संकट में डालमियानगर माडल स्कूल/ सोन कला केेंद्र का वर्ष-पर्व/ संतपाल स्कूल में रक्तदान

भुखमरी के द्वार पर डालमियानगराडल स्कूल के शिक्षक-कर्मचारी परिवार

डालमियानगर (रोहतास)-विशेष प्रतिनिधि। समूचे सोन अंचल में शैक्षणिक प्रतिष्ठा का शीर्ष प्रतीक रहा माडल स्कूल, डालमियानगर के शिक्षकों-कर्मचारियों के परिवार इन दिनों भुखमरी के दरवाजे पर हैं। ऐसा कोरोना महामारी में लाकडाउन के कारण नहीं, बल्कि विद्यालय प्रबंधन के लंबे समय से जारी अलोकतांत्रिक रवैया, लोभजनित चरम गुटबाजी और अनियमितता के कारण है। सोन अंचल के रोहतास, औरंगाबाद सहित अन्य जिलों के विद्यार्थियों के लिए ज्ञान की चमक बिखेरने वाले इस अंग्रेजी माध्यम के प्रथम विद्यालय की हालत यह है कि 06-10 माह से स्कूल के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों को वेतन नहीं मिला है। माडल स्कूल की स्थापना 1957 में डालमियानगर के एशिया प्रसिद्ध कारखानों के संचालक रोहतास इंडस्ट्रीज प्रबंधन द्वारा हुई थी। यह सोसाइटी एक्ट में 1981 में पंजीकृत हुआ, तब रोहतास उद्योगसमूह के स्थानीय सर्वोच्च अधिकारी पीके रथ इसके संरक्षक थे। स्कूल को 1985 में दसवीं और 1993 में बारहवीं की सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हुई। इस बीच 1984 में उद्योगसमूह में पूर्ण तालाबंदी हो गई और 20 हजार परिवारों की रोजी-रोटी का मामला सुप्रीम कोर्ट मेें पहुंचा। रोहतास उद्योगसमूह के प्रमोटर अशोक जैन ने सुप्रीम कोर्ट में कारखाना चलाने से अपने हाथ खड़े कर लिए।
अभिभावकों का शासी निकाय करता है विद्यालय संचालन :
सुप्रीम कोर्ट और फिर हाईकोर्ट के प्रयास के बावजूद कांग्रेस की चंद्रशेखर सिंह और 1990 में लालू प्रसाद यादव की सरकारों के कार्यकाल में उपेक्षा नीति की वजह से कारखाने किसी औद्योगिक घराने को नहीं सौंपे जा सके। अंतत: रोहतास इंडस्ट्रीज की समस्त संपति (जमीन, भवन, मशीन आदि) समापन में चली गई। तब हाईकोर्ट कंपनी जज के आदेश पर विद्यालय संचालन के लिए तीन वर्ष की कार्य अवधि वाला निर्वाचित शासी निकाय जिला प्रशासन की चुनावी देखरेख में गठित हुआ, जिसमें छह अभिभावक प्रतिनिधि, दो स्कूल शिक्षक प्रतिनिधि, दो शिक्षाविद और प्राचार्य हैं। पूरी तरह अभिभावकों के धन यानी