– कृष्ण किसलय –
बिहार का सासाराम (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस की दिग्गज उम्मीदवार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और भारतीय राजनीतिक जगत में बाबूजी नाम से लोकप्रिय पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार की उम्मीदवारी के कारण हाटसीट बनी हुई है। यहां यह सवाल 23 मई को परिणाम आने तक तैरता रहेगा कि क्या मीरा कुमार छेदी पासवान को हरा पाएंगी? सासाराम संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व 1952 की पहली लोकसभा से आठवीं लोकसभा 1984 तक जगजीवन राम ने किया था। जगजीवन राम और सासाराम एक-दूसरे के पर्याय रहे हैं, क्योंकि देश की आजादी के बाद से अपने जीवनपर्यन्त जगजीवन राम इस सीट पर अजेय रहे थे। 1977 में बनी गैर कांग्रेसी सरकार (जनता पार्टी) में वह देश के उप प्रधानमंत्री बने, मगर चंद सालों के जनता पार्टी के दौर के बाद वह फिर कांग्रेस में लौट आए थे। 1984 में कांग्रेस विरोधी हवा के बावजूद सासाराम संसदीय सीट उनके अर्थात कांग्रेस के खाते में आई थी। इसीलिए सासाराम कांग्रेस की परंपरागत सीट भी मानी जाती रही है। 1984 में जगजीवन राम यहां से आठवीं बार विजयी हुए थे।
आईएफएस की नौकरी छोड़ पिता की विरासत संभालने आईं मीरा कुमार
जगजीवन राम के निधन (06 जुलाई 1986) के बाद नौवींलोकसभा के लिए जगजीवन राम की आईएफएस बेटी मीरा कुमार ने विदेश सेवा की नौकरी से त्यागपत्र देकर 1989 में पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने-संभालने के लिए पहली बार यहां से चुनाव लड़ा, पर वह स्थानीय नेता छेदी पासवान से हार गईं। चुनाव हारने के बाद मीरा कुमार ने सासाराम संसदीय क्षेत्र से मुंह मोड़ लिया। मगर वह लोकसभा का चुनाव लडऩे 2004 में सासाराम पहुंचीं और इस बार जीत हासिल कीं। उन्होंने 2009 में भी जीत हासिल कींऔर 15वीं लोकसभा की अध्यक्ष बनाई गईं।
छेदी पासवान ने पिछले चुनाव में मीरा कुमार को हराया
2014 में मीरा कुमार छेदी पासवान से फिर चुनाव हार गईं। 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले छेदी पासवान ने जदयू से त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। 2014 में छेदी पासवान (भाजपा) को करीब 43, मीरा कुमार (कांग्रेस) को 36, कर्रा परसू रमैया (जदयू) को 11, बालेश्वर भारती (बसपा) को चार, डा. गीता आर्या (आप) को करीब एक फीसदी मत मिले थे। विजयी रहे छेदी पासवान को 366087 मत और मीरा कुमार को 302760 मत मिले थे। इस संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं में सबसे बड़ी संख्या दलितों की है। दलितों में मीरा कुमार की जाति रविदास पहले नंबर पर और दूसरे नंबर पर छेदी पासवान की जाति पासवान हैं।
छेदी पासवान ने सासाराम संसदीय क्षेत्र से 1989 में नौवींलोकसभा का प्रतिनिधित्व करने के बाद 1991 में भी यहां से जीत हासिल की थी। इसके बाद 1996, 1998, 1999 के चुनाव में सासाराम संसदीय सीट भाजपा के कब्जे में चली गई। भाजपा के मुनी लाल ने लोकसभा के चुनाव लगातार जीते। सासाराम लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें मोहनिया, भभुआ, चौनपुर, चेनारी, सासाराम और करहगर हैं। इनमें तीन विधानसभा क्षेत्र रोहतास जिले में और तीन कैमूर जिले में हैं। मीरा कुमार को इस बार राष्ट्रीय जनता दल, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, रालोसपा, विकासशील इंसाफ पार्टी का समर्थन है। रालोसपा पिछली बार एनडीए के साथ थी। इस बार महागठबंधन के साथ है। इस बार भाजपा के साथ नीतीश कुमार का जदयू है।
