संस्था के संरक्षकों वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. रागिनी सिन्हा, वरिष्ठ चिकित्सक डा. श्यामविहारी प्रसाद, कारपोरेट कारोबारी अरुण कुमार गुप्ता और उदय शंकर (मोहिनी इंटरप्राइजेज के संचालक) ने संस्था के सुदीर्घ संचालन पर बल देते हुए विचार रखे कि इसके उपक्रम ऐसे हों कि उनका निर्बाध बेहतर निवर्हन हो सके। वरिष्ठ संस्थापक सलाहकार कृष्ण किसलय ने कहा कि संस्था का गठन समाज के सांस्कृतिक-कलात्मक-साहित्यिक सर्जना और क्षमता-प्रदर्शन के उद्देश्य से किया गया है। सोन कला केेंद्र के अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव ने पिछले कार्यक्रमों की जानकारी रखते हुए बताया कि संस्था सकल समाज की गतिविधियों का प्रतिबिंब है। कार्यकारी अध्यक्ष जीवन प्रकाश ने गायन प्रतियोगिता से संबंधित तैयारी की जानकारी दी।
बैठक में विशेष तौर पर उपस्थित विधायक सत्यनारायण सिंह यादव के प्रस्ताव पर सोन कला केेंद्र की एक उप-समिति द्वारा गोपी बिगहा के ग्रामीण मार्ग पर जनसहयोग से शहीद रविरंजन तोरणद्वार के निर्माण का फैसला लिया गया। कश्मीर में पूंछ स्थित भारत-पाकिस्तान बार्डर पर पाकिस्तानी सेना की गोला-बारी में शहीद हुए सेना के 36 वर्षीय लांस नायक रविरंजन सिंह यादव डिहरी प्रखंड के गोपी बिगहा निवासी थे, जो 2002 में सेना में भर्ती हुए थे। बैठक में सोन कला केेंद्र के उपाध्यक्ष उपेन्द्र कश्यप, प्रो. अरुण शर्मा एवं सुनील शरद, सचिव निशांतकुमार राज, कोषाध्यक्ष राजीव कुमार सिंह, उप सचिव ओमप्रकाश ढनढन एवं ओमजी, उप कोषाध्यक्ष नंद कुमार सिंह के अलावा डा. अरविन्द कुमार, वार्ड पार्षद मोहन सिंह, मुखिया कन्हैया सिंह बतौर विशेष आमंत्रित उपस्थित थे।
इससे पहले शंकर लाज परिसर में हुई बैठक में गायन प्रतियोगिता की रूप-रेखा, निर्णायक मंडल, विभिन्न कार्यों की जिम्मेदारी आदि पर चर्चा हुई, जिसमें संस्थापक सलाहकार जगनारायण पांडेय, उप सचिव प्रीति सिन्हा, वरिष्ठ सदस्य राजू सिन्हा, अमृता पांडेय, गुप्तेश्वर ठाकुर, सत्येन्द्र प्रसाद गुप्ता, गुलशन कुमार, सिंटू सोनी, रामनारायण सिंह, राहुल कुमार रावत आदि भी मौजूद थे।
(रिपोर्ट : निशांतकुमार राज, तस्वीर : नंदकुमार सिंह)
तुम इतना क्यों डरती हो मां…..
पटना (सोनमाटी प्रतिनिधि। भारतीय युवा साहित्यकार परिषद् द्वारा 25 वर्षों से एकल काव्य पाठ के जरिये नई प्रतिभाओं को मंच देने के सकारात्मक प्रयास को पटना की साहित्यिक संस्था लेख्य मंजुषा ने भी आगे बढ़ाया है। दो युवा कवयित्री अभिलाषा और श्रुति ने एकल पाठ में एक दर्जन कविताएं प्रस्तुत कर किया। एकल काव्य गोष्ठी के अध्यक्ष भगवती प्रसाद द्विवेदी, विशेष अतिथि सिद्धेश्वर और वरिष्ठ कवि घनश्याम ने कहा कि अराजक महौल में अभिलाषा और श्रुति की कविताओं ने विश्वास बढ़ाया है। कार्यक्रम का संचालन संजय कुमार संजु तथा एकता ने किया। एकल पाठ के दोनो कवयित्रियों के अलावा बाद में वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण, संजय कुमार सिंह, पूनम कतरियार, अमृता सिन्हा, युवा शायर नसीम अख्तर, रंजना, सिद्धेश्वर, घनश्याम, विश्वनाथ वर्मा. डा. सुजीत वर्मा, कुमारी स्मृति कुमकुम आदि ने भी अपनी कविताएं सुनाईं।
एकल काव्य-पाठ में अभिलाषा ने अपनी प्रतिनिधि रचना सुनाई- बेटी हूं तो क्या कम हूं, तुम इतना क्यों डरती हो मां? सलामती के लिए मेरी, हर पल चिंतित रहती हो मां।
श्रुति ने अपनी कविता पढ़ी- मेधा दो ओज दो, ज्ञान का प्रकाश हो, मानस समृद्ध हो कि बुद्धि का विकास हो !
(रिपोर्ट, तस्वीर : सिद्धेश्वर/संजय कुमार संजु)