शिक्षक-शिक्षा और गुरु
शि से शिकवा क्ष से क्षमा ,
क से होता यह तो कर्म ।
शिकवे दूर कर करें क्षमा ,
शिक्षा देना है पावन कर्म ।।
शिक्षक का पावन हृदय ,
पावन होता है यह शिक्षा ।
कितना क्या छात्र समझा ,
बीच बीच में लेते परीक्षा ।।
शिक्षक छात्र गहरा संबंध ,
शिक्षक है शिक्षा का सार ।
शिक्षा में है शि से शिकवा ,
क्षा से क्षारता दूर हर बार ।।
शिष्य का शिकवा दूर कर ,
क्षारता देता उर से निकाल ।
स्वयं तपता शिष्य के संग ,
रिश्ते लेता अंतरांगता पाल ।।
शिक्षक का है गुरु का दर्जा ,
गुरु का बढ़ जाता है महत्व ।
गु से गुणात्मक रु से है रुख ,
गुणात्मक दिशा देता सत्व ।।
गुरु जनों को है सादर नमन ,
हर बुराईयों का करते दमन ।
अंतर्तल से बुराईयां निकाल ,
जीवन से करे बुराईयां दफन ।।