हाई प्रोफाइल कानूनी ड्रामा
17वींलोकसभा चुनाव के दौरान सासाराम संसदीय क्षेत्र में हाई प्रोफाइल कानूनी ड्रामा सामने आ चुका है। एनडीए प्रत्याशी छेदी पासवान की उम्मीदवारी रद्द करने के लिए महागठबंधन की प्रत्याशी मीरा कुमार की ओर से कैमूर के जिला निर्वाची पदाधिकारी को आवेदन दिया गया। इस परिवाद का आधार यह बनाया गया कि हाई कोर्ट ने 2016 में छेदी पासवान पर संसद में मतदान करने पर रोक लगाई थी। छेदी पासवान की ओर से यह तर्क दिया गया कि वह मामला 16वींलोकसभा का था। और, चुनाव 17वींलोकसभा का हो रहा है। भारत के नागरिक होने के नाते चुनाव लडऩा उनका अधिकार है, जिससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता।
बतौर सांसद सिर्फ मतदान देने का अधिकार था फ्रीज
दरअसल 16वींलोकसभा में छेदी पासवान के बतौर सांसद सिर्फ मतदान देने के अधिकार को उच्च न्यायालय (पटना) ने फ्रीज (खत्म) करने का आदेश दिया था। सांसद छेदी पासवान की ओर से हाई कोर्ट के फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा की सदस्यता तो बरकरार रखी, मगर लोकसभा में मतदान के अधिकार पर रोक लगा दी थी। छेदी पासवान लोकसभा की कार्यवाही में शामिल रहे थे। पटना हाई कोर्ट ने लोकसभा की सदस्यता इस आधार पर रद्द करने का फैसला दिया था कि उम्मीदवार होने के लिए दायर किए गए शपथपत्र में छेदी पासवान ने 2006 में अपने ऊपर दर्ज अपराध के एक मामले का उल्लेख नहींकिया था। हाई कोर्ट में शपथपत्र में कांड का उल्लेख नहींहोने से संबंधित वाद सासाराम के गंगा मिश्र ने दायर किया था, जिस पर न्यायाधीश केके मंडल ने लोकसभा सदस्यता रद्द करने का फैसला दिया था।
वाद का 17वीं लोकसभा से कोई संबंध नहीं
सासाराम (सुरक्षित) संसदीय क्षेत्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सह कैमूर जिला के जिलाधिकारी डा. नवलकिशोर चौधरी ने उम्मीदवारी रद्द करने के मीरा कुमार की ओर से दायर परिवाद पर तीन मई को प्रेस कान्फ्रेेंस कर चुनाव आयोग के निर्णय की जानकारी दी कि दायर वाद 16वींलोकसभा के लिए था, उसका 17वींलोकसभा से कोई संबंध नहींहै। इसलिए छेदी पासवान की चुनाव लडऩे की उम्मीदवारी बरकरार रहेगी। इसके बाद छेदी पासवान ने यह कहा कि उन्हें नाहक परेशान किए जाने को लेकर वह मीरा कुमार के खिलाफ मानहानि का परिवाद न्यायालय में दायर करेंगे।
मीरा को बाबूजी की विरासत का भरोसा और छेदी को मोदी मैजिक का
बहरहाल, 17वींलोकसभा के लिए 19 मई को हो रहे सासाराम (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में मीरा कुमार और छेदी पासवान के अलावा अन्य 11 उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं। 15 ने नामांकन किया था, जिनमें 02 के नामांकन स्क्रूटनी के बाद रद्द हो गए। मुख्य मुकाबला मीरा कुमार और छेदी पासवान के बीच ही है। मीरा कुमार को अपने पिता जगजीवन राम की अजेय संसदीय विरासत और गौरवशाली राजनीतिक शिखर का भरोसा है तो छेदी पासवान को मोदी मैजिक का। देश, काल, परिस्थिति की कसौटी और बदलते वक्त के थपेड़े में कौन कितना भारी पडेगा, यह फैसला 23 मई को सामने होगा।
(तस्वीर संयोजन : निशांत राज)