तेरह दशकों में पहली बार महिला सशक्तिकरण का परचम

-बिहार की सबसे पुरानी नगरपालिकाओं में एक दाउदनगर नगर परिषद में शुरू हुआ नया इतिहास,

-1885 में इस नगर निकाय में इस बार अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों महिला,

-नगर परिषद में 12 ही महिला आरक्षित सीट मगर 18 पर जीती महिलाएं

दाउदनगर (औरंगाबाद)-उपेंद्र कश्यप। सोनी देवी नगर परिषद दाउदनगर के बोर्ड की प्रथम चेयरमैन बनी हैं। दाउदनगर नगर परिषद के 133 सालों में बनी वह सबसे कम उम्र की चेयरमैन हैं और राजनीतिक परिवार से आने के बावजूद वह अब तक पूरी तरह गैर राजनीतिक और हाउस वाइफ रही हैं। अब वह 40 साल पहले अपने ससुर यमुना प्रसाद की छोड़ी हुई राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे, जो 27 फरवरी 1972 से 11 जून 1977 तक नगरपालिका के चेयरमैन थे।
सोना देवी ने अपने वार्ड की प्रतिद्वंद्वी रोहिणी नंदिनी को चुनाव में हराया, जो दो बार लगातार 2002 से 09 जून 2007 तक दाउदनगर परिषद की उपाध्यक्ष रह चुकी थीं। इस बार उपाध्यक्ष पद पर पुष्पा देवी चुनी गई हैं। पुष्पा देवी दूसरी दफा वार्ड पार्षद चुनी गईं और अब उपाध्यक्ष बनीं।
दोनों महिला प्रतिनिधि की मजबूत मौजूदगी से दाउदनगर नगर परिषद में महिला सशक्तिकरम का परचम लहराया है। यह नगरपालिका 1885 में गठित हुई थी। पहली बार ऐसा हुआ है कि नगरपालिका बोर्ड पर पूरी तरह नियंत्रण महिला ताकत की होगी। शहर के कुल 27 वार्ड से जीतकर आये पार्षदों में 18 महिलाएं हैं। इस तरह स्त्रीशक्ति का संख्या बल पूर्ण बहुमत से चार अधिक है। दाउदनगर नगर पंचायत में महिलाओं के लिए 12 वार्ड आरक्षित हैं, मगर जीतकर आई महिला प्रतिनिधियों की संख्या निर्धारित आरक्षित सीटों से 50 प्रतिशत अधिक है।
1937 तक सिंचाई अभियंता होते थे चेयरमैन

वर्ष 1885 में नगरपालिका का गठन हुआ था। 1937 तक इस नगर निकाय के चेयरमैन सिंचाई विभाग (औरंगाबाद) के एसडीओ पदेन होते थे। वर्ष 1938 से शहर के जनप्रतिनिधियों का चुनाव शुरू हुआ। अब तक 17 बार चेयरमैन का चुनाव हो चुका हैं। इस बीच एक बार दाउदनगर के बीडीओ इस पद पर रह चुके हैं। सोना देवी के ससुर यमुना प्रसाद स्वर्णकार दाउदनगर नगर परिषद के ताकतवर रहे अंतिम चेयरमैन थे, क्योंकि इनके बाद दाउदनगर नगर निकाय के बोर्ड के चेयरमैन से चेक पर हस्ताक्षर करने का अधिकार सरकार ने छीन लिया और नगरपालिका प्रशासन में कार्यपालक पदाधिकारी की नयी व्यवस्था की।

पुस्तक (श्रमण संस्कृति का वाहक दाउदनगर) में नगरपालिका का विवरण

पुस्तक श्रमण संस्कृति का वाहक दाउदनगर (लेखक उपेन्द्र कश्यप) में दिए गए दाउदनगर नगरपालिका के विवरण के अनुसार, 1885 में एसडीओ औरंगाबाद बाबू जवाहिर मल, 1866 में गिरिजा शेखर बनर्जी, 1888 में मोती लाल, 1909 में मुंशी एकबाल हुसैन, 1912 में मुंशी एकबाल हुसैन, 1913 में मोहन लाल, 1914 में मुंशी सैय्यद क्यूम हुसैन, 1918 में बाबू धर्मदास जैन, 1920 में हकीम सैय्यद मुहम्मद, 1928 में बाबू धर्मदास जैन, 1931 में खान बहादुर सैय्यद मुहम्मद, 1934 में रघुनाथ सहाय और 1937 में अनंत प्रसाद दाउदनगर नगर निकाय के चेयरमैन बनाए गए थे।
1938 में सूरजनारायण सिंह व पं. बलराम शर्मा, 1942 में खान बहादूर सैय्यद मुहम्मद व नथुनी मिश्रा, 1945 में राय बहादुर जगदेव मिश्रा व कुलदीप सहाय, 1951 में हजारी लाल गुप्ता व कुलदीप सहाय, 1951 में कुलदीप सहाय व हरि प्रसाद, 1953 में मुरारी मोहन राय व बंशी राम, 1958 में रामप्रसाद लाल व बंशी राम, 1972 में यमुना प्रसाद स्वर्णकार व मोहम्मद ईशा, 1978 में शिवशंकर सिंह व कृष्णा प्रसाद, 1986 में चंद्रमोहन प्रसाद तांती व कृष्णा प्रसाद, 2002 में नारायण प्रसाद तांती व रोहिणी नंदिनी, 2005 में सावित्री देवी व रोहिणी नंदिनी, 2007 में परमानंद प्रसाद व अजयकुमार पांडेय उर्फ सिद्धी पांडेय, 2012 में धर्मेन्द्र कुमार व कौशलेन्द्र कुमार सिंह और 2014 में परमानंद प्रसाद व कौशलेन्द्र कुमार सिंह क्रमश: अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुने गए थे। इस बीच 1977-98 में बीडीओ जेसी रस्तोगी दाउदनगर नगर पंचायत के चेयरमैन के प्रभार में थे।

समाज के लिए संजीवनी की तरह है कला

दाउदनगर (औरंगाबाद)-निशांत राज। कला प्रभा संगम संगीत महाविद्यालय का शुभारंभ विद्या निकेतन ग्रुप ऑफ स्कूल के निदेशक आनंद प्रकाश और रैंकर्स प्वाइंट के निदेशक मदन कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। आनंद प्रकाश ने अपने संबोधन में कहा कि कला में समाज और संस्कृति मूर्तरूप ग्रहण करता है। कला समाज के लिए संजीवनी की तरह काम करती है। कला के विभिन्न रूपों में ही धरोहर समाहित होती है। कला प्रभा संगम नन्हे किलकारियों को दशा-दिशा देने का काम कर रही है।

कला प्रभा संगम के सचिव और नृत्य शिक्षक गोविन्दा राज ने कहा कि शहर की नई पीढ़ी में कला के अंकुर को पौधा बनाना उनका मकसद है और गीत-संगीत-नृत्य के जरिए दाउदनगर की खास पहचान बनाना उनका लक्ष्य है।
दाउदनगर के वरिष्ठ गजल गायक मोहम्मद शरफुदिन ने अपनी गजल गायकी (श्याम पिया मोहे रंग दे चुनरिया) की प्रभावकारी प्रस्तुति से श्रोताओं का मन मोह लिया, जिनके गायन के साथ मोहम्मद कलाम ने तबले पर दमदार संगत की।

कला प्रभा संगम के संगीत शिक्षक यज्ञ शर्मा ने भी अपना गायन (ऐसी लगी लगन) प्रस्तुत किया और बच्चों को हारमोनियम के जरिये संगीत की बारीकियों का उदाहरण देकर बताया।

इस अवसर पर रॉकी केशरी, गुंजन कुमार, धीरज कुमार, कुहू कुमारी, अलाउदीन खान, शुभम, सुमन राजा, प्रकाश पवन, इमरान खान, पिंटू, पूजा मंडल, निशि कुमारी, शिवानी गुप्ता, सत्यम कुमार, कोमल, प्रिंस सैनी, सन्नी, मोनू, प्रिंस, सपना कुमारी, पेहर, शालू गुप्ता, पलक और बबली कुमारी ने भी अपनी प्रस्तुति दी। संस्था के अध्यक्ष अंजन सिंह, उपाध्यक्ष मनोज मुस्कान, कोषाध्यक्ष देव शर्मा, नृत्य शिक्षक चंदन चौरसिया व नृत्य शिक्षिका मधुलिका रानी के साथ संस्था के संस्थापक सदस्य अतुल पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया।

 

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