सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। धर्मशाला पथ स्थित महाभारत कोचिंग सेंटर के सभागार में अखिल भारतीय साहित्य एवं कला संगम के तत्वावधान में कवि सम्मेलन और गायन-वादन-नृत्य का संयोजन किया गया, जिसमें वीर, प्रेम-श्रृंगार रसों वाली कविताओं के साथ स-अभिनय वंदन-भजन गायन आमंत्रित कवियों-शायरों और कलाकारों ने प्रस्तुत किए। इस मौके पर आरंभ में चंद्रेश्वर नीरव की पुस्तक (आंसुओं की आवाज) और आजय साहनी की कविता संग्रह (पुस्तक काहे का) का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ लायंस क्लब के पूर्व जिलापाल शिक्षाविद डा. एसपी वर्मा, साहित्यकार वरीय अधिवक्ता रामाशीष पहाडिय़ा, अधिवक्ता शायर अख्तर इमाम अंजुम, कवि-पत्रकार अर्जुन कुमार और युवा गायक दिवाकर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। डा. एसपी वर्मा ने कहा कि ख्यातिधन्य विभूतियों का महत्व यह है कि वे अपनी बात हृदय को छूने वाले अंदाज में पेश करते हैं और उनकी बातों-संदेशों से सीखने को भी मिलता है। रामाशीष पहाडिय़ा ने नवोदितों को अधिक से अधिक मेहनत कर अपने क्षेत्र और समाज में स्थान बनाने की बात कही।
दुश्मन की लाशों की गिनती मांग रहें ये कैसी गद्दारी है…
कार्यक्रम दिवाकर की भजन गायकी (गुरु हम पे दया करना…) से शुरू हुआ। अर्जुन कुमार की काव्य-प्रस्तुति ये कैसी गद्दारी है जो दुश्मन की लाशों की गिनती मांग रहे…, सत्यम कुमार की कलम उंगली में आए तो वह हथियार जैसी है…, चिराग सलेमपुरी की सियासत में अक्लोहुनर जरूरी है… मुकेश बिंदास की तू लाजवाब है मां तेरी हर बात निराली है…, रामनगीना यादव की अन्हेर बा अन्हेर बा हो देर नाही बा… का श्रोताओं से श्रवण कर मन-रंजन किया। शक्ति परमार, अजय साहनी, अश्विनी कुमार, सिमरन राज, मीराए मंजू, पंडित विमलेश शर्मा, अभिषेक स्मिथ, सप्तक सामवेदी, सर्वजीत सवेरा, राजेश तिवारी, धनंजय कुशवाहा, शिवानंद शौण्डिक आदि ने भी कविता और गायन को प्रस्तुति किया। कार्यक्रम का संचालन प्रतिभा श्री, मीरा श्रीवास्तव और प्रतीक्षा ने किया। अंत में महाभारत कोचिंग के संचालक संजीव कुमार ने धन्यवाद-ज्ञापन किया।
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मैं क्या हूं ?
-नीरज त्यागी
मैं क्या हूं, मैं आसमां हूं।
बरसूंगा तो पूजा जाऊंगा नही तो कोसा जाऊंगा।।
मैं क्या हूं, मैं एक पौधा हूं।
फल दूंगा तो इज्जत पाऊंगा नहीं तो बस काटा जाऊंगा।।
मैं क्या हूं, मैं एक नैया हूं।
पार लगाऊंगा तो सम्मान पाऊंगा, नहीं तो किनारे किया जाऊंगा।।
मैं क्या हूं, मैं रोटी का बचा टुकड़ा हूं।
भूखे की भूख मिटाऊंगा, भूख मिटी हो तो यूंही फेेंका जाऊंगा।।
मैं क्या हूं, मैं उम्र ढलता इंसान हूं।
धन है तो सबका प्यारा कहलाऊंगा वरना हाशिये पर रखा जाऊंगा।।
मैं क्या हूं, मैं न पहचाना गया सागर हूं।
मथा गया अमृत आया तो काम आऊंगा, विष आयातो भी शिव को पाऊंगा।।
संपर्क : नीरज त्यागी, 65-5, लाल क्वार्टर, राणाप्रताप स्कूल,
गाजियाबाद-201001 (उत्तर प्रदेश)
फोन 9582488698