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सियासत : जारी है दबाव और दलबदल का खेल
-कृष्ण किसलय (समूह संपादक, सोनमाटी)
पांच विधायकों के दल-बदल से सियासी गलियारा गर्म
अक्टूबर-नवम्बर में संभावित बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अपनी-अपनी गारंटी के लिए दलबदल का और अधिक सीटें पाने के लिए दबाव बनाने का सियासी खेल शुरू हो चुका है। बिहार में तीन दलों का एनडीए सत्ता में है और इसके विरुद्ध पांच दलों का महागठबंधन है। एनडीए का जनता दल यूनाइटेड (जदयू) बिहार का प्रभावशाली क्षेत्रीय दल है। इसके अलावा इसमें राष्ट्रीय दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और क्षेत्रीय दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) हैं। एनडीए के प्रतिपक्षी महागठबंधन में कांग्रेस राष्ट्रीय दल तो है, मगर वह क्षेत्रीय राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुकाबले बिहार में राजनीतिक शक्ति में बेहद कमजोर है। महागठबंधन में राजद के अलावा तीन क्षेत्रीय दल हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसाफ पार्टी (वीआईपी) शामिल हैं। हम के नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, रालोसपा के नेता पूर्व केेंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा और वीआईपी के मुकेश सहनी हैं। महागठबंधन के सबसे बड़े दल राजद के पांच विधान पार्षदों ने एक साथ जदयू में आकर सूबे की सियासत गर्म कर दी। जदयू का दामन थामने वाले सभी विधान पार्षदों की ओर से विधान परिषद के सभापति को चिठ्टी सौंंंपे जाने के बाद उन पर जदयू की मुहर लग गई, क्योंकि संख्या बल के कारण दल बदल का कानून पर उन पर लागू नहींहुआ। राजद छोडऩे वाले पार्षद संजय प्रसाद, कमरे आलम, राधाचरण सेठ, रणविजय सिंह और दिलीप राय हैं। इस बीच, जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष और इसी पार्टी के पूर्व विधायक श्यामबिहारी राम दल बदल कर रालोसपा में आ गए हैं, जिनकी चेनारी (रोहतास) से चुनाव लडऩे की प्रबल संभावना है।
जदयू महिला आरक्षण का पक्षधर
यह माना जा रहा है कि चुनाव के पहले राजद के अन्य विधायक भी जदयू में आ सकते हैं और उसके बड़े नेता भी पार्टी छोड़ सकते हैं। बिहार में सत्ताधारी एनडीए के घटक जदयू के नेता नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री और दूसरे घटक भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी उपमुख्यमंत्री हैं। सियासत के मौजूदा माहौल में जदयू के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) आरसीपी सिंह ने यह बयान देकर महिला मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास किया है कि जदयू विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी महिलाओं को आरक्षण देने का पक्षधर है। कहा कि बिहार पहला राज्य है, जहां महिलाओं को जदयू के राज में स्थानीय निकायों में 50 फीसदी आरक्षण मिला। 2020 के विधानसभा चुनाव में मतदान केेंद्रों पर महिलाओं की लंबी कतार ही राज्य के चुनाव परिणाम की और भावी राजनीति की भी दिशा तय करेगी।
नाराज वरिष्ठ नेता का पद से इस्तीफा
इस बीच राजद के वरिष्ठ नेता पूर्व केेंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। बताया जा रहा है कि रघुवंश प्रसाद सिंह सहित राजद के कई बड़े नेता बाहुबली रामा सिंह को पार्टी में शामिल करने से नाखुश हैं। हालांकि राजद के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि वह रघुवंश सिंह को रामा सिंह के मुद्दे पर समझा-संभाल लेंगे। लोजपा के पूर्व बाहुबली सांसद रामकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह की गिनती अपने क्षेत्र में प्रभावशाली नेता में होती है, जिनका वोट बैंक सवर्णों में है। रामा सिंह ने वैशाली से लोकसभा का चुनाव २०१४ में लोजपा की टिकट पर लड़ा था और राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को शिकस्त दी थी। २०१९ के चुनाव मेंलोजपा में उनकी जगह वीणा देवी को वैशाली लोकसभा क्षेत्र से टिकट दे दी गई। तभी से यह कयास लगाया जा रहा था कि रामा सिंह लोजपा को अलविदा कहकर किसी बड़ी पार्टी में जा सकते हैं।
लोजपा चाह रही 43 चुनावी टिकट
कोरोना महामारी के प्रसार के बावजूद सत्ताधारी एनडीए के बिहार में दोनों मजबूत घटक जदयू और भाजपा चुनाव कराए जाने के पक्षधर हैं। जबकि एनडीए का तीसरा घटक लोजपा कोरोना काल में चुनाव को टाले जाने का तर्क दे रहा है। यह समझा जा रहा है कि लोजपा के नेता और केेंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान द्वारा चुनाव टालने की मांग एनडीए नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए है। दूसरी तरफ लोजपा बिहार के सभी २४३ विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी शुरू कर चुकी है। पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया है। लोजपा के बिहार विधानसभा में दो ही विधायक हैं, मगर वह एनडीए आलाकमान से ४३ सीटों पर टिकट चाहती है। इसके अलावा वह विधान परिषद और राज्य सरकार में अपना प्रतिनिधित्व भी चाहती रही है।
कांग्रेस भी चाहती है कि चुनाव टले
महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, राजद और वीआईपी बिहार विधानसभा चुनाव को टालने की पक्षधर हैं। जबकि पूर्व केेंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली रालोसपा कोरोना से एहतियाती सुरक्षा के साथ चुनाव चाहती है। इसके नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि हम तो पूरी तरह तैयार हंै। वामपंथी दलों और आम आदमी पार्टी (आप) भी राज्य में चुनाव टालने के पक्ष में हैं। इसी बीच, पूर्व केेंद्रीय वित्त मंत्री और तीसरा मोर्चा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा बनाओ बेहतर बिहार के नारे के साथ चुनाव प्रचार का शंखनाद पटना में किया है। उन्होंने आह्वान किया कि जो भी इस धर्मयुद्ध में आना चाहते हैं, उनका स्वागत है। यह जाहिर है कि यशवंत सिंह का तीसरा मोर्चा एनडीए, मुख्यत: भाजपा, के विरुद्ध ही चुनाव के मैदान में होगा।
अधिसूचना के बाद तय होगा मुख्यमंत्री प्रत्याशी
कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने चार दिनों के पटना प्रवास के दौरान कहा कि महागठबंधन की सीटें और उसके मुख्यमंत्री प्रत्याशी की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद होगी। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और महागठबंधन के अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के बाद प्रेस कांफ्रेेंस में स्पष्ट किया कि तेजस्वी यादव राजद की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी हैंं, मगर महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी अभी तय नहींहै। कहा कि महागठबंधन न्यूनतम उभय कार्यक्रम (कामन मिनिमम प्रोग्राम) की रणनीति के तहत ही कार्य करेगा। पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरा के दावेदार रहे उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के महागठबंधन के साथ ही बने रहने की संभावना है। हम के जीतनराम मांझी महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने के लिए दो बार अल्टीमेटम दे चुके हैं।
संपर्क : कृष्ण किसलय, सोनमाटी-प्रेस गली, जोड़ा मंदिर, न्यूएरिया, डालमियानगर-८२१३०५ (बिहार)
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