मां ने बेडिय़ों में बांध रखा है बेटे को, इलाज के लिए पैसे नहीं
देहरादून (निशांत राज, सोनमाटी समाचार)। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के सौंदा गांव की सरोज राणा ने अपने 22 साल के बेटे पंकज राणा को बेडिय़ों में बांध रखा है, क्योंकि उसे डर है कि बेटे को खुला छोड़ा गया तो जंगल का कोई जानवर उसे खा जाएगा। पंकज जन्म से ही क्वॉड्रिपरीसिस (अफेजिया) बीमारी से पीडि़त है, जिसके कारण वह ठीक से चल-फिर और बोल भी नहींपाता है। सरोज राणा इसीलिए ने पंकज की सुरक्षा के लिए बेडिय़ों में बांध रखा है। सरोज राणा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है, क्योंकि उनके पास अपने बेटे का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं।
सरोज राणा के पति आठ साल पहले मर चुके हैं। वह मजदूरी कर घर को चलाती है। उसे सरकार की ओर से विधवा पेंशन और पंकज को 1000 रुपये का दिव्यांग पेंशन मिलता है। वह अपने पति के साथ पंकज को हेल्थ सेंटर तक जा चुकी थी और मंदिरों के दरवाजों तक दस्तक दे चुकी है।
सरोज राणा प्रधानमंत्री के उत्तराखंड में आने का इंतजार है, वह उनसे मिलना और यह बताना चाहती है कि देवभूमि उत्तराखंड में भाजपा नेतृत्व की सरकार होने के बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था का कितना बड़ा अभाव है? वह चाहती है कि पहाड़ों में स्वास्थ्य शिविर बनाए जाएं, ताकि इलाज के लिए पर्वतीय लोगों को मैदान में न जाना पड़े। कई लोग पहाड़ से उतर कर मैदान में नहींजाना चाहते क्योंकि आने-जाने का खर्च उठा पाना भी उनके लिए संभव नहीं है।
दरअसल, मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, घर पर ही पारंपरिक तरीके से पंकज का जन्म होने के कारण वह बीमारी का शिकार हो गया। सैंपल स्वास्थ्य सर्वे से बात सामने आ चुकी है कि उत्तराखंड के करीब 37 प्रतिशत बच्चे घरों में ही जन्म लेते हैं। राज्य में नवजात बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जारी है, लेकिन गरीबी व सफर की परेशानी को लेकर गर्भवती महिलाएं मैदानी इलाके में पहुंच कर इसका लाभ नहींउठा पातीं।