प्रवासियों को मिली हरी झंडी / संकट में फंसे स्वास्थ्यकर्मी / वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है…/ जारी रहेगी संकटमोचन सेवा

विद्यार्थियों को करनी पड़ी भूख हड़ताल, हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका

(वीडियो वार्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी)

पटना (कृष्ण किसलय)। केेंद्र सरकार ने लाकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों को अपने-अपने राज्यों में घर-वापसी की हरी झंडी दे दी है। घर-वापसी का प्रबंध राज्य सरकारों को अपने स्तर से करनी है। इसमें सोशल डिस्टेन्स का पालन करने के साथ अन्य जरूरी एहतियात बरतने की शर्त रखी गई। अचानक लाकडाउन होने से दूसरे राज्यों में 26.39 लाख से अधिक बिहारवासी फंस गए हैं, जिनमें श्रमिक, विद्यार्थी, नौकरी-पेशा, कारोबारी आदि हैं। यह संख्या उनकी है, जिन्होंने बिहार सरकार से आर्थिक मदद मांगी है। इनमें से 16.67 लाख आवेदकों के खाते में एक-एक हजार रुपये राज्य सरकार द्वारा डाले गए हैं। बिहार सरकार प्रवासी श्रमिकों के लिए 09 राज्यों के 12 शहरों में 55 राहत केन्द्र भी चला रही है। जहां घर-वापसी के लिए कोटा (राजस्थान) में छात्र-छात्राओं को भूख हड़ताल करनी पड़ी, वहीं पटना हाईकोर्ट में वकीलों के दल की ओर से याचिका भी दायर की गई। जब पटना हाईकोर्ट ने जवाब तलब की, तब बिहार सरकार की ओर से यह बताया गया कि भारत सरकार के लाकडाउन के दिशा-निर्देश की वजह से प्रवासियों के लाने का इंतजाम करना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई वीडियो कांफ्रेेंस वार्ता में प्रवासियों की घर-वापसी का मुद्दा उठाया था।

संसाधन के मद्देनजर सरकार ने किया है कोरोना के लिए चयन : गोपालनारायण सिंह

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-विशेष संवाददाता। रोहतास, औरंगाबाद और कैमूर जिलों के कोरोना संदिग्ध मरीज जमुहार (डेहरी-आन-सोन) स्थित नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (एनएमसीएच) में क्वारंटाइन में रखे जा रहे हैं। एनएमसीएच के संस्थापक अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद गोपालनारायण सिंह ने बताया है कि अस्पताल में 450 आइसोलेटेड बेड, एक दर्जन वेंटीलेटर युक्त आईसीयू के साथ डेढ़ दर्जन प्राइवेट वार्ड, करीब 250 चिकित्सक, 350 नर्स आदि हैं। यहां उपलब्ध चिकित्सकीय संसाधनों को देखकर ही भारत और बिहार सरकार ने इसका चयन कोरोना महामारी के मद्देनजर किया है। उन्होंने बताया है कि मरीजों के खाने-रहने, साफ-सफाई की व्यवस्था अस्पताल प्रबंधन द्वारा सामाजिक उत्तरदायित्व के अंतर्गत निशुल्क की जाती है। गोपालनारायण सिंह ने एनएमसीएच में कोरोना मरीजों की स्थिति से संबंधित एक वीडियो वायरल होने के बाद यह जानकारी दी।
दूसरों को बचाते-बचाते विपदा में फंसे स्वास्थ्यकर्मी : कोरोना विषाणु की महामारी से लड़ाई लडऩे वाले एनएमसीएच के दो स्वास्थ्य कर्मचारी खुद विपदा में फंस गए। एनएमसीएच से जिन 32 संदिग्धों के रक्त नमूने जांच के लिए पटना भेजे गए थे, उनमें दो पाजिटिव निकले। दोनों पाजिटिव एनएमसीएच के नर्सिंग और तकनीकी महिला और पुरुष स्टाफ हैं। इनके अलावा एक 06 साल का बच्चा भी कोरोना पाजिटिव पाया गया है। एनएमसीएच में पहले से चिकित्साधीन 28 कोरोनाग्रस्त मरीजों में से पांच को मगध मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (गया) भेज दिया गया है। एनएमसीएच में भर्ती 200 से अधिक संदिग्धों के रक्त नमूनों के परीक्षण परिणाम के पटना से आने की प्रतीक्षा है। एनएमसीएच में पहले से भर्ती 28 में पांच कोरोनाग्रस्त मरीजों को मगध मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (गया) भेजा गया। पटना से देर से प्राप्त जांच रिपोर्ट में कोचस का 24 वर्षीय युवक और मुरादाबाद की 20 वर्षीय महिला के कोविड-19 के मरीज होने की पुष्टि हुई है। इस तरह रोहतास जिला में 36 कोरोना मरीज हो चुके हैं।
(रिपोर्ट, तस्वीर : भूपेन्द्रनारायण सिंह, पीआरओ, एनएमसीएच)

