डेहरी-आन-सोन (बिहार)-कृष्ण किसलय। महत्वाकांक्षी मिशन तो बिहार प्रदेश के युवाओं को वल्र्डक्लास एजुकेशन देने और इस तरह सक्षम बनाने का है, जो देश व दुनिया में कहीं भी अपने पैरों पर खड़ा होने के माद्दा से लैस हो सकेें और हसरत है समाज के हाशिये पर खड़े सौ एकलव्यों को भी चंद्रगुप्त बनाने की, जो अपने पैरों के बूते खड़े होकर कठिन प्रतियोगिता में दौड़ लगा सकें और जीवन का जरूरी युद्ध जीत सकेें। यह कहना है गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, देवमंगल मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं सांसद (राज्यसभा) गोपालनारायण सिंह का।
समाज के कमजोर तबके से सौ बच्चों को क्लास-तीन से इंटर तक निशुल्क शिक्षा का सपना
सोनमाटीडाटकाम से विशेष बातचीत में सांसद गोपालनारायण सिंह ने बताया कि समाज के कमजोर तबके के युवाओं में भी प्रतिभा है, मगर जरूरत उन्हें संवारने, आगे बढ़ाने की है। वे संसाधन के अभाव में डाक्टर-इंजीनियर-साइंटिस्ट आदि नहीं बन पाते। उनके मन की हसरत दबी रह जाती है। गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय की संचालक संस्था देवमंगल मेमोरियल ट्रस्ट का सपना है कि समाज के कमजोर तबके से सौ बच्चों को चुनकर क्लास-तीन से इंटर तक निशुल्क श्रेष्ठ शिक्षा प्रदान कर उन्हें नई पीढ़ी का ऐसा अगुआ बनाया जाए, जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी कामयाबी की नई इबारत लिख सकेें।
दूसरा सपना खेत को उपजाऊ से कमाऊ बनाकर दिखाने का
सांसद गोपालनारायण सिंह ने यह बताया कि देवमंगल मेमोरियल ट्रस्ट गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय का दूसरा सपना कृषि अनुसंधान और तकनीक के जरिये खेत को उपजाऊ से कमाऊ बनाकर दिखाने की है, यह बताने की है कि पारंपरिक खेती से अलग बिहार की मिट्टी कैसे सोना पैदा कर सकती है? इस सपने को साकार करने के लिए गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में इससे संबंधित अनुसंधान किया जाएगा और इसके लिए खेत किराये पर लिया जाएगा। इस तर्ज पर कि तुम हमें खेत दो, श्रम दो और हमसे दृष्टि-योजना लो। यह करके दिखाएंगे कि सुदूर गांव की दो एकड़ जमीन (खेत) से भी किसान का एक पूरा परिवार कैसे ठाठ से, गर्व से अपना पालन-पोषण कर सकता है। हमारे इस सपने का उद्देश्य बिहार की नवयुवा पीढ़ी का पलायन रोकना है। बिहार में खेत ही अधिक है और रोजगार कम, इसी कारण पलायन होता है।
बेहतर शिक्षण की रफ्तार तेज करने, व्यापक बनाने और परिणामपरक बनाने का लक्ष्य
बिहार की धरती पर दूसरे राज्यों के मुकाबले जन-दबाव अधिक है अर्थात प्रति हेक्टेयर आबादी अधिक है। बिहार से श्रमिकों का पलायन दूसरे राज्यों में खेत मजदूरी के लिए बड़ी संख्या में होता रहा है, जिस कारण खेत और भवन निर्माण के कार्य में लगे मजदूरों को उन राज्यों में बिहारी कहा जाने लगा और कालांतर में वहां मजदूरों की संज्ञा (नाम) ही बिहारी हो गई। 90 के दशक के बाद बिहार से श्रमिकों का पलायन थमना शुरू हुआ, मगर 90 के दशक के बाद शिक्षा के लिए बिहार के नौजवानों का पलायन-प्रवाह दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, इसके आस-पास के राज्यों, दक्षिण भारत में होने लगा, क्योंकि बिहार में बेहतर शिक्षण संस्थान जरूरत (मांग) की अपेक्षा कम थे या थे ही नहीं। अब बिहार जाग रहा है और विभिन्न जिलों में शिक्षण संस्थानों की स्थापना हो रही है। फिर भी रफ्तार बेहद धीमी है। इसी दिशा की लक्ष्य-प्राप्ति के निमित्त बेहतर शिक्षण की रफ्तार तेज करने, व्यापक बनाने और परिणामपरक बनाने के लिए देवमंगल मेमोरियल ट्रस्ट और गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। अपने परिसर में श्रेष्ठ वातावरण, वैश्विक स्तर के अनुरूप शैक्षणिक संसाधन उपलब्ध कराना और रोजगारपरक शिक्षा देना गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय की प्राथमिकता है।गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय किसी राजधानी क्षेत्र से सुदूर बिहार के सीमान्त पर्वतीय ग्रामीण अंचल (कैमूर की तलहटी और सोन नद के बीच) में रोहतास जिला के डेहरी-आन-सोन के निकट जमुहार गांव में स्थापित किया गया है, जहां आधुनिक सुविधाओं से लैस विशाल आवासीय परिसर भी है।
बिना आपरेशन निकाली गई महिला की सांस नली में अटकी चीज
जमुहार, डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के गैस्ट्रोलाजी विभाग के चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों ने आधुनिक उपकरण और धैयपूर्ण सतत श्रम से एक महिला की सांस नली में अटकी हुई चीज को बिना आपरेशन बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की। समय, श्रम और युक्ति साध्य इस चिकित्सकीय कार्य को डा. आसिफ इकबाल और जूनियर चिकित्सक राजन गोयल ने किया। रोहतास जिले के पड़ोसी जिला औरंगाबाद के नबीनगर थाना के एतहर गांव की कंचन देवी की सांस की नली में कोई पदार्थ अटक गया था, जो हर तरह के प्रयास से नीचे नहींजा रहा था, जिससे महिला को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी। महिला को परिवार वालों ने नवीनगर के स्थानीय चिकित्सक को दिखाया, मगर स्थित यथावत बनी रही। महिला को नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल लाया गया, जहां उन्नत उपकरण से महिला की सांस लेने की समस्या दूर की गई। गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी भूपेन्द्रनारायण सिंह की ओर से सोनमाटीडाटकाम को दी गई इस सूचना के अनुसार, महिला की सांस-नली में अटकी चीज (संभवत: छोटी बेरनुमा किसी जंगली फल की गुठली) होगी, जिसे बिना आपरेशन कर बाहर निकाला गया।
(तस्वीर : भूपेन्द्रनारायण सिंह)