केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को सम्मेलन की सर्वोच्च मानद उपाधि विद्या वाचस्पति से विभूषित किये गये
-साहित्यकार उषा किरण खान (पटना), मनीबेन द्विवेदी ( वाराणासी) पुष्पा कुमारी को साहित्य चूड़ामणि ‘ ,
-कासिम खुर्शीद, रविंदर उपाध्याय, ब्रजेश पांडे को ‘ साहित्य मार्तंड ‘ तथा ज्वाला प्रसाद सांध्य पुष्प, राजकुमार मीणा को ‘ साहित्य शार्दुल सम्मान ‘ सहित कई साहित्यकार हुये सम्मानित
पटना ( कार्यालय प्रतिनिधि)। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 104वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि देश की सभी भाषाएँ राष्ट्र की ही भाषाएँ ही है। किंतु देश को एक सूत्र में जोड़ने के लिए संपर्क की एक राष्ट्र भाषा होनी ही चाहिए और हिन्दी में इसके पर्याप्त गुण हैं। उन्होंने कहा कि देश की सभी भाषाओं के उन्नयन से ही राष्ट्र मजबूत होगा। भारत का सौंदर्य उसकी विविधता में एकता का भाव है। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है कि भारत का हर एक व्यक्ति अपनी रूचि के अनुसार अपना दर्शन निश्चित कर सकता है।
इस अवसर पर सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ तथा आयोजन समिति के स्वागताध्यक्ष डा रवींद्र किशोर सिन्हा ने राज्यपाल को सम्मेलन की सर्वोच्च मानद उपाधि ‘विद्या वाचस्पति‘ से अलंकृत किया। महामहिम ने सम्मेलन की ओर से विदुषियों और विद्वानों को ‘साहित्य मार्तण्ड‘, ‘साहित्य शार्दूल‘ तथा ‘साहित्य चूड़ामणि‘ की उपाधि से विभूषित किया। महामहिम ने सम्मेलन द्वारा प्रकाशित विदुषी कवयित्री डा. शालिनी पाण्डेय के काव्य-संग्रह ‘मेरे भाव‘ तथा राँची की कवयित्री ममता बनर्जी के काव्य-संग्रह ‘छवि‘ का लोकार्पण भी किया।
इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए स्वागत समिति के अध्यक्ष और पूर्व सांसद डा. रवींद्र किशोर सिन्हा ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि साहित्य सम्मेलन के 104वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन एक ऐसे विद्वान राज्यपाल के हाथों हुआ है, जो हिन्दी के उन्नयन लिए सदैव तत्पर रहे हैं।
मुख्य अतिथि चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की कुलपति न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र ने कहा कि मेरा पूरा परिवार आज से 50 वर्ष पूर्व से साहित्य सम्मेलन से जुड़ा रहा है। तब से सम्मेलन से मेरा भी जुड़ाव रहा है। साहित्य से मैंने बहुत कुछ पाया। साहित्य का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। साहित्य हमें संस्कारित करता है।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में सम्मेलन अध्यक्ष डा. अनिल सुलभ ने कहा कि सम्मेलन के 104 वर्षों का इतिहास अत्यंत ही गौरवशाली है। हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन में सम्मेलन ने देश-व्यापी योगदान दिया है। उन्होंने कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष व्यतीत हो जाने के पश्चात भी देश की अपनी कोई राष्ट्रभाषा घोषित नहीं हो सकी और अभी भी औपचारिक रूप से विदेश की एक भाषा भारत की सरकार की कामकाज की भाषा बनी हुई है, जो देश के प्रत्येक नागरिक के लिए वैश्विक-लज्जा का विषय है। उन्होंने महामहिम से आग्रह किया कि वे अपने स्तर से प्रयास करें कि हिन्दी को शीघ्र ही, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय चिन्ह की भाँति ‘राष्ट्र-भाषा‘ घोषित हो।
समारोह के विशिष्ट अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद, दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा. राज कुमार नाहर, सम्मेलन के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ लेखक जियालाल आर्य तथा वीरेंद्र कुमार यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
मंच का संचालन सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा. शंकर प्रसाद ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा. कल्याणी कुसुम सिंह ने किया। पल्लवी विश्वास के संचालन में कवि गोष्ठी का भी आयोजन किया गया था। इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. अमरनाथ सिन्हा, प्रो. रास बिहारी सिंह, डा. मधु वर्मा, डा. पूनम आनंद, डा. सुनील कुमार दूबे, बिन्देश्वर प्रसाद गुप्ता, डॉक्टर ध्रुव कुमार, कुमार अनुपम, डा. प्रतिभा रानी, डा. बलराज ठाकुर, डा. महेश्वर ओझा महेश, रमेश कँवल, डा. सुलक्ष्मी कुमारी, डा. अर्चना त्रिपाठी, डा. नागेश्वर प्रसाद यादव, कृष्ण रंजन सिंह, संजीव कुमार मिश्र, शशिभूषण कुमार, कृष्ण किशोर मिश्र, डा. अमरनाथ प्रसाद, राजेश भट्ट, सागरिका राय, डा. सुषमा कुमारी समेत सैकड़ों विदुषियों और विद्वानों की उपस्थिति हुई।
सम्मानित होने वाले साहित्य-सेवियों की सूचि :-
1. साहित्य चूड़ामणि सम्मान
डा. उषा किरण खान, डा. निलीमा वर्मा, मणिबेन द्विवेदी, तलत परवीन, ममता बनर्जी, पुष्पा कुमारी ।
2. साहित्य-मार्तण्ड सम्मान
डा. रवींद्र उपाध्याय, डा. सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, सुरेश चैधरी ‘इंदु‘, ब्रजेश पाण्डेय, डा. कासिम ख़ुर्शीद, डा. अशोक कुमार ज्योति, सीता राम सिंह ‘प्रभंजन, उदय नारायण सिंह ।
3. साहित्य शार्दूल सम्मान
डा. ज्वाला प्रसाद ‘सांध्यपुष्प‘, कालिका सिंह, प्रेम कुमार वर्मा, डा. राज कुमार मीणा, मोईन गिरिडीहवी, डा. अजीत कुमार पुरी।
बिन्देश्वर प्रसाद गुप्ता,
उपाध्यक्ष -आयोजन समिति तथा
प्रवक्ता -बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन
पटना (बिहार)
( इनपुट: निशांत राज)