पहली मरीज की श्रृंखला की पहचान करना सामाजिक जिम्मेदारी भी

सासाराम (सोनमाटी संवाददाता)। रोहतास जिला में पाई गई पहली कोरोना पाजिटिव आलू-प्याज के थोक कारोबारी परिवार की बारादरी मुहल्ला निवासी महिला के चेन (संपर्क) में 23 लोगों के कोराना शिकार होने का तथ्य सामने आ चुका है। महिला लाकडाउन (पार्ट-1) के दौरान झारखंड, कैमूर के रिश्तेदारों के पास से आने पर सासाराम रौजारोड के निजी क्लिनिक में 17 अप्रैल को भर्ती हुई। खून-पानी चढ़ाने के बावजूद तबियत ज्यादा बिगडऩे पर एनएमसीएच ले जाया गया, जहां से उसे पटना भेजा गया। एहतियात नहीं बरतने की वजह से उसके परिवार, पारिवारिक मित्र, चिकित्सक, चिकित्सका स्टाफ आदि कोरोना के शिकार बने। इस महिला मरीज की चेन से जुड़े सभी की पहचान प्रशासन के साथ समाज की भी जिम्मेदारी है, ताकि अन्य कोरोना शिकार नहीं हो सकेें। इसके लिए जिला नियंत्रण कक्ष के टाल-फ्री फोन नंबर 1077 पर संपर्क कर आवश्यक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

जीआरपी अफसर मरीज भी रोहतास जिला की पहली मरीज के समुदाय से :

डेहरी-आन-सोन (कार्यालय प्रतिनिधि)। शहर में कोरोना के प्रथम मरीज राजकीय रेल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी की चेन का भी कैमूर कनेक्शन है। भभुआ (कैमूर) से आए इस पुलिस अधिकारी ने तबियत खराब होने पर नगरपालिका बस पड़ाव रोड (कब्रगाह पुल) के निजी क्लिनिक में 20 अप्रैल को जांच कराई। फिर जमुहार अस्पताल में भर्ती होने पर रक्त नमूना पटना भेजा गया तो कोरोना पाजिटिव निकला। जीआरपी अफसर के कोरोनाग्रस्त होने की जानकारी होने पर पं.दीनदयाल उपाध्याय रेल मंडल (मुगलसराय) और गया से रेल और जीआरपी के वरिष्ठ अधिकारी विशेष ट्रेन से डेहरी-आन-सोन पहुंच कर वस्तुस्थिति का अवलोकन किया। डेहरी-आन-सोन जीआरपी के पुलिस कर्मियों और निजी क्लिनिक के स्टाफ का क्वारंटाइन किया गया। डेहरी-आन-सोन, भभुआ जीआरपी कार्यालयों को सैनिटाइज्ड और रेल कालोनी को सील (आवागमन निषेध) करने के बाद डेहरी-आन-सोन जीआरपी में नए अफसर-सिपाही तैनात किए गए। यह संयोग है कि रोहतास जिला की पहली मरीज महिला (सासाराम) और डेहरी-आन-सोन का पहला मरीज एक ही समुदाय से आते हैं।

लाकडाउन तक हर रोज चलेगा संकटमोचन स्वास्थ्य सहायता केेंद्र :

डेहरी-आन-सोन के प्रसाद हर्ट क्लिनिक परिसर में लाकडाउन में सामाजिक जिम्मेदारी के तहत संचालित संकटमोचन स्वास्थ्य सहायता केेंद्र में गैर-कोरोना निर्धन मरीजों का निशुल्क परीक्षण और चिकित्सा वरिष्ठ डा. एसबी प्रसाद द्वारा किया जा रहा है। सोन कला केन्द्र के अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव के अनुसार, संस्था के सदस्यों द्वारा अपने-अपने स्तर पर आस-पास के जरूरतमंदों के बीच खाद्य सामग्री वितरण का कार्य जारी है। इस स्वास्थ्य केेंद्र में मरीज भेजने का कार्य सोन कला केेंद्र के शहर के विभिन्न मुहल्लों में रहने वाले संरक्षक, सलाहकार, पदाधिकारी और सदस्य कर रहे हैं। डा. प्रसाद इस संस्था के संरक्षक हैं। संकटमोचन स्वास्थ्य सहायता केन्द्र के संचालन की अवधि 30 अप्रैल तक निर्धारित है। अगर लाकडाउन 03 मई से आगे जारी रहता है तो संकटमोचन स्वास्थ्य सहायता केन्द्र आगे भी स्थानीय निर्धन मरीजों के लिए रोजाना संचालित होगा। यह निर्णय सोन कला केेंद्र के संरक्षक, सलाहकार, पदाधिकारी के बीच वीडियो-वार्ता कर लिया गया। डा. एसबी प्रसाद ने यह संकल्प लिया है कि यह सेवा कार्य वह आजीवन करेंगे। इनके संकल्प-स्वरूप पर लाकडाउन खत्म होने पर भविष्य के मद्देनजर संस्थागत स्तर पर अंतिम विमर्श किया जाएगा। वीडियो कान्फ्रेन्स में संस्था के संरक्षकों विधायक सत्यनारायण सिंह यादव, डा. रागिनी सिन्हा, डा. एसबी प्रसाद, अरुण गुप्ता, उदय शंकर और राजीव रंजन, अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव, संस्थापक सलाहकार कृष्ण किसलय, उपाध्यक्ष उपेन्द्र कश्यप शामिल हुए। अंत में प्रख्यात सिने अभिनेता इरफान खान के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन रखकर वीडियो कान्फ्रेेंसिंग का समापन किया गया। बाद में प्रख्यात सिने अभिनेता ऋषि कपूर के असामयिक निधन पर उन्हें भी दूर-दूर रहकर मौन श्रद्धांजलि दी गई।