स्कूल फीस से ही संचालित इस विद्यालय और इसकी संचालन समिति से संबंधित विवाद जिलाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी, पटना शासकीय समापक के पास लंबित और पटना कंपनी जज के पास भी विचारधीन हैं। विद्यालय संचालन के अलोकतांत्रिक तरीके का एक उदाहरण वांछित कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना शिक्षक राकेश विश्वकर्मा की सेवा को बर्खास्त करने का है। इस शिक्षक के निष्कासन का मुद्दा 13 वर्ष बाद भी जिंदा है, क्योंकि इससे संबंधित पत्राचार विद्यालय और जिला, अनुमंडल के प्रशासनिक कार्यालयोंं में जारी है। वर्तमान शासी निकाय का कार्य-काल दो अगस्त को समाप्त हो रहा है। अगले शासी निकाय के चुनाव के लिए आचार संहिता दो मई से लागू हो चुकी है। बताया जाता है कि 18 मई को विद्यालय संचालन समिति की बैठक में कुछ निर्णय लिया गया। जबकि माडल स्कूल समिति के अध्यक्ष मुकेश कुमार पांडेय का कहना है कि बैठक नहीं हुई और कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया गया, क्योंकि मीटिंग का कोरम पूरा नहीं हुआ। वह कहते हैं कि स्कूल की बेहतरी के लिए जरूरत हुई तो कोर्ट के दरवाजा तक भी जाएंगे।
राम जैसे अहिल्या उद्धारक की प्रतीक्षा :
रोहतास उद्योग समूह परिसर के समापन में चले जाने के बाद यह पहले से ही तय है कि माडल स्कूल परिसर की बिक्री भी होगी। जाहिर है कि माडल स्कूल की अस्तित्व रक्षा पूर्ववर्ती और मौजूदा शासी निकायों के लिए भी विचारणीय होना चाहिए। मगर इससे संबंधित ठोस प्रस्ताव न तो वर्तमान या गत शिक्षाविद प्रतिनिधियों, न स्कूल के शिक्षक प्रतिनिधियों, न अभिभावक प्रतिनिधियों और न ही प्राचार्य ने रखा। जबकि इस विद्यालय के प्राचार्य को तो दुबारा कायाकल्प के लिए ही बुलाया गया। माडल स्कूल, डालमियानगर के भविष्य को लेकर राहत की बात यह है कि बिहार के कंपनी रजिस्ट्रार और शासकीय समापक हिमांशु शेखर इस स्कूल परिसर (भवन, जमीन आदि) को अनुभवी विद्यालय संचालक को देने के पक्षधर हैं, जैसाकि उन्होंने सोनमाटी को बताया। हालांकि इस पर निर्णय तो देश, काल, परिस्थिति के अनुसार पटना कंपनी जज को लेना है। बहरहाल माडल स्कूल को अपनी अस्तित्व रक्षा के लिए राम जैसे किसी अहल्या उद्धारक की प्रतीक्षा है।

