत्ति (जमीन, आवास) व इससे संबंधित लीज, बिक्री, भुगतान आदि के कार्य हाईकोर्ट की ही कस्टडी व शासकीय समापक के प्रबंधन में है। रोहतास उद्योगसमूह के डालमियानगर परिसर प्रभारी एआर वर्मा के अनुसार, हाई कोर्ट ने शासकीय समापक के शौचालयों के जीर्णोद्धार के प्रस्ताव को इस शर्त के साथ मंजूरी दी है कि संबंधित जमीन पर कोई नया निर्माण नहीं होगा और भूमि के बेचे जाने के समय जिला प्रशासन या नगर परिषद द्वारा इस पर किसी तरह का दावा (मालिकान हक या लीज आदि के लिए) नहीं किया जाएगा।

समस्या जमीन की
हाई कोर्ट की स्वीकृति की प्रतिलिपि मिलते ही डेहरी-डालमियानगर परिषद दोनों सामुदायिक शौचालयों के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कर देगा। डेहरी-डालमियानगर नगर परिषद डिहरी प्रखंड के शहरी सीमा क्षेत्रों में 17 सामुदायिक शौचालयों सहित 2400 व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण के लिए वर्क आर्डर जारी कर चुका है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक, डिहरी-डालमियानगर नगर परिषद क्षेत्र में भी छह हजार से अधिक परिवार शौचालय से वंचित हैं और मूल समस्या तो यह भी है कि तीन हजार से अधिक परिवारों के पास शौचालय बनाने के लिए जमीन ही नहींहै। शौचालय निर्माण के लिए जमीन नहींहोने को लेकर ही सोन अंचल के पड़ोसी जिला औरंगाबाद (पीरू पंचायत, महद्दीपुर गांव) में विवाद हो गया, जिसमें ओडीएफ के लिए गई उच्चाधिकारियों की टीम पर हमला करने के आरोप में पिछले हफ्ते योगेन्द्र यादव को गिरफ्तार किया गया। बताया जाता है कि ओडीएफ टीम जहां शौचालय बनाना चाहती है, उस स्थान पर शौचालय बनाने के लिए योगेन्द्र यादव का परिवार सहमत नहींहै।

सदियों से बदस्तूर जारी कुरीति
दूसरी तरफ, सदियों से बदस्तूर जारी इस सामाजिक कुरीति का आलम यह है कि ओडीएफ के लिए शौचालय का इंतजाम होने और जागृति की पहल के दावों के बावजूद पिछले हफ्ते तक बक्सर जिले के इटाढ़ी से रोहतास जिले के दिनारा तक सूर्यास्त के बाद सड़क किनारे महिलाओं को शौच के लिए बैठे देखा गया। डिहरी प्रखंड के गंगौली, सासाराम प्रखंड के डुमरियां, कौपाडीह आदि गांवों में भी ऐसी ही स्थिति है, जहां स्कूली बच्चों को गुजरने के लिए अपनी नाक दबाकर रखना पड़ता है। जबकि इन गांवों को सरकारी दस्तावेज में ओडीएफ माना जा चुका है।
इस तरह यह स्पष्ट है कि खुले में शौच से मुक्ति केवल तात्कालिक प्रशासनिक प्रयास से संभव नहीं है। आम लोगों की सोच में बदलाव लाना होगा और सामुदायिक शौचालयों की देख-रेख (मेनटेन) के लिए कामयाब तंत्र विकसित करना होगा। इसके लिए सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं, शिक्षित पुरुषों-महिलाओं को जमीनी स्तर पर जागृति का अभियान लगातार जारी रखना होगा, क्योंकि सदियों की आदत कुछ घंटों के प्रचारात्मक पहल से नहींछूट सकती। इसके अलावा सामुदायिक शौचालयों के उपयोग की निगरानी के लिए जवाबदेह तंत्र स्थापित करने की जरूरत है, जिसकी पुख्ता व्यवस्था हुए बिना ग्रामीण इलाकों के जन-जीवन में ओडीएफ की संस्कृति कायम नहीं हो सकती।
(इनपुट : वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी, अखिलेश कुमार, शंभुशरण सत्यार्थी के फेसबुक वाल से भी)

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की ओर से सोनमाटी को यह ई-मेल संदेश मिला है-
Sir,
We are in receipt of your mail which is being placed before Shri Sushil Kumar Modi, Hon’ble Deputy Chief Minister of Bihar for his kind perusal and necessary action.
Regards,
Office of Hon’ble Deputy Chief Minister
Govt. of Bihar
Patna

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