क्या कहते हैं डेहरी-आन-सोन के वरिष्ठ अग्रणी चिकित्सक

अमेरिकी अध्ययन ने बताया है कड़ी धूप में खत्म होता है कोरोना : डा. रागिनी सिन्हा

एक सुखद बात सामने आई है कि कड़ी धूप में कोरोना वायरस मर जाता है। भारत में गर्मी के मौसम में अधिक तापमान और कम नमी वाला वातावरण वायरस के लिए अनुकूल नहीं हो सकता है। मगर तापमान ज्यादा हो, पर धूप कड़ी नहीं हो यानी हवा में नमी अधिक हो तो वैसा वातावरण वायरस के लिए प्रतिकूल नहीं हो सकता। गर्म वातावरण में वायरस जैवकणों को पूरी तरह खत्म होना उसकी संख्या पर निर्भर करता है। शहर की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डा. रागिनी सिन्हा ने यह जानकारी दी। डा. रागिनी सिन्हा ने बताया कि अमेरिका में पिछले दिनों कोरोना वायरस के नमूनों को छह परिस्थितियों में रखकर वैज्ञानिक संस्था नेशनल बायोडिफेन्स एनालिसिस काउंटरमेजर्स सेन्टर (एनबीएसीसी) ने अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि धूप का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हो और हवा में नमी 80 फीसदी ही हो तो वायरस के मालीक्यूल (जैवअणु) हवा, जमीन या किसी सतह पर जल्द ही खत्म हो जाते हैं।

अदृश्य दुश्मन से लड़ाई में कम न होने पाए स्वास्थ्य संसाधन : डा. उदय सिन्हा

वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ चिकित्सक डा. उदयकुमार सिन्हा का कहना है, कोरोना की कोई दवा नहीं है। प्राथमिक पहचान कर 14 से 28 दिनों का पृथकवास और रक्त-नमूना की जांच ही उपाय है। पृथकवास इसलिए कि दूसरों में संक्रमण नहीं हो या वह वास्तव में संक्रमित नहीं है तो कमजोर इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधी क्षमता) के कारण जिद्दी विषाणु कोराना का शिकार हो जाए। जांच से ही पता चलेगा कि संदिग्ध मरीज, व्यक्ति कोरोनाग्रस्त है या नहीं? संदिग्धों में 90 फीसदी के इलाज से ठीक हो जाने की संभावना है और 10 फीसदी के ही गंभीर होने की आशंका है, जिन्हें अस्पताल, आईसीयू या वेंटीलेटर की जरूरत हो सकती है। भारत में आज भी कोरोना से मृत्यु-दर अन्य व्यापक शिकार देशों की तुलना में बेहद कम है। इस अदृश्य दुश्मन से लडऩे में हमारे स्वास्थ्य संसाधन कैसे पर्याप्त बना रहे और कम नही हों, यह समाज में चर्चा का विषय होना चाहिए।

दो गज दूरी और साफ-सफाई ही इस अदृश्य राक्षस से बचाव के हथियार : डा. एसबी प्रसाद

वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. एसबी प्रसाद का कहना है कि कोरोना से लडऩा हमारे हाथ में नहीं है, मगर बचना जरूर हमारे हाथ में है। दो गज दूरी और साफ-सफाई ही इस अदृश्य राक्षस से बचाव के हथियार हैं। वायरस इतने छोटे होते हैं कि उन्हें सूक्ष्मदर्शी यंत्र के जरिये ही देखा जा सकता है। अभी तक इस विषाणु की दवा खोजी नहीं जा सकी है। भारत सहित कई देशों में इसकी काट (दवा) खोजने के लिए तरह-तरह के वैज्ञानिक शोध जारी हैं। जल्द ही शोध परीक्षण परिणाम सामने आएगा। मगर इसकी दवा (वैक्सिन) के व्यावसायिक उत्पादन और जन समाज तक पहुंचने में अभी काफी वक्त लगेगा। इससे लड़ाई सालों तक चलनी है। इसका उन्नमूलन अभियान पल्स पोलिया की तरह चलेगा।
(तस्वीर, रिपोर्ट : कार्यालय प्रतिनिधि निशांत राज के साथ सोनमाटी टीम)

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