रिपोर्ट : कृष्ण किसलय

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सोन कला केेंद्र का स्थापना वर्ष-पर्व संपन्न

स्थापना दिवस पर प्रतिवेदन-पत्रक जारी करते बायें से दायें- दयानिधि श्रीवास्तव (अध्यक्ष), कृष्ण किसलय (संस्थापक सलाहकार), राजीवरंजन सिन्हा, विधायक सत्यनारायण सिंह यादव, डा. रागिनी सिन्हा, डा. एसबी प्रसाद (सभी संरक्षक)

डेहरी-आन-सोन (कार्यालय प्रतिनिधि)। सांस्कृतिक सर्जना की संवाहक संस्था सोन कला केेंद्र के एक वर्ष पूरा होने पर स्थापना दिवस समारोह के बजाय मास्क लगाकर और भरसक शारीरिक दूरी के अनुशासन का पालन कर संरक्षकों, संस्थापकों, सलाहकारों, पदाधिकारियों, सदस्यों के साथ संस्था के शंकरलाज कार्यालय में सादगीपूर्ण वर्ष-पर्व का संयोजन किया गया। संस्था के संरक्षकों वरिष्ठ चिकित्सक डा. रागिनी सिन्हा, विधायक सत्यनारायण सिंह यादव, वरिष्ठ चिकित्सक डा. निर्मल कुमार, हृदयरोग विशेषज्ञ डा. एसबी प्रसाद, सनबीम स्कूल के निदेशक राजीवरंजन सिन्हा ने घी के दीये जलाकर वर्ष-पर्व का आरंभ किया और संबोधित कर संस्था को प्रेरित किया। संस्था के अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव ने पुष्पगुच्छ और प्रतिवेदन-पत्रक भेंटकर संरक्षकों का स्वागत किया। आरंभ में सोन कला केेंद्र के संस्थापक सलाहकार कृष्ण किसलय ने सोन संस्कृति पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए संस्था की गतिविधियों की चर्चा की। सचिव निशांत राज ने वार्षिक प्रतिवेदन का पाठ किया और कोषाध्यक्ष राजीवकुमार सिंह ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के आय-व्यय का ब्योरा प्रस्तुत किया। उपाध्यक्ष अरुण कुमार शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया और अंत में उप-कोषाध्यक्ष नंदकुमार सिंह ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। वर्ष-पर्व कार्यक्रम में संस्था सलाहकार अवधेश कुमार सिंह, जगनारायण पांडेय, चंद्रगुप्त मेहरा, पारस प्रसाद, कार्यकारी अध्यक्ष जीवन प्रकाश, उपाध्यक्ष उपेन्द्र कश्यप, उप सचिव सत्येन्द्र प्रसाद गुप्ता, सदस्य राजू सिन्हा, अनिल पाठक, कपिलमुनि पांडेय, अमूल्य सिन्हा, पिंटू दिलवाले, सिंटू सोनी, गुलशन कुमार, आलोक कुमार, अनुभव आनंद, सत्यनारायण सिंह, प्रीतम तिवारी, आकाश कुमार, चंदन तिवारी, उदय गोस्वामी, मीनाक्षी श्रीवास्तव, अंजलि कुमारी के साथ भाजपा नगर अध्यक्ष संजय गुप्ता उपस्थित थे।

रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज

संतपाल स्कूल के शिक्षकों-कर्मचारियों ने किया रक्तदान

(संतपाल स्कूल में रक्तदान)

सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। स्वैच्छिक रक्तदान कार्यक्रम के अंतर्गत संतपाल स्कूल में रक्त अधिकोष (सदर अस्पताल) और रेडक्रास सोसाइटी द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में संतपाल स्कूल के टीचिंग और नन-टीचिंग स्टाफ ने रक्तदान किया। रोहतास के पूर्व सिविल सर्जन डा. सुधीर कुमार, सदर अस्पताल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट डा. केएन तिवारी, संतपाल स्कूल के चेयरमैन डा. एसपी वर्मा, रेडक्रास सोसाइटी ने सचिव राहुल वर्मा ने रक्तदान स्थल पर अधिकाधिक रक्तदान की अपील की। सिविल सर्जन डा. सुधीर कुमार ने जानकारी दी कि 18 से 60 वर्ष की उम्र और 45 किलोग्राम से अधिक वजन का व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। रक्तदान से किसी प्रकार की शारीरिक दुर्बलता और कमजोरी नहीं होती है। डिप्टी सुपरिटेंडेंट डा. केएन तिवारी ने बताया कि रक्तदाता की पांच बीमारियों एचआईवी, हेपेटाइटिस-बी.सी., मलेरिया और सिफलिस की जाच निशुल्क होती है। सदर अस्पताल से रक्तदाता को प्राप्त डोनर कार्ड पर एक वर्ष के अंतराल में रक्तदान के बराबर रक्त किसी भी सरकारी रक्त अधिकोष (ब्लड बैंक) से प्राप्त किया जा सकता है। विद्यालय के शिक्षक सह मीडिया प्रभारी अर्जुन कुमार के अनुसार, विद्यालयकर्मियों ब्रजकिशोर पांडेय, संग्राम कांत, रीना गुप्ता, अजय सिंह, प्रिया सिंह, निभा तिवारी, पूजा सिंह, राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय आदि ने रक्तदान किया। चुके थे। इस अवसर पर संतपाल स्कूल के प्रबंधक रोहित वर्मा, प्राचार्य आराधना वर्मा, सदर अस्पताल के ब्लड बैंक के प्रभारी डा. भगवान सिंह, लैब टेक्नीशियन शशिकान्त चौधरी रक्तसंग्रह मशीन के साथ उपस्थित थे।

रिपोर्ट, तस्वीर : अर्जुन कुमार

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