मृत रोहतास उद्योगसमूह : उम्मीद की नई किरण, मगर संशय के बादल भी

यह तो सबकी इच्छा है, चाहे वह किसी भी दल का हो, कि आवश्यक उपभोक्ता वस्तु का उत्पादन करने वाले कारखानों के कारण देश भर में आधी सदी तक प्रसिद्ध रहे डालमियानगर (बिहार) के रोहतास उद्योगसमूह की जमीन पर नया कारखाना स्थापित हो। रेल बोगी मरम्मत कारखाना की स्थापना की दिशा में आगे बढ़े आरंभिक कदम से उम्मीद की नई किरण फूटती दिखाई देने लगी है। फिलहाल यह किरण सतह पर नहीं है, मगर रेलवे के उपक्रम राइट्स की ओर से पूर्व रेलवे को रेल बोगी मरम्मत वर्कशाप के बाबत भेजी गई डीपीआर के मद्देनजर कहा जा सकता है कि भोर की उजास होने वाली है और संशय के काले बादल छंटने वाले हैं। हालांकि इसके लिए अभी भी प्रतीक्षा की दरकार है और यह जानने की जरूरत है कि इस बारे में रेलवे बजट में कैसा और किस तरह का प्रावधान किया गया है? अभी यह देखे जाने की भी जरूरत है कि रेल मरम्मत कारखाने का बीज-तत्व (डीपीआर) कितना कारगर, कितना उपयोगी और कितना मजबूत है?


विशेष रिपोर्ट : कृष्ण किसलय,  तस्वीर : निशांत राज

—————————————————

डेहरी-आन-सोन (बिहार)-विशेष प्रतिनिधि। 35 साल पहले पूर्ण तालाबंदी के बाद सुप्रीमकोर्ट और फिर हाईकोर्ट के मार्गदर्शन में संचालित नहींहो पाने के कारण मृत घोषित 20वींसदी के सुप्रसिद्ध डालमियानगर (बिहार) स्थित रोहतास उद्योगसमूह कारखाना परिसर में रेल बोगी मरम्मत कारखाना की स्थापना की दिशा में आगे बढ़े आरंभिक कदम से उम्मीद की नई किरण फूटती दिखाई देने लगी है। फिलहाल यह किरण सतह पर नहीं है, मगर रेलवे के उपक्रम राइट्स की ओर से पूर्व रेलवे को रेल बोगी मरम्मत वर्कशाप के बाबत भेजी गई डीपीआर के मद्देनजर कहा जा सकता है कि भोर की उजास होने वाली है और संशय के काले बादल छंटने वाले हैं।

आखिर क्या है संदेह करने और सवाल पैदा होने की वजह? 
हालांकि इसके लिए अभी भी प्रतीक्षा की दरकार है और यह जानने की जरूरत है कि इस बारे में रेलवे बजट में कैसा और किस तरह का प्रावधान किया गया है? अभी यह देखे जाने की जरूरत है कि रेल मरम्मत कारखाने का बीज-तत्व (डीपीआर) कितना कारगर, कितना उपयोगी और कितना मजबूत है? और, फिर इस बीज के आकार ग्रहण करने के लिए हवा-पानी-मिट्टी कैसी है? अर्थात, इसकी जरूरत है या नहीं? पूंजी निवेश का पुख्ता इंतजाम किया गया है या नहीं? इसे आसन्न लोकसभा चुनाव के पूर्व होने वाले सियासी शोर के तौर पर इसलिए भी देखा जा रहा है कि रेलवैगन कारखाना की स्थापना जैसे महत्वपूर्ण निर्णय पर किसी वरिष्ठ रेलवे अधिकारी और रेल मंत्री का आधिकारिक बयान सामने नहींआया है। कारखाना लगाने-चलाने की राजनीतिक जुमलेबाजी पिछले और उससे भी पिछले लोकसभा चुनावों में भी होती रही है।

