देहरादून- विशेष प्रतिनिधि। भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा की नई शिक्षा नीति के ठोस परिणाम अगले 5 साल के भीतर सामने आने लगेंगे उन्होंने कहा की नई शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देगी और उन्हें पूरी उम्मीद है कि अगले 5 वर्ष के भीतर सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में बहस होने लगे लगेगी।
चमन लाल महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं भविष्य का भारत विषय पर आधारित शिक्षा संवाद का आयोजन किया गया l मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने सरस्वती के आगे दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुवात की। डॉ.निशंक जी ने अपने व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत में उस समय नालंदा तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय थे जब दुनिया में कोई भी ज्ञान का बड़ा केंद्र नहीं था l उस समय भारतवर्ष में स्थापत्य कला ,आयुर्वेद एवं योग के क्षेत्र में चरम पर था l उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 का यह स्वरूप भारत को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएगाl कुछ सालों के भीतर ही नई शिक्षा नीति के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगेंगे।
उन्होंने कहा की राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को वैश्विक स्तर पर नई पहचान प्रदान करेगी। कुछ ही वर्षों के भीतर भारत रिसर्च के क्षेत्र में अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ने की स्थिति में होगा। डॉ निशंक ने कहा की नई शिक्षा नीति प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा और रिसर्च इन सभी पर समान रूप से फोकस करती है। इस नीति का उद्देश्य केवल शिक्षित पीढ़ी का निर्माण करना ही नहीं, बल्कि ऐसे नागरिक तैयार करना है जो आगामी दशकों में भारत का हर क्षेत्र में नेतृत्व कर सके।
उन्होंने भारतीय भाषाओं के विकास पर विशेष जोर देते हुए कहा कि हिंदी और भारतीय भाषाओं का आपस में कोई विरोध नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले 5 सालों के भीतर भारत के सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में भी बहस होने लगेगी। उन्होंने इसके लिए शिक्षा मंत्री रहते हुए व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रयास किए हैं। डॉ निशंक ने कहा कि अंग्रेजी देश की 22 भारतीय भाषाओं में शामिल नहीं है। इसे केवल माध्यम भाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। आने वाले समय में इसकी आवश्यकता लगातार घटती जायेगी। उन्होंने कहा की यह नीति ऐसा दस्तावेज है, जिस पर दुनिया का सबसे लंबा विमर्श चला। इस नीति पर वर्तमान में अमेरिका इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया ओमान तथा दुनिया के अन्य कई विश्वविद्यालयों में शोध पर कार्य किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर डॉ. निशंक जी ने शिक्षकों, छात्र- छात्राओं के साथ संवाद भी किया तथा उनके प्रश्नों के उत्तर भी दिए। इससे पहले उन्होंने विधि विभाग के छात्र- छात्राओं से अलग से मुलाकात की और भारत में विधि के क्षेत्र में ग्रामीण तथा हिंदी माध्यम के युवाओं के रोजगार की संभावनाओं पर चर्चा की।
इस क्रम में महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका चमन संदेश के नई शिक्षा नीति विशेषांक का विमोचन डॉ.निशंक जी द्वारा किया गया।महाविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष पंडित ईश्वर चंद्र शर्मा ने सभी प्रकार की बौद्धिक एवं शैक्षिक गतिविधियों के साथ युवा वर्ग को और व्यापक स्तर पर जोड़े जाने पर जोर दिया। प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री राम कुमार शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति पर यह संवाद छात्र- छात्राओं के हित में अहम भूमिका निभाएगा और उनमें नई शिक्षा नीति के विषय में समझ का स्तर बढ़ेगा।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील उपाध्याय ने कहा कि नहीं शिक्षा नीति दुनिया की सबसे श्रेष्ठ नीतियों में से एक है, लेकिन असली चुनौती यह है कि इस नीति का किस ढंग से क्रियान्वयन किया जाता है। क्रियान्वयन के आधार पर ही इसके सुखद परिणाम प्राप्त हो सकेंगे।
महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव श्री अरुण हरित एवं कोषाध्यक्ष श्री अतुल हरित ने डॉ.निशंक एवं हिमालयी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर राजेश नैथानी को सम्मानित किया l कार्यक्रम का का समन्वय डॉ मीरा चौरसिया और संचालन डॉ. तरुण गुप्ता ने किया। इस मौके पर पूर्व राज्य मंत्री शोभाराम प्रजापति, डॉ मधु, डॉ. सुप्रिया रतूड़ी, गौरव कौशिक, लक्सर के नगर पालिका अध्यक्ष अमरीश गर्ग, भाजपा मंडल अध्यक्ष मनोज नायक, रजत गौतम, असगर अली प्रधान तथा महाविद्यालय के समस्त शिक्षक एवं अन्य कर्मचारी भी उपस्थित रहे l
रिपोर्ट, तस्वीर : डॉ सुशील उपाध्याय
(इनपुट : निशांत राज)
, प्राचार्य