कारखाने की जमीन पर आवासीय कालोनी बनाने की योजना भी है रेलवे की
फिलहाल रेलवे ने अपने बजट में रेल वैगन मरम्मत व कप्लर निर्माण कारखाना के लिए सिर्फ डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने का ही प्रावधान किया है? इसलिए सवाल यह भी है कि कबाड़ हटने के बाद रेलवे की प्राथमिकता कहींआवासीय कालोनी निर्माण तक ही नरह जाए, क्योंकि इसी जमीन पर रेलवे की आवासीय कालोनी बनाने की भी योजना है। डालमियानगर कारखाना परिसर डेहरी-डालमियानगर परिषद की सीमा के अंतर्गत शहर के बीच में है, जो रेलवे स्टेशन व शहरी आबादी से एकदम सटा हुआ है। अगर रेलवे दो सौ एकड़ से अधिक इस जमीन पर अपनी किसी वाणिज्यिक योजना के तहत आवासीय कालोनी विकसित करे तो वह कितना कीमती होगा, यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। शहर में जमीन का बाजार भाव आज 10 लाख रुपये डिस्मिल है। मशीनों का कबाड़ हटने के बाद समतल हुए डालमियानगर कारखाने की जमीन की कीमत दो हजार करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।

रेलबैगन कारखाने का डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी राइट्स की
डालमियानगर में रेलवैगन अनुरक्षण (मरम्मत) कारखाना के निर्माण के लिए पूर्व मध्य रेलवे और राइट्स के बीच एक साल पहले 25 अगस्त 2017 में समझौता (मुचुअल अंडरस्टैंडिंग) पर दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन का आदान-प्रदान किया गया था। पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य यांत्रिक अभियंता अनिल शर्मा और राइट्स के समूह महाप्रबंधक अनिल विज ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया था। इसके बाद कबाड़ हटाने की जिम्मेदारी रेलवे के वैगन प्रोजेक्ट ऑर्गनाइजेशन को दी गई। तब रेलवे की ओर से यह भी बताया गया था कि इसी जमीन पर आवासीय कालोनी बनाई जाएगी।
डालमियानगर की भूमि समतल होने के बाद ही होगी अगले उपयोग योग्य
मृत रोहतास उद्योगसमूह के 219 एकड़ के डालमियानगर कारखाना परिसर को पटना हाईकोर्ट के कंपनी जज की अनुमति से रेलवे ने 140 करोड़ रुपये में खरीदा था, जिसकी चाबी तत्कालीन शासकीय समापक (पटना हाईकोर्ट के कंपनी जज के अधीन) द्वारा 2007 में ही रेलवे को सौपी गई थी। 219 एकड़ में मृत रोहतास उद्योगसमूह के कागज, सीमेन्ट, वनस्पति, स्टील, रासायनिक, एस्बेस्टस, पावर प्लांट, सेन्ट्रल वर्कशाप, साबुन, कास्टिक सोड़ा आदि कारखाने थे। इस विशाल कारखाना परिसर की मशीनें कबाड़ के भाव 94 करोड़ रुपये में बिक चुकी हैं, जिसे कोलकाता की कंपनी एम. जंक्शन सर्विस लिमिटिड ने खरीदा है। मशीनों का कबाड़ हटाकर इसकी भूमि समतल की जाएगी, ताकि वह अगले उपयोग के योग्य हो सके।
रेल राज्यमंत्री ने पत्र लिखकर बताया कि देश में नए बैगन निर्माण कारखाने की जरूरत नहीं
दूसरी तरफ, देश में रेल वैगन की मांग और खपत से संबंधित मौजूदा वस्तुस्थिति को रेल राज्यमंत्री राजने गुहैन की चिट्ठी से समझा जा सकता है। रेल राज्यमंत्री राजने गुहैन ने 28 मार्च २०१८ को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखकर यह बताया है कि रेल वैगन की मांग में वर्ष 2024 तक वृद्धि होने वाली नहींहै। नया वैगन निर्माण कारखाने की देश में फिलहाल जरूरत नहींहै। रेल राज्यमंत्री ने यह जानकारी ओडिशा में प्रस्तावित रेलवैगन कारखाने की स्थापना के सवाल पर दी है।

जल्द हटा दिया जाएगा मशीनों का कबाड़, शहरवासियों को मिलेगा रेलइंजन का उपहार
भाजपा उद्योग मंच के बिहार राज्य उप संयोजक और चैम्बर्स आफ कामर्स (डेहरी-आन-सोन) के सचिव अमितकुमार कश्यप बबल का कहना है कि मृत रोहतास उद्योगसमूह के कारखाना कबाड़ को काटकर हटाने का ठेका पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय की कंपनी ने प्राप्त किया है। उनकी कंपनी निर्धारित अवधि में कटाई का काम पूरा कर लेगी। डेहरी-आन-सोन के ही निवासी होने के नाते हुलास पांडेय भी चाहते हैं कि जितना जल्द हो सके मशीनों के कबाड़ के हटा दिए जाए तो रेलवे आगे का अपना काम कर सकेगी। श्री बबल ने बताया कि हुलास पांडेय ने उनसे और भाजपा के प्रतिनिधि मंडल से यह वादा किया है कि कारखाना परिसर में मौजूद एक रेल इंजन को वह डेहरी-आन-सोन रेल स्टेशन परिसर के सामने स्थापित करने के लिए रेलवे को देंगे, जो उनकी ओर से रेलवे के माध्यम से शहर को भेंट होगी। रेल इंजन एक धरोहर है, जो पिछली सदी के एकदम आरंभ में इंग्लैंड में बना था और रोहतास इंडस्ट्रीज के लिए खरीदा गया था। यह रेलइंजन समाप्त हो चुके रोहतास उद्योगसमूह के इतिहास और रेलइंजन निर्माण आरंभिक पुरानी तकनीक की स्मृति के रूप में होगा।

सूअरा में जल्द अमली जामा अख्तियार कर सकती है टेक्सटाइल हब की योजना
अमितकुमार कश्यप बबल का कहना है कि यह तो सबकी इच्छा है, चाहे वह किसी भी दल का हो, कि आवश्यक उपभोक्ता वस्तु का उत्पादन करने वाले कारखानों के कारण देश भर में आधी सदी तक प्रसिद्ध रहे डालमियानगर के रोहतास उद्योगसमूह की जमीन पर नया कारखाना स्थापित हो। श्री बबल ने यह भी जानकारी दी कि मृत रोहतास उद्योगसमूह की ही छह किलोमीटर दूर स्थित सूअरा स्थित हवाईअड्डे की 80 एकड़ जमीन को 17 करोड़ रुपये में बियाडा (बिहार सरकार का उपक्रम) ने खरीदा है। वहां टेक्सटाइल हब बनाने की योजना है। बिहार सरकार के उद्योग मंत्रालय और उद्योग विभाग में जिस तरह चीजें आगे बढ़ रही हैं, उससे अगर कोई व्यवधान नहींहुआ तो इसके निकट भविष्य में अमली आकार ग्रहण कर लेने की संभावनाा है।
और, बांक कारखाने के दिवालिया होने से भी सघन हुआ आशंका का बादल
इस बीच, एक नई घटना ने भी आशंका के बादल को और सघन बना दिया है। मृत रोहतास उद्योगसमूह की ही जमीन (बांक फार्म) पर स्थापित झूला वनस्पति लिमिटेड का फूड और एग्रो कारखाना दिवालिया हो चुका है। वहां कारखाना प्रबंधन में कानूनन हस्तक्षेप और संचालन के लिए वैधानिक तौर पर रिसीवर की तैनाती हो चुकी है। जाहिर है, बांक में खुला कारखाना एक दशक भी पूरा नहीं कर सका कि समाप्ति की कगार पर है। डालमियानगर से आठ किलोमीटर दूर स्थित करीब 500 एकड़ के बांक फार्म को झूला वनस्पति प्रबंधन को सिर्फ 18 करोड़ रुपये में बेचा गया था, जो कम-से-कम 100 करोड़ रुपये की जमीन थी। अब सवाल है कि बांक कारखाने के भी दिवालिया घोषित होने और किसी खरीददार के सामने नहीं आने पर क्या यह कारखाना भी मृत घोषित होगा? और, तब क्या इसकी मशीनों के कबाड़ और फिर जमीन की भी दुबारा बिक्री की जाएगी? शंका और सवाल यह भी किया जा रहा है कि क्या यह सब पूर्व नियोजत है? बहरहाल, इस संशय का उत्तर तो समय आने पर ही मिल सकेगा।

निर्धारत अवधि में कारखानों का कबाड़ हटाने की रणनीति
डालमियानगर (सोनमाटी वाणिज्य प्रतिनिधि)। 15 अगस्त को दोपहर बाद मृत रोहतास उद्योगसमहू के कारखाना परिसर से मशीनों का कबाड़ हटना शुरू हो जाएगा, जिसके कार्य का शुभारंभ पूर्व विधायक (एमएलसी) हुलास पांडेय करेंगे। यह जानकारी देते हुए भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक अमितकुमार कश्यप बबल ने देते हुए बताया कि इस मौके पर एनडीए के सभी राजनीतिक घटक दलों के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को भी आमंत्रित किया गया है। श्री हुलास पांडेय ने रणनीति तैयार कर रखी है कि निर्धारित अवधि में ही कारखानों का कबाड़ हटा लिया जाए और कारखाना परिसर की भूमि समतल हो जाए, ताकि रेलवे इस भूमि पर अगले चरण का अपना कार्य कर सके।

(तस्वीर में डालमियानगर कारखाना परिसर में खड़े पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय, भाजपा की बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष निवेदिता सिंह, भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक अमितकुमार कश्यप बबल, भाजपा के डेहरी नगर अध्यक्ष गोपाल चौरसिया और अन्य।)

 

 

  • Related Posts

    भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम ने विश्वं में तृतीय स्थान पर : डॉ. आशुतोष द्विवेदी

    डेहरी-आन-सोन  (रोहतास) विशेष संवाददाता। वाणिज्य संकाय गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा विषय “स्टार्टअप इको सिस्टम: नेविगेटिंग थ्रू फाइनेंशियल फंडामेंटलस” पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम में मुख्य…

    बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के शिविर में किया गया बच्चों का पूरे शरीर का जाँच

    डेहरी-आन-सोन  (रोहतास) विशेष संवाददाता। जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित नारायण नर्सिंग कॉलेज के सामुदायिक स्वास्थ्य विभाग के द्वारा रोटरी क्लब ऑफ नारायण जमुहार के सहयोग से बीएससी…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम ने विश्वं में तृतीय स्थान पर : डॉ. आशुतोष द्विवेदी

    भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम ने विश्वं में तृतीय स्थान पर : डॉ. आशुतोष द्विवेदी

    बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के शिविर में किया गया बच्चों का पूरे शरीर का जाँच

    बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के शिविर में किया गया बच्चों का पूरे शरीर का जाँच

    किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि अपनाने का आह्वान

    किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि अपनाने का आह्वान

    धान-परती भूमि में रबी फसल उत्पादन हेतु उन्नत तकनीक की जानकारी दी गई

    नारायण कृषि विज्ञान संस्थान में आयोजित किया गया मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण

    नारायण कृषि विज्ञान संस्थान में आयोजित किया गया मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण

    लोजपा (आर) की बैठक, आगामी चुनाव योजना पर हुई